UAPA के तहत गिरफ्तार हुए थे बशीर अहमद, 11 साल बाद बेगुनाह साबित होकर घर लौटे
क्या है खबर?
श्रीनगर के रहने वाले बशीर अहमद बाबा 11 साल बाद अपने घर लौटे हैं। गुजरात पुलिस ने 13 मार्च, 2010 को उन पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
अहमद पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चल रहा था।
अब गुजरात की एक अदालत ने उन्हें यह कहते हुए बरी कर दिया कि पुलिस अहमद के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर पाई है।
गिरफ्तारी
आणंद से गिरफ्तार किए गए थे अहमद
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गुजरात ATS ने अहमद को आणंद से गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने उन पर आतंकी नेटवर्क स्थापिक करने के लिए रेक्की करने और 2002 में हुए गुजरात दंगों से गुस्साए मुस्लिम युवाओं को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में भर्ती करने जैसे आरोप लगाए थे।
पुलिस का यह भी आरोप था कि अहमद हिजबुल सरगना सैयद सलाउद्दीन और किसी बिलाल अहमद शेरा के साथ फोन और ईमेल के जरिये संपर्क में थे।
फैसला
अदालत ने कहा- आरोप साबित नहीं कर पाई पुलिस
23 जून को फैसला सुनाते हुए आणंद जिला अदालत के एडिशनल सेशन जज एसए नकुम ने कहा कि आरोपी के खिलाफ यह आरोप साबित नहीं हुआ कि वह गुजरात में रुका और उसे आतंकी नेटवर्क स्थापित करने के लिए विदेशों से आर्थिक मदद मिली थी। इसके भी कोई सबूत नहीं मिले हैं कि उसे ऐसी कोई मदद हासिल हुई और उसने आतंकी मॉड्यूल तैयार किया। अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित करने में असफल रहा है।
जानकारी
23 जून को अपने घर पहुंचे अहमद
कोर्ट ने कहा कि अहमद पोस्ट कैंसर केयर पर हुए कैंप में हिस्सा लेने के लिए गुजरात आए थे ताकि वो कश्मीर जाकर मरीजों की मदद कर सके। कोर्ट के आदेश के बाद रिहा हुए अहमद 23 जून को अपने घर पहुंचे थे।
जानकारी
15 दिन के लिए गुजरात आए थे अहमद
अहमद ने बताया कि 11 साल पहले वो यह सोचकर गुजरात के लिए निकले थे कि 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद घर लौट आएंगे। वो गुजरात स्थित एक NGO के साथ प्रोजेक्ट हेड के तौर पर जुड़े हुए थे।
अहमद के वकील ने खालिद शेख ने कहा कि श्रीनगर के एक डॉक्टर ने अहमद को कैंप में जाकर पोस्ट कैंसर केयर सीखने को कहा था और 28 फरवरी, 2010 को उनकी श्रीनगर वापसी का टिकट बुक था।
बयान
पुलिस ने हिजबुल आतंकी बनाकर किया था मीडिया के सामने पेश
अहमद की वापसी से पहले ही गुजरात ATS ने उन्हें होटल से गिरफ्तार कर लिया और हिजबुल आतंकी बताकर मीडिया के सामने पेश कर दिया।
शेख ने कहा, "ATS का कहना था कि अहमद कैंप के एक डॉक्टर के लैपटॉप से पाकिस्तान में हिजबुल हैंडलर को ईमेल भेज रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि अहमद कई संदिग्ध फोन कॉल करते नजर आए और खाने और नमाज के बहाने दिन में कई बार कैंप से बाहर जाते थे।"
बयान
घर लौटकर क्या बोले अहमद?
घर लौटने का अनुभव बयान करते हुए अहमद ने कहा, "मुझे पता था कि मैं निर्दोष हूं और इसी वजह से मैंने कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। मुझे पता था कि मुझे एक दिन बाइज्जत बरी किया जाएगा। कैसे बताउं कि मैंने कैसा महसूस किया? मैं बहुत खुश भी था और बहुत उदास भी।"
जेल में रहते हुए अहमद ने राजनीति और लोक प्रशासन में मास्टर्स डिग्री पूरी कर ली है।