जानिये उन दो महिलाओं के बारे में, जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर रचा इतिहास
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी थी, लेकिन कई हिंदूवादी संगठनों के विरोध के कारण महिलाएं मंदिर में नहीं जा पा रही थी। सितंबर से दिसंबर तक 17 महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की, लेकिन परंपरा के नाम पर हर बार उनका रास्ता रोक लिया गया। 2 जनवरी को दो महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश कर इस परंपरा को हमेशा के लिए बदल दिया।
कौन हैं मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाएं
जिन दो महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश कर इतिहास रचा है उनके नाम बिंदु अम्मिनी और कनकदुर्गा है। ये दोनों महिलाएं रजस्वला उम्र की पहली महिलाएं बन गई हैं जिन्होंने सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन किए हैं। बिंदु ने कहा कि पुलिस ने उनकी मांग पर उन्हें सुरक्षा दी और उन्होंने सुबह 03:30 बजे मंदिर में भगवान के दर्शन किए। मंदिर में मौजूद लोगों को मंदिर में महिलाओं की उपस्थिति की भनक भी नहीं लगी।
यहां देखिये वीडियो
कन्नूर यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर हैं बिंदु
बिंदु अपने कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थीं। वे वामपंथी छात्र संगठन केरल विधार्थी संगठन की सदस्य रह चुकी हैं। केरल यूनिवर्सिटी से कानून में मास्टर्स करने के बाद बिंदु ने कन्नूर यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू कर दिया था। अपने छात्रों में बेहद प्रिय बिंदु एक दलित कार्यकर्ता भी हैं। कोझीकोड जिले की निवासी बिंदु ने राजनीतिक कार्यकर्ता हरिहरण से शादी की हैं और दोनों को एक बेटी है।
सरकारी कर्मचारी है कनकदुर्गा
कनकदुर्गा स्टेट सिविल सप्लायर्स कॉर्पोरेशन में सहायक मैनेजर हैं। कनकदुर्गा के भाई ने बताया कि वे बहुत धार्मिक प्रवृति की महिला हैं और उन्हें नहीं पता कि उन्होंने मंदिर में प्रवेश का फैसला क्यों किया। मल्लापुरम की रहने वालीं कनकदुर्गा के पति एक इंजीनियर हैं और दोनों के दो बच्चे हैं। कनकदुर्गा और बिंदु की मुलाकात सबरीमाला मंदिर में जाने की इच्छुक महिलाओं के फेसबुक पेज के माध्यम से हुई थी।
24 दिसंबर को भी की थी दर्शन की कोशिश
बिंदु और कनकदुर्गा ने 24 दिसंबर को भी मंदिर में जाने की कोशिश की थी, लेकिन भारी विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा। तब से दोनों महिलाएं पुलिस सुरक्षा में किसी अज्ञात स्थान पर रहीं। इस दौरान कनकदुर्गा के परिवार ने उनकी गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद कनकदुर्गा ने वीडियो जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट की। बुधवार को दोनों ने सालों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर इतिहास रच दिया।
ऐसे किए मंदिर में दर्शन
मंदिर में इन महिलाओं के दर्शन की जानकारी बड़े स्तर के कुछ अधिकारियों को थी। इन दोनों महिलाओं को पारंपरिक रास्ते की बजाय स्टाफ के जाने वाले रास्ते से मंदिर ले जाया गया। इनके साथ 6 पुलिसवाले भी थे और सभी ने काले कपड़े पहन रखे थे। इसके अलावा उनके सिर पर पारंपरिक इरुमुदिकट्टू (दो फोल्ड वाला झोला जिसमें मंदिर जाने वाले लोग सामान और ईश्वर को चढ़ाने वाली वस्तु रखते हैं) भी नहीं था।