संसदीय समितियों में फेरबदल, कांग्रेस के हाथ से गई मुख्य समितियों की अध्यक्षता
क्या है खबर?
मंगलवार को हुए फेरबदल के बाद अब विपक्षी पार्टियों के पास किसी भी मुख्य संसदीय समिति की अध्यक्षता नहीं रह गई है।
अब गृह, सूचना प्रौद्योगिकी, रक्षा, विदेश मामले, वित्त और स्वास्थ्य पर बनी मुख्य संसदीय समितियों की अध्यक्षता भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास है।
पहले कांग्रेस के पास गृह मामलों और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) समिति की अध्यक्षता था, जो अब बदल दी गई है।
कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
जानकारी
शशि थरूर से वापस ली गई IT समिति की अध्यक्षता
गृह मामलों की संसदीय समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी से लेकर भाजपा सांसद और रिटायर्ड IPS अधिकारी बृजलाल को दे दी गई है।
इसी तरह सूचना प्रौद्योगिकी के मामलों पर बनी समिति की अध्यक्षता शशि थरूर को हटाकर एकनाथ शिंदे गुट से आने वाले शिवसेना सांसद प्रतापराव जाधव को सौंपी गई है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर बनी समिति की अध्यक्षता भी अब सपा की जगह भाजपा के पास है।
फेरबदल
ये हुए अन्य फेरबदल
सपा के रामगोपाल यादव को हटाकर भाजपा सांसद भुवनेश्वर कालिता को स्वास्थ्य समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
खाद्य मामलों पर बनी समिति की अध्यक्षता अब भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी और शिक्षा, युवा और खेल समिति की अध्यक्षता भाजपा के ही विवेक ठाकुर करेंगे।
आवास और शहरी मामलों की समिति के अध्यक्ष जगदंबिकापाल को बदलकर जदयू के राजीव रंजन सिंह को कमान सौंपी गई है। जगदंबिकापाल अब ऊर्जा पर बनी समिति की अध्यक्षता करेंगे।
संसदीय समितियां
बाकी समितियों की कमान किसके पास?
उद्योगों पर बनी समिति के अध्यक्ष तेलंगाना राष्ट्र समिति के के केशव राव, श्रम, कपड़ा और कौशल विकास समिति के अध्यक्ष बीजू जनता दल के भृतहरि मेहताब, वित्त समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा, रक्षा समिति के अध्यक्ष जुएल ओराम, विदेश मामले समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी, रेलवे समिति के अध्यक्ष राधा मोहन सिंह और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मामलों की समिति के अध्यक्ष रमेश बिधुड़ी हैं।
जानकारी
जयराम रमेश दोबारा बने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन समिति के अध्यक्ष
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश को दोबारा तकनीक, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर बनी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। हालांकि, उन्होंने अन्य कांग्रेस से अन्य समितियों की अध्यक्षता छीने जाने का विरोध किया है।
वहीं इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि भाजपा ने यह कठोर कदम उठाया है। लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के एकल पार्टी शासन की तरफ आकर्षित हैं।
सांसदों की संख्या
संसद में क्या समीकरण?
कांग्रेस के राज्यसभा में 31 और लोकसभा में 53 सांसद हैं। वहीं तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसदों की संख्या 13 और लोकसभा सांसदों की संख्या 23 है। इसके बावजूद पार्टी को किसी भी समिति की अध्यक्षता नहीं मिली है। तृणमूल सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं।
24 लोकसभा और 10 राज्यसभा सांसदों वाली DMK को उद्योग और ग्रामीण विकास पर बनी समितियों की कमान सौंपी गई है।