लॉकडाउन: सूरत में सड़कों पर उतरे प्रवासी मजदूर, वाहनों में की आगजनी और तोड़फोड़

देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किया लॉकडाउन अब विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। घर जाने की लालसा में प्रवासी मजदूर अब न केवल लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि उग्र होकर वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी करने पर भी उतारू हैं। शुक्रवार रात को गुजरात के सूरत में भी सैकड़ों प्रावासी मजदूर सड़कों पर उतर आए और जमकर उत्पात मचाया।
सूरत की पुलिस उपायुक्त सीके पटेल ने बताया कि लॉकडाउन के बाद भी क्षेत्र में मौजूद सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने घरों को जाने का प्रयास कर रहे हैं। इसको लेकर गुरुवार रात को सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए। वह पुलिस से उन्हें घर भेजने के लिए वाहनों की व्यवस्था करने और कंपनियों से बकाया वेतन दिलाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी भी की।
मामले में पुलिस ने बल प्रयोग व आंसू गैस के गोले दागकर प्रवासी मजदूरों को तितर-बितर किया। पुलिस ने करीब 70 लोगों को हिरासत में भी लिया है। दोषियों के खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 के तहत मामले दर्ज करने की तैयारी चल रही है।
पुलिस उपायुक्त पटेल ने बताया कि सड़कों पर उतरे मजदूरों को पुलिस ने घरों और आश्रय स्थलों में रहने के लिए समझाया, लेकिन वह नहीं माने। इस दौरान उग्र हुई भीड़ ने करीब आधा दर्जन सब्जी की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा सड़क पर खड़े अन्य वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की गई। बाद में बल प्रयोग के जरिए पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर किया। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
पुलिस ने बताया कि सूरत के अलावा अहमदाबाद में भी प्रवासी मजदूरों ने जमकर हंगामा किया है। मजदूरों ने घर भेजने की व्यवस्था करने व अन्य मांगों को लेकर पुलिस पर पथराव भी किया है। इसमें कई पुलिसकर्मियों को चोट भी आई है।
पुलिस उपायुक्त ने बतया कि पांडेसर क्षेत्र की पावरलूम व कपड़ा फैक्टि्रयों में बिहार और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों मजदूर काम करते हैं। मजदूरों ने आरोप लगाया कि सरकार की एडवाइजरी के बाद भी कंपनी और फैक्ट्री संचालकों ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया और बकाया वेतन भी नहीं दिया। ऐसे में अब उनके पास ना तो रहने को जगह है और ना ही खाने के लिए पैसा है। इसके बाद भी सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है।
बता दें कि गुजरात में संचालित दो लाख 214 इकाइयों में करीब सात लाख 38 हजार कामगार और श्रमिक काम करते हैं। लॉकडाउन में इन श्रमिकों को वेतन देने के लिए सरकार ने 1,264 करोड़ रुपये की घोषणा की है। इसके अलावा सभी छोटे-बड़े उद्योग, इकाई, ठेकेदार आदि को लॉकडाउन में किसी भी श्रमिक को नौकरी से नहीं निकालने तथा छुट्टी के दौरान का वेतन भी देने की एडवाइजरी जारी की है। इसका सभी ने समर्थन किया है।
इससे पहले गत 29 मार्च को भी सैकड़ों मजदूरों ने अपने घर जाने के लिए वाहनों की व्यवस्था करने की मांग को लेकर पुलिस पर पथराव कर दिया था। उसमें कई पुलिसकर्मियों को चोट आई थीं। पुलिस ने आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाकर उन्हें खदेड़ा था। उस दौरान पुलिस ने 500 मजदूरों के खिलाफ महामारी अधिनियम सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटे में सामने आए 1,035 नए मामलों के साथ देश में संक्रमितों की संख्या 7,447 हो गई है। इसी तरह 40 लोगों की मौत के साथ मृतकों की कुल संख्या 239 पहुंच गई है। करीब 6,665 लोगों इलाज चल रहा है और 643 को स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। गुजरात में संक्रमितों की संख्या 378 हो गई तथा अब तक कुल 19 लोगों की मौत हो चुकी है।