IS का भारत में अपना 'प्रांत' बनाने का दावा, पुलिस ने कहा- घाटी से किया सफाया
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने भारत में अपना एक 'प्रांत' बनाने का दावा किया है। यह दावा उसने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के शोपियां में ढेर हुए आतंकी इशफाक अहमद सोफी से अपना संबंध बताते हुए किया। वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसके दावे को खारिज करते हुए कहा कि सोफी इस्लामिक स्टेट इन जम्मू एंड कश्मीर (ISJK) आतंकी संगठन का अंतिम सदस्य था और उसकी मौत के साथ ही ISJK का सफाया हो चुका है।
प्रांत को दिया 'विलायाह ऑफ हिंद' नाम
दरअसल, IS की समाचार एजेंसी अमाक ने शुक्रवार रात को एक नए प्रांत की घोषणा की और उसे 'विलायाह ऑफ हिंद' नाम दिया। IS ने अपने बयान में शोपियां में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ का भी जिक्र किया, जिसमें सोफी मारा गया था। IS ने सोफी की पहचान अबू नादेर अल कश्मीरी के तौर पर की। अपने एक हालिया इंटरव्यू में उसने खुद के उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले से होने का दावा किया था।
जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख ने दावे को बताया बकवास
जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, "यह दावा पूरी तरह से बकवास है। ऐसा कुछ भी नहीं है। हर कोई मारे हुए व्यक्ति पर अपना दावा करके उसे अपने शहीदों की सूची में शामिल करना चाहेगा।" वहीं, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "ISJK में केवल दो आतंकी थे। उनमें से एक हिजबुल मुजाहिदीन में चला गया और सोफी उसका अंतिम सदस्य था। उसकी मौत के साथ ही ISJK का कश्मीर से सफाया हो गया है।"
एक छात्र ने भी की थी IS में शामिल होने की घोषणा
बता दें कि पिछले साल श्रीनगर के एक छात्र एहतिशाम बिलाल ने घोषणा की थी कि वह IS के आत्मघाती दस्ते में शामिल हो गया है। हालांकि उसने कुछ महीने बाद ही आत्मसमर्पण कर दिया था।
IS और ISJK में कोई सीधा संबंध नहीं
पुलिस ने यह जानकारी भी दी कि सोफी को 2016 में हरकत-उल-मुजाहिदीन के साथ रिश्तों के लिए गिरफ्तार किया गया था। 2018 में अपनी रिहाई के बाद वह भूमिगत हो गया और ISJK से जा मिला। IS और ISJK के बीच संबंध पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों संगठनों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं दिखता। उन्होंने संभावना जताई कि कुछ युवा ने IS के विचारों से प्रेरित होकर ISJK की स्थापना की।
कश्मीर में पैर जमाने में नाकाम रहा है IS
बता दें कि IS पहले भी कश्मीर पर अपनी निगाह होने की बात कह चुका है, लेकिन अभी तक क्षेत्र में उसका कोई खास प्रभाव होने के सबूत नहीं मिले हैं। खुद आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल कह चुके हैं कि राज्य में IS की विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है। वहीं, श्रीनगर की जामिया मस्जिद पर IS का झंडा फहराए जाने के बाद अलगाववादियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए IS को गैर-इस्लामिक बताया था।