महाराष्ट्र: कोरोना वायरस की दवाएं खरीदने के लिए दिखाना होगा आधार कार्ड और पॉजिटिव रिपोर्ट
कोरोना वायस की महत्वपूर्ण दवाओं की किल्लत के बीच महाराष्ट्र सरकार ने इन दवाओं की खरीद से संबंधित नियमों में बदलाव किया है। अब से इन दवाओं की खरीदने के लिए लोगों को अपना आधार कार्ड, कोरोना वायरस पॉजिटिव साबित करने वाली रिपोर्ट, डॉक्टर का पर्चा और फोन नंबर की जरूरत होगी। बता दें कि महाराष्ट्र समेत अन्य कई राज्यों में मरीजों की बढ़ती संख्या और कालाबाजारी के कारण इन महत्वपूर्ण दवाओं की किल्लत हो रही है।
महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ रही है संक्रमितों की संख्या
महाराष्ट्र में मरीजों की संख्या बेहद तेजी से आगे बढ़ रही है और राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 95,943 है। इनमें से हल्के और गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को रेमडेसिवीर और टॉसिलीजुमैब जैसी दवाएं दी जा रही हैं और इसलिए बढ़ते मरीजों के साथ-साथ इन दवाओं की मांग भी बढ़ती जा रही है। इसके अलावा कालाबाजारी के लिए भी इनकी "फर्जी किल्लत" पैदा की जा रही है और इन्हें 10 गुना ज्यादा कीमतों पर बेचा जा रहा है।
महाराष्ट्र के FDA मंत्री बोले- दवाओं की मांग बढ़ रही
इन्हीं दोनों समस्याओं को देखते हुए महाराष्ट्र के खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) मंत्री राजेंद्र सिंघने ने कहा, "हमारे पास दवाईयों की पर्याप्त आपूर्ति है, लेकिन दवाओं की मांग बढ़ गई है। हमें शिकायत मिली है कि इन दवाओं को काला बाजार में बेचा जा रहा है। हम इन काला बाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि जिन लोगों को इन दवाओं की जरूरत नहीं है, वे भी इन्हें खरीद रहे हैं।
गैर-जरूरी खरीद को रोकने के लिए अनिवार्य किए गए दस्तावेज
जिन लोगों को दवाओं की जरूरत नहीं है, उनके दवा खरीदने पर रोक लगाने के लिए ही महाराष्ट्र सरकार ने दवाएं खरीदने के लिए कुछ दस्तावेज दिखाना अनिवार्य किया है। सिंघने ने कहा, "केवल कोरोना वायरस के मरीज जिनके पास डॉक्टर का पर्चा, आधार कार्ड और एक फोन नंबर है, उन्हें ही दवाएं मिलेंगी। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। अगर इन दवाओं के लिए ज्यादा पैसे ले रहा है, तो सरकारी हेल्पलाइन पर संपर्क कीजिए हम कार्रवाई करेंगे।"
कालाबाजारी रोकने के लिए DGCI ने लिखा था राज्यों को पत्र
इससे पहले रेमडेसिवीर की कालाबाजारी की शिकायत मिलने के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) वीजी सोमानी ने भी राज्य सरकारों को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि इस दवा की कालाबाजारी नहीं हो।
भारत में ये कंपनियां बना रही हैं रेमडेसिवीर
अमेरिकी कंपनी गिलियाड की दवा 'रेमडेसिवीर' को कोरोना वायरस के इलाज में फायदेमंद पाया गया है और इसका सेवन करने वाला मरीज 15 की बजाय 11 दिन में ठीक हो जाता है। पिछले महीने ही इसे भारत में गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज के लिए आपातकालीन प्रयोग की मंजूरी मिली थी। गिलियाड से समझौते के बाद सिप्ला, हेटेरो, माइलन डेसरम जैसी कंपनियां इसका जेनरिक वर्जन बना रही हैं और इनकी कीमत 4,000 रुपये से 5,400 रुपये के बीच है।