केरल: बढ़ता जा रहा है बाढ़ का कहर, राहुल ने प्रधानमंत्री को फोन करके मांगी मदद
केरल में बाढ़ की स्थिति विकट होती जा रही है और इससे राज्य में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग लापता है। जलभराव के कारण कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी रविवार तक बंद कर दिया गया है। वहीं, केरल के वायनाड से सांसद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन करके मदद मांगी है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया है।
4 जिलों में रेड अलर्ट
केरल के कई जिलों में पिछले कई दिनों से भारी बारिश हो रही है। आगे और बारिश की संभावना को देखते हुए भारतीय मौसम विभाग ने राज्य के 4 जिलों, इडुक्की, मलप्पुरम, कोझिकोड और वायनाड, में रेड अलर्ट जारी किया है। शुक्रवार को बाढ़ के कारण वायनाड में 4, इडुक्की में 2 और मलप्पुरम में एक व्यक्ति की मौत हो गई। राज्य में भूस्खलन के लगभग 24 मामले सामने आए हैं, जिनमें कई लोगों के फंसे होने की आशंका है।
वायनाड में बाढ़ का सबसे अधिक प्रकोप
भारी बारिश के कारण आई बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रकोप वायनाड जिले में देखने को मिला है, जहां कई इलाके भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग से कट गए हैं। भूस्खलन के कारण जिले में मानव बस्तियों और जंगलों में भारी तबाही हुई है। ऐसे इलाकों में कई लोगों के फंसे होने की आशंका है, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए NDRF की टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। लोग अस्पतालों में अपने लापता परिजनों को ढूढ़ रहे हैं।
वायनाड में देखते-देखते ढह गया घर
राहुल ने मांगी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मदद
बाढ़ की इस विकटता को देखते हुए वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया और मदद मांगी। राहुल के वायनाड ऑफिस ने ट्वीट करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया है। इससे पहले राहुल ने गुरूवार को राज्य के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से बात करते हुए वायनाड के लोगों के मदद मांगी थी।
पिछले साल की तबाही से कोई सीख नहीं
पिछले साल भी केरल में भीषण बाढ़ आई थी, जिसमें 450 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस दौरान राज्य के 14 में से 13 जिलों में रेड अलर्ट घोषित किया गया था और करीब 10 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। इस साल भी हो रहे नुकसान को देखकर कहा जा सकता है कि सरकार और प्रशासन ने पिछले साल की तबाही से कोई सीख नहीं ली।