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पाकिस्तान के जरिए जम्मू-कश्मीर के चिनाब पुल के बारे में जानकारी जुटा रहा चीन- रिपोर्ट 
चीन के इशारे पर पाकिस्तान चिनाब पुल के बारे में जानकारी जुटा रहा है

पाकिस्तान के जरिए जम्मू-कश्मीर के चिनाब पुल के बारे में जानकारी जुटा रहा चीन- रिपोर्ट 

लेखन आबिद खान
Nov 01, 2024
02:47 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी के ऊपर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के बारे में पाकिस्तान जानकारी जुटा रहा है। खबर है कि पाकिस्तान चीन के इशारे पर ये काम कर रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी अधिकारियों के निर्देश पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी चिनाब पुल के बारे में जानकारी एकत्रित कर रही है। बता दें कि जून में इस पुल का परीक्षण हुआ था।

पाकिस्तान

पाकिस्तान-चीन जुटा रहे जानकारी

इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि पुल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान और चीन दोनों की खुफिया एजेंसियों द्वारा एकत्रित की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया अलर्ट में लिखा गया है कि चिनाब रेलवे पुल, जो रियासी और रामबन को जोड़ता है, उसकी महत्वपूर्ण जानकारी पाकिस्तान और चीन की खुफिया एजेंसियों ने जुटाई है। हालांकि, इस बारे में अभी तक आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है।

एफिल टॉवर

एफिल टॉवर से भी ऊंचा है पुल

इस पुल की ऊंचाई 359 मीटर है, जो पेरिस के प्रसिद्ध एफिल टॉवर से करीब 35 मीटर ज्यादा है। रामबन जिले के संगलदान और रियासी के बीच बना ये पुल लगभग 1,315 मीटर लंबा है। इसे बनाने में करीब 27,000 करोड़ रुपये की लागत आई है और 30,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। इस पुल का निर्माण उधमपुर श्रीनगर बारामूला रेल लिंक परियोजना के तहत किया गया है।

परीक्षण 

जून में हुआ था परीक्षण

इसी साल 20 जून को इस पुल पर ट्रायल रन किया गया था। तब संगलधान से रियासी रेलवे स्टेशन तक 10 डिब्बों की ट्रेन को पुल से गुजारा गया था, जिसका ट्रायल पूरी तरह सफल रहा था। लगभग दोपहर 12 बजे ट्रेन संगलधान से रियासी के लिए निकली और 2 बजे रियासी पहुंची थी। इस दौरान रेलवे स्टेशन पर मौजूद लोगों ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए थे।

खासियत

क्या है पुल की खासियत?

पुल बनाने के लिए रेलवे ने पहली बार ओवरहेड केबल क्रेन द्वारा मेहराब के मिंबर का निर्माण किया है। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज गति की हवा का भी सामना कर सकता है। पुल में इस्तेमाल हुआ स्टील माइनस 10 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेल सकता है। सीमा क्षेत्रों तक हर मौसम में कनेक्टिविटी के चलते इस पुल का रणनीतिक महत्व भी है।