सावरकर को लेकर फिर से छिड़ी बहस, आखिर क्या है मामला?
विनायक दामोदर सावरकर, एक ऐसा नाम जिसे जब भी लिया जाता है, विवाद होना तय है। राजनीतिक पार्टियां, नेता और आम लोग तक भी सावरकर को लेकर हमेशा दो धड़ों में बंटे रहे हैं। अब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के एक कार्यक्रम के दौरान सावरकर को लेकर दिए गए बयानों को लेकर फिर से राजनीति गरमा गई है। आखिर उन्होंने क्या कहा? आइए जानते हैं।
सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना नहीं है माफी योग्य- सिंह
उदय माहूरकर और चिरायु पंडित की लिखी किताब वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन के विमोचन कार्यक्रम में रक्षा मंत्री सिंह ने कहा, "राष्ट्र नायकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के बारे में वाद प्रतिवाद हो सकते हैं, लेकिन विचारधारा के चश्मे से देखकर वीर सावरकर के योगदान की उपेक्षा करना और उन्हें अपमानित करना माफी योग्य नहीं है।" उन्होंने कहा, "एक खास विचारधारा से प्रभावित तबका ही सावरकर पर सवाल उठाता रहा है।"
सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेजों को भेजी थी दया याचिका- सिंह
सिंह ने जोर देकर कहा कि सावरकर को लेकर कई तरह झूठ फैलाए गए हैं। ऐसा कहा गया था कि सावरकर ने अंग्रेजों के सामने कई बार दया याचिका डाली थी, लेकिन सच तो यह है कि सावरकर ने ये सब महात्मा गांधी के कहने पर किया था। उन्हीं के कहने पर उन्होंने जेल में बैठकर अंग्रेजों के सामने दया याचिका दाखिल की थी। उन्होंने आगे कहा कि वीर सावरकर महानायक थे, हैं और भविष्य में भी रहेंगे।
सावरकर को लेकर नफरत है तथ्यहीन- सिंह
सिंह ने कहा कि मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधाराओं का पालन करने वाले लोगों ने सावरकर पर फासीवादी और हिंदुत्व का समर्थक होने का आरोप लगाया था, लेकिन उनकी नजरों में वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। सिंह ने जोर देकर कहा कि सावरकर को लेकर जो नफरत दिखाई जा रही है, वो तथ्यहीन है। सावरकर देश के पहले रक्षा विशेषज्ञ थे। दूसरे देशों के साथ संबंधों को लेकर उनकी नीति पूरी तरह से स्पष्ट रही थी।
"धर्म से ऊपर था सावरकर का हिंदुत्व"
सिंह ने कहा, "सावरकर का हिंदुत्व धर्म से ऊपर था। वो मानते थे कि किसी को भी उसके धर्म के आधार पर ना बांटा जाए। उन्होंने हमेशा अखंड भारत की बात की थी। उनके हिंदुत्व को समझने के लिए गहरी समझ की आवश्यकता है।"
यहां देखें राजनाथ सिंह का वीडियो
मुस्लिमों के दुश्मन नहीं थे सावरकर- भागवत
इसी तरह कार्यक्रम में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी सावरकर के आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सावरकर मुस्लिमों के दुश्मन नहीं थे। उन्होंने तो बल्कि उर्दू भाषा में कई गजलें लिखी थीं। उन्होंने कहा कि सावरकर की नजरों में बंटवारे के दौरान पाकिस्तान गए वाले मुसलमानों की प्रतिष्ठा कभी पाकिस्तान के प्रति थी ही नहीं। उनका मानना था कि जो भारत का रहा है, वो भारत का ही रहने वाला है।
सावरकर ने अंग्रेजों से कभी नहीं मांगी थी माफी- रंजीत
मामले में सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने आजतक से कहा, "1920 में महात्मा गांधी ने सावरकर के भाई को याचिका दायर करने के लिए पत्र लिखा था और उसके बाद ही उन्होंने दया याचिका लगाई गई थी।" उन्होंने कहा, "सावरकर ने अपने किसी भी पत्र में अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी थी और न ही खेद जताया था। उन्होंने तो बस याचिकाएं ही दायर की थीं, जिन्हें बाद में अंग्रेजों ने दया याचिका नाम दे दिया था।"
सावरकर को लेकर ओवैशी ने किया राजनाथ सिंह पर कटाक्ष
सावरकर के समर्थन में बयान देने को लेकर अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने राजनाथ सिंह पर कटाक्ष किया है। ओवैसी ने कहा है कि सिंह इतिहास को तोड़मरोड़ के पेश कर रहे हैं। यदि यह जारी रहा, तो वो महात्मा गांधी को हटा देंगे और सावरकर को राष्ट्रपिता बना देंगे, जिन पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया गया था और जिन्हें जस्टिस जीवन लाल कपूर की जांच में शामिल घोषित किया था।
शिवसेना ने किया भाजपा का समर्थन
सावरकर के मामले को लेकर अब शिवसेना ने भी भाजपा का समर्थन किया है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि वीर सावरकर ने कभी भी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी। एक ऐसा स्वतंत्रता सेनानी जो एक दशक से ज्यादा समय तक जेल में रहा हो, वह अपने मकसद को पूर्ण करने के लिए रणनीति अपना सकता है ताकि जेल से बाहर आए। उन्होंने कहा कि यदि सावरकर ने ऐसी रणनीति अपनाई तो उसे माफी मांगना नहीं कहा जा सकता।
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