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आंदोलन में शामिल एक और किसान ने की आत्महत्या, सिंघु बॉर्डर पर जहर खाकर दी जान
अंतिम अपडेट Jan 10, 2021, 11:52 am
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कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल एक और किसान ने शनिवार को आत्महत्या कर ली। दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे धरने में शामिल 40 वर्षीय अमरिंदर सिंह ने जहर खाकर अपनी जान दे दी।
जहर खाने के बाद अमरिंदर ने साथी प्रदर्शनकारियों को बताया कि उन्होंने ये कदम इसलिए उठाया है क्योंकि सरकार उनकी मांगों को सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनकी आत्महत्या किसान आंदोलन को सफलता दिलाने में मदद करेगी।
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इस खबर मेंअमरिंदर ने मंच के पीछे खाई सल्फास की गोली अमरिंदर के परिजनों का पता लगाने में नाकाम रही है पुलिस आंदोलन के दौरान चौथे किसान ने की आत्महत्या एक वकील भी कर चुके हैं आंदोलन के दौरान आत्महत्या किसानों नेताओं की अपील- आत्महत्या के ऊपर संघर्ष को चुनें किसान क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान? असफल रही है किसानों और सरकार के बीच आठ दौर की बातचीत
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मामला
अमरिंदर ने मंच के पीछे खाई सल्फास की गोली
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हिंदुस्तान अखबार के अनुसार, सिंघु बॉर्डर पर शनिवार देर शाम जब मंच से भाषण दिए जा रहे थे, तभी पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के रहने वाले अमरिंदर सिंह ने मंच के पीछे सल्फास की गोली खा ली।
इसके बाद वह मंच के सामने आ गए और बोलते-बोलते बेहोश हो गए। उनके मुंह से झाग निकलने के बाद उन्हें सोनीपत के फ्रैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (FIMS) अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
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जानकारी
अमरिंदर के परिजनों का पता लगाने में नाकाम रही है पुलिस
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NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, अमरिंदर के शव का रविवार सुबह पोस्टमार्टम किया जाएगा। इसके बाद शव को प्रदर्शन कर रहे अन्य किसानों के हवाले किया जा सकता है क्योंकि पुलिस अभी तक अमरिंदर के परिजनों का पता लगाने में नाकाम रही है।
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अन्य मामले
आंदोलन के दौरान चौथे किसान ने की आत्महत्या
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बता दें कि अमरिंदर किसान आंदोलन के दौरान आत्महत्या करने वाले चौथे किसान हैं।
इससे पहले दिसंबर की शुरूआत में राम सिंह नामक एक 65 वर्षीय सिख संत ने सिंघू बॉर्डर के पास खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके कुछ दिन बाद एक 22 वर्षीय किसान ने भी बठिंडा में प्रदर्शन से लौटने के बाद आत्महत्या कर ली।
वहीं उत्तर प्रदेश के कश्मीर सिंह लाडी ने 2 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली थी।
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वकील की आत्महत्या
एक वकील भी कर चुके हैं आंदोलन के दौरान आत्महत्या
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इसके अलावा आंदोलन में शामिल पंजाब के एक वकील भी जहर खाकर टिकरी बॉर्डर पर आत्महत्या कर चुके हैं।
अमरजीत सिंह नामक इन वकील के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था। 'तानाशाह मोदी के नाम पत्र' शीर्षक वाले इस नोट में उन्होंने किसानों के आंदोलन के समर्थन में आत्महत्या करने की बात कही थी।
अमरजीत ने लिखा था कि कृषि कानूनों से किसान और मजदूर छला हुआ महसूस कर रहे हैं।
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अपील
किसानों नेताओं की अपील- आत्महत्या के ऊपर संघर्ष को चुनें किसान
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एक के बाद एक कई किसानों के आत्महत्या करने जैसा कदम उठाने के बाद किसान नेताओं ने उनसे ऐसा करने और आत्महत्या के ऊपर संघर्ष को चुनने की अपील की।
भारतीय किसान संघ (BKU) के नेता बूटा सिंह और जगमोहन ने कहा है कि किसानों को आत्महत्या नहीं करनी चाहिए।
किसानों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें आत्महत्या करने की बजाय आंदोलन और संघर्ष में शामिल होना चाहिए।
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पृष्ठभूमि
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
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दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
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बातचीत
असफल रही है किसानों और सरकार के बीच आठ दौर की बातचीत
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इस गतिरोध को तोड़ने के लिए केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठ दौर की बातचीत भी हो चुकी है, हालांकि इनमें कोई समाधान नहीं निकला है।
8 जनवरी को हुई पिछली बातचीत में सरकार ने साफ कर दिया कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी और किसान चाहें तो सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
किसान भी अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और उन्हें कानूनों की वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।