कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में कैसे आगे चल रहा है केरल?
पूरी दुनिया इन दिनों कोरोना वायरस (COVID-19) का सामना कर रही है। भारत में इस महामारी का संक्रमण रोकने के लिए 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया गया था, जिसका आज आखिरी दिन है। इन 21 दिनों में केरल ने वायरस के संक्रमण को रोकने में कुछ हद तक कामयाबी पाई है। केरल देश का पहला राज्य है, जहां महामारी से ठीक हुए लोगों की संख्या इसके मरीजों से ज्यादा हो गई है।
सक्रिय मामलों से ज्यादा हुई ठीक हुए लोगों की संख्या
खबर लिखे जाने तक केरल में कोरोना वायरस के सक्रिय मामलों की संख्या 178 थी, जबकि इससे ठीक हुए लोगों की संख्या 198 पहुंच गई। यानी जितने लोग इस महामारी से संक्रमित थे, उससे ज्यादा लोग ठीक हो चुके थे।
राज्य में 30 जनवरी को सामने आया था पहला मामला
भारत में सबसे पहले केरल में ही कोरोना वायरस का मामला सामने आया था। यहां चीन के वुहान शहर से लौटे एक छात्र में 30 जनवरी को संक्रमण की पुष्टि हुई थी। याद दिला दें कि वुहान से इस वायरस की शुरुआत हुई थी। इसके बाद दो और लोग संक्रमित मिले। फरवरी के मध्य तक ये तीनों ठीक होकर अपने घर चले गए। अगले लगभग एक महीने तक राज्य में एक भी नया मामले सामने नहीं था।
दो महीनों की लड़ाई के बाद हुई सफलता की शुरुआत
लगभग दो महीने बाद राज्य में 370 लोगों में संक्रमण पुष्टि हुई और यहीं से कर्व फ्लैट होने की शुरुआत भी हो गई। राज्य के वित्त मंत्री ने सोमवार को दावा किया कि केरल महामारी के संक्रमण का कर्व फ्लैट करने में कामयाब रहा है।
राज्य में ऐसे बढ़ते गई मरीजों की संख्या
शुरुआती तीन मामलों के बाद 8 मार्च से राज्य में नए मामले आने की शुरुआत हुई। 8 मार्च को यहां पांच लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई। इसी दौरान विदेशों में रहने वाले लोग वापस अपने घर लौटने शुरू हुए और संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती गई। 10 मार्च को राज्य में 17 मामले थे, जो 21 मार्च तक 50 और 24 मार्च तक 100 से ऊपर हो गए। यानी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी।
राज्य में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के संकेत नहीं
29 मार्च को केरल में संक्रमितों की संख्या 200 और 4 अप्रैल तक 300 से पार गई। इसके बाद नए मामलों में स्थिरता आनी शुरू हुई। 12 अप्रैल तक राज्य में 375 संक्रमितों में से तीन लोगों की मौत हुई थी। केरल में संक्रमितों में से अधिकतर विदेशों से लौटे लोग हैं, जबकि बाकी उनके संपर्क में आए लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
इन कदमों के सहारे लड़ाई में आगे रहा केरल
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल द्वारा कोरोना वायरस को कुछ हद तक नियंत्रित करने में टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में दिखाई गई तेजी, लोगों को ज्यादा दिनों तक क्वारंटाइन करना और प्रवासी मजदूरों को रोकने के लिए हजारों की संख्या में शेल्टर होम बनाने जैसे कदमों का बड़ा योगदान है। यहां अप्रैल के पहले सप्ताह में 13,000 टेस्ट किए गए, जो तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से ज्यादा है।
केरल में शुरू हुए रैपिड और वॉक-इन टेस्ट
इसके अलावा केरल ने बाकी राज्यों से एक कदम आगे चलते हुए रैपिड टेस्ट और वॉक-इन-टेस्ट करने भी शुरू किए, जिससे दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा लोगों के टेस्ट हो सके।
क्या कहती हैं राज्य की स्वास्थ्य मंत्री?
भले ही कोरोना के संक्रमण को रोकने में केरल कुछ हद तक कामयाब हुआ है, लेकिन राज्य की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा का कहना है कि यह लड़ाई अभी लंबी चलेगी। उन्होंने कहा, "मौजूदा रूझान यह दिखाते हैं कि हमारी कोशिशें सफल हुई हैं, लेकिन हमें सावधान रहने की जरूरत है। एक संक्रमित व्यक्ति से कई लोग संक्रमित हो सकते हैं। अभी हम हथियार नहीं डाल सकते। पड़ोसी राज्यों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जो चिंता का विषय है।"