ललित मोदी से पहले नीरव को भी झटका दे चुका है वानुअतु, जानिए क्या है नियम
क्या है खबर?
वानुअतु सरकार ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व संस्थापक ललित मोदी को करारा झटका देते हुए उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया है।
वानुअतू के प्रधानमंत्री जोथम नापत ने मोदी के भारत प्रत्यर्पण से बचने की मंशा को देखते हुए यह कदम उठाया है।
बड़ी बात यह है कि वानुअतू सरकार इससे पहले भगोड़े हीरा करोबारी नीरव मोदी के भी नागरिकता अनुरोध को खारिज कर चुकी है।
ऐसे में आइए जानते हैं वानुअतु में नागरिकता के नियम क्या है।
कारण
वानुअतु ने क्यों रद्द किया ललित का पासपोर्ट?
वानुअतु के प्रधानमंत्री नापत ने कहा, "मुझे पिछले 24 घंटों में पता चला कि इंटरपोल ने न्यायिक साक्ष्यों के अभाव में ललित पर अलर्ट नोटिस जारी करने के भारतीय अधिकारियों के अनुरोध को 2 बार खारिज कर दिया। ऐसे अलर्ट से ललित का नागरिकता आवेदन स्वतः खारिज होता है।"
उन्होंने कहा, "लोगों को वानूआतू का पासपोर्ट वैध कारणों से लेना चाहिए, न कि प्रत्यर्पण से बचने के लिए। ललित का इरादा साफ यही नजर आ रहा था।"
आवेदन
ललित ने 7 मार्च को भारतीय पासपोर्ट रद्द करने का किया था आवेदन
विदेश मंत्रालय ने बताया था कि ललित ने 7 मार्च को अपना भारतीय पासपोर्ट वापस करने के लिए लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग कार्यालय में आवेदन किया था।
ललित 2010 में भारत छोड़कर लंदन में रह रहे थे। इसके बाद उन्होंने दक्षिण प्रशांत द्वीप देश वानुअतु की नागरिकता प्राप्त कर ली थी, जिससे वह काफी खुश थे।
वानुअतू में ललित मोदी ने पैसे देकर नागरिकता प्राप्त की थी। यहां का पासपोर्ट भारत से ज्यादा ताकतवर माना जाता है।
नियम
वानुअतु में क्या है नागरिकता हासिल करने के नियम?
वानुअतु अपने निवेश द्वारा नागरिकता (CBI) कार्यक्रम के जरिए लोगों को नागरिकता प्रदान करता है, जिसके लिए गैर-वापसी योग्य दान या निवेश की आवश्यकता होती है।
कैपिटल इन्वेस्टमेंट इमिग्रेशन प्लान (CIIP) के अनुसार, एकल आवेदकों के लिए आवश्यक राशि 1.55 लाख डॉलर (लगभग 1.30 करोड़ रुपये) है।
खास बात है कि यहां इनकम टैक्स समेत दूसरे कई टैक्स नहीं लगते हैंं। यही इसे नागरिकता के लिए सबसे किफायती विकल्पों में से एक बनाता है।
पृष्ठभूमि
नीरव ने कब किया था नागरिकता के लिए आवेदन?
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में 13,600 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सार्वजनिक होने से लगभग 3 महीने पहले यानी नवंबर 2017 में नीरव मोदी ने वानुअतु की नागरिकता हासिल करने के लिए आवेदन किया था।
नीरव ने उस समय अपने व्यक्तिगत खाते से 1.95 लाख डॉलर (करीब 1.25 करोड़ रुपये) वानुअतु सरकार के 18 अधिकृत एजेंटों में से एक को हस्तांतरित किए थे, जो देश के निवेश कार्यक्रम द्वारा नागरिकता की सुविधा प्रदान करते हैं।
खारिज
कैसे खारिज हुआ था नीरव का आवेदन?
नीरव के आवेदन पर कार्रवाई करने वाले वानुअतु स्थित लॉ फर्म इंडिजीन लॉयर्स के प्रबंध भागीदार जस्टिन न्ग्वेले ने उस समय इंडियन एक्सप्रेस को ईमेल के जरिए बताया था कि नीरव ने आवेदन करने के बाद सरकार अपनी वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) से इसकी जांच कराई थी।
अधिकारियों ने काफी ईमानदारी से इसकी जांच की। इसमें नीरव के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई प्रतिकूल चीजें सामने आई थीं। इसके बाद सरकार ने उसका आवेदन खारिज कर दिया था।
जांच
वानुअतु सरकार ने नागरिकता कार्यक्रम की जांच कड़ी क्यों की?
निवेश द्वारा नागरिकता योजनाएं अपराधियों को मनी लॉन्ड्रिंग और अपने देश में उचित प्रक्रिया से बचने में मदद करती हैं।
पिछले साल दिसंबर में यूरोपीय संघ (EU) ने अपनी नागरिकता योजना के कारण वानुअतु के साथ वीजा-मुक्त यात्रा समझौते को रद्द कर दिया था।
EU का मानना था कि इस कार्यक्रम से उसके लिए सुरक्षा और प्रवासन जोखिम पैदा हुए हैं। इसके बाद से वानुअतु ने अपने नागरिकता कार्यक्रम की जांच को इंटरपोल सत्यापन सहित ट्रिपल-एजेंसी जांच तक बढ़ा दिया।
जानकारी
वानुअतु के प्रधानमंत्री ने भी मानी यह बात
प्रधानमंत्री नापत ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में निवेश कार्यक्रम द्वारा नागरिकता देने के लिए जांच पहलू को काफी मजबूत किया है। यही कारण है कि वानुअतु वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा की गई जांच में विफल होने वाले आवेदनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उजागर
FATF ने भी उजागर किए जोखिम
वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने भी निवेश कार्यक्रमों द्वारा नागरिकता के दुरुपयोग के जोखिमों को उजागर किया है।
FATF ने एक रिपोर्ट में कहा कि ऐसी योजनाएं अपराधियों को अधिक वैश्विक गतिशीलता प्रदान कर सकती हैं और उन्हें अन्य अधिकार क्षेत्रों में शेल कंपनियों के पीछे अपनी पहचान और आपराधिक गतिविधियों को छिपाने में मदद कर सकती हैं। यह पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है।