दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के बाद GRAP-3 की पाबंदियां लागू, किन चीजों पर लगा प्रतिबंध?
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बाद ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण के प्रतिबंध लागू किए जाएंगे। कल (15 नवंबर) की सुबह से ये पाबंदियां लागू हो जाएंगी। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के बाद ये फैसला लिया गया है। आज सुबह औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 426 दर्ज किया गया, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है। बढ़ते प्रदूषण के चलते दिल्ली दुनिया में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर हो गया है।
किन-किन चीजों पर रहेगा प्रतिबंध?
GRAP-3 में BS-III वाले पेट्रोल वाहनों और BS-IV के डीजल वाहनों को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। पूरे NCR में निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर प्रतिबंध और खनन से जुड़ी गतिविधियों पर रोक रहेगी। रोजाना प्रमुख सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाएगा। बता दें कि AQI 401 से 450 के बीच होने पर GRAP के तीसरे चरण की पाबंदियां लागू की जाती हैं।
इन गतिविधियों पर भी रहेगी रोक
गैर-इलेक्ट्रिक, CNG और BS-VI डीजल अंतरराज्यीय बसों पर प्रतिबंध रहेगा। दिल्ली-NCR की कच्ची सड़कों पर गाड़ियां नहीं चलेंगी। मलबे का एक जगह से दूसरी जगह ले जाना बंद रहेगा। ईंट-भट्ठे भी बंद कर दिए जाएंगे। दिल्ली-NCR में सभी स्टोन क्रशर बंद रहेंगे। आपातकालीन उद्देश्यों में भी डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक। औद्योगिक स्तर के वेल्डिंग और गैस-कटिंग कार्य पर भी रोक रहेगी। घरेलू स्तर पर सीमेंटिंग, प्लास्टर और मरम्मत/रखरखाव को छोड़कर इससे संबंधित बड़ी गतिविधियों पर रोक।
आज कैसा था दिल्ली की हवा का हाल?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा जारी सुबह 7 बजे के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के कई इलाकों में AQI "गंभीर" श्रेणी में पहुंच गया है। आनंद विहार का AQI 473, द्वारका का 458, आरके पुरम का 454, मुंडका का 460 और चांदनी चौक का 407 दर्ज किया गया। 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 32 ने AQI का स्तर 400 से ज्यादा दर्ज किया है। इसके अलावा एयरपोर्ट और पटपड़गंज में भी AQI 'गंभीर' श्रेणी में रहा।
दिल्ली में प्रदूषण की क्या है वजह?
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के सर्वे के मुताबिक, दिल्ली के वायु प्रदूषण में स्थानीय स्रोतों का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है। इनमें सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियों से प्रदूषण या दिवाली उत्सव के दौरान जलाए गए पटाखों की तुलना में वाहन से निकलने वाले उत्सर्जन की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है। इसके अलावा पड़ोसी राज्यों में फैलने वाले प्रदूषण की हिस्सेदारी लगभग 35 प्रतिशत है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना प्रदूषण में 8.19 प्रतिशत का योगदान देता है।