कीमत से लेकर फायदे तक, EVM के बारे में ये बातें आपको जरूर जाननी चाहिए
लोकसभा चुनाव आते ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की चर्चा भी शुरू हो गई है। विपक्षी पार्टियां लगातार EVM पर सवाल उठाती रही हैं, वहीं चुनाव आयोग और सरकार इसे बिल्कुल सुरक्षित बता रहे हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता। इन सबके बीच आपने मन में भी EVM को लेकर कई सवाल आते होंगे। हम अपने इस लेख में उन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। आइए जानें।
EVM क्या होती है?
EVM वोट रिकॉर्ड करने का एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। यह मशीन कंट्रोल यूनिट और बैलेटिंग यूनिट से मिलकर बनी होती है। इन दोनों को 5 मीटर की केबल के जरिए जोड़ा गया होता है। कंट्रोल यूनिट चुनाव अधिकारी के पास और बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कंपार्टमेंट में रखी होती है। वोटर्स के वोट डालने से पहले चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट से बैलेट बटन दबाते है। इसके बाद वोटर बैलेट यूनिट पर लगा ब्लू बटन दबाकर अपना वोट डाल सकते हैं।
ये कंपनियां बनाती हैं EVM
EVM को चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति (TEC) ने दो सार्वजनिक उपक्रमों भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) बेंगलुरू और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) हैदराबाद के साथ मिलकर डिजाइन किया है। यही दोनों कंपनियां EVM बनाती हैं। इन दोनों कंपनियों के इंजीनियर ही जिला निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में EVM मशीनों की फर्स्ट लेवल चेकिंग (FLC) करते हैं। सबसे पहली बार EVM को सन 1982 में केरल में पारुर विधानसभा के चुनावों में इस्तेमाल किया गया था।
EVM की कीमत क्या है?
EVM की कीमत की बात की जाए तो 2006 से 2010 के बीच बनी M2 EVM की कीमत 8,670 रुपये है। वहीं 2013 के बाद बनी M3 EVM की कीमत 17,000 रुपये है।
एक EVM पर कितने उम्मीदवारों के लिए वोट डाले जा सकते हैं?
फिलहाल दो तरह की EVM इस्तेमाल हो रही है। M2 EVM में नोटा (NOTA) समेत कुल 64 उम्मीदवारों के लिए वोट डाले जा सकते हैं। इसकी बैलेट यूनिट में 16 उम्मीदवारों के नाम आते हैं। किसी सीट पर 16 से ज्यादा उम्मीदवार हैं तो दूसरी बैलेट यूनिट लगाई जाती है। इस तरह चार बैलेट यूनिट के सहारे 64 उम्मीदवारों के लिए वोट डाले जा सकते हैं। वहीं M3 EVM में कुल 384 उम्मीदवारों के लिए वोट डाले जा सकते हैं।
एक EVM में कितने वोट डाले जाते हैं?
एक EVM में सिर्फ 2,000 वोट रिकॉर्ड होते हैं। वोटों की संख्या इससे पार जाने पर दूसरी EVM इस्तेमाल में लाई जाती है। सारी EVM बैटरी के सहारे चलती है। ऐसे में जिन इलाकों में बिजली नहीं होती, वहां पर आसानी से वोटिंग हो सकती है। अगर वोटिंग के दौरान किसी EVM में खराबी आती है तो इसकी जगह दूसरी EVM लगा दी जाती है। EVM में एक बार में केवल एक ही वोट डाला जा सकता है।
क्या है EVM के बड़े फायदे?
EVM की वजह से अवैध वोट डालने की समस्या पर रोक लगी है। EVM पर अवैध वोट नहीं डाला जा सकता। EVM के कारण लाखों-करोड़ों की संख्या में बैलट पेपर छापने की जरूरत नहीं होती। इस वजह से बैलट पेपर की छपाई, संग्रहण, वितरण और लाने-ले जाने पर होने वाले खर्च की बचत हुई है। बैलट पेपर की तुलना में EVM से वोटों की गणना बहुत तेजी और आसानी से की जा सकती है।
पहली बार EVM पर दिखेगा प्रत्याशी का चेहरा
2019 के लोकसभा चुनावों में पहली बार मतदाताओं को EVM मशीनों में प्रत्याशियों का चेहरा देखने को मिलेगा। इससे पहले EVM में प्रत्याशी और उसकी पार्टी का चुनाव चिन्ह ही होता था। कई बार राजनीतिक पार्टियों की ओर से यह शिकायत दर्ज कराई जा चुकी है कि एक जैसे चुनाव चिन्ह होने के कारण मतदाता गलत प्रत्याशी को वोट दे जाए। अब प्रत्याशियों की तस्वीर होने से पार्टियों और मतदाताओं की समस्या का समाधान हो सकेगा।