सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की आंखों से काली पट्टी उतरी, हाथ में आया संविधान
आपने अक्सर फिल्मों या कोर्ट में न्याय की देवी की मूर्ति की आंखों पर काली पट्टी बंधी देखी होगी। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट में ऐसी मूर्ति स्थापित की गई है, जिसकी आंखों पर कोई पट्टी नहीं है। मूर्ति के हाथ में पहले तलवार थी, जिसकी जगह अब संविधान आ गया है। NDTV ने इस बात की जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में जजों के पुस्तकालय में ये मूर्ति लगाई गई है।
मुख्य न्यायाधीश ने की कवायद
रिपोर्ट के मुताबिक, ये कवायद मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने की है। उनके निर्देशों पर न्याय की देवी में बदलाव किया गया है। सूत्रों ने NDTV से कहा, "CJI चंद्रचूड़ का मानना था कि अंग्रेजी विरासत से अब आगे निकलना चाहिए। कानून कभी अंधा नहीं होता। वो सबको समान रूप से देखता है। साथ ही देवी के एक हाथ में तलवार नहीं, बल्कि संविधान होना चाहिए। इससे समाज में संदेश जाए कि वो संविधान के अनुसार न्याय करती हैं।"
क्या है मूर्ति का प्रतीकात्मक महत्व?
न्याय की देवी की अवधारणा प्राचीन मिस्र और ग्रीक समय से चली आ रही है। मूर्ति की आंखों पर पट्टी इस बात का प्रतीक है कि देवी हमेशा निष्पक्ष होकर न्याय करेंगी और बिना पक्ष को देखे फैसला करेंगी। हाथ में तराजू न्याय और संतुलन का प्रतीक है, जो बताता है कि दोनों पक्षों की समान रूप से सुनवाई होती है। हाथ में तलवार दर्शाती है कि देवी में न्याय को लागू और कार्रवाई करने का प्राधिकार और शक्ति है।