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    #NewsBytesExclusive: राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड जीतने वाले भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल के साथ खास बातचीत
    52 किलोग्राम भारवर्ग में अमित पंघाल का है जलवा

    #NewsBytesExclusive: राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड जीतने वाले भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल के साथ खास बातचीत

    लेखन Neeraj Pandey
    Aug 15, 2022
    11:19 am

    क्या है खबर?

    52 किलोग्राम भारवर्ग में दुनिया के नंबर एक मुक्केबाज अमित पंघाल के लिए राष्ट्रमंडल खेल 2022 शानदार रहा। उन्होंने एकतरफा अंदाज में इवेंट का गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

    अमित 2020 टोक्यो ओलंपिक में निराशा लेकर लौटे थे, लेकिन राष्ट्रमंडल में उन्होंने दमदार वापसी की है। अब अमित का निशाना 2024 ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने पर हैं।

    न्यूजबाइट्स ने अमित के साथ खास बातचीत की है।

    आइए जानते हैं अमित ने क्या-क्या कहा।

    परिचय

    कौन हैं अमित पंघाल?

    26 साल के अमित पंघाल हरियाणा के रोहतक के रहने वाले हैं।

    2017 में उन्होंने नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पहली बार हिस्सा लेते हुए ही गोल्ड मेडल जीत लिया था।

    2018 राष्ट्रमंडल खेल में सिल्वर मेडल के साथ अमित ने अपना पहला बड़ा मेडल जीता था।

    सितंबर 2019 में वह AIBA वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने थे।

    अमित को मुक्केबाजी में शानदार प्रदर्शन के लिए 'अर्जुन अवार्ड' भी मिल चुका है।

    शुरुआत

    9-10 साल की उम्र से ही मुक्केबाजी करने लगे थे अमित

    अमित 9-10 साल की उम्र में ही मुक्केबाजी शुरु कर चुके थे और ऐसा करने के लिए उनके भाई ने उन्हें प्रेरित किया था। नेशनल चैंपियन बनने के बाद उन्हें सेना में नौकरी भी मिल गई थी।

    उन्होंने बताया, "सेना में मेरा चयन खेल के कारण ही हुआ था और नौकरी मिलने के बाद सेना ने मुझे देश के लिए खेलने की पूरी छूट दी। मुझे केवल देश के लिए खेलना होता है।"

    परिवार

    अमित का करियर बनाने के लिए बड़े भाई ने कुर्बान किया अपना करियर

    अमित के बड़े भाई अजय भी मुक्केबाज रह चुके हैं, लेकिन बाद में उन्होंने सेना की नौकरी ज्वाइन कर ली थी।

    इस बारे में अमित ने कहा, "अगर दोनों भाई मुक्केबाजी करते तो परिवार के लिए आर्थिक रूप से यह सही नहीं होता और इसीलिए अजय ने मुक्केबाजी छोड़कर नौकरी पकड़ ली थी। वह साइकिल पर बैठाकर मुझे ट्रेनिंग के लिए ले जाता था और बाद में कोच को मेरा खेल पसंद आ गया था।"

    सबसे बड़ा लम्हा

    एशियन गेम्स फाइनल मेरे करियर का सबसे बड़ा मुकाबला- अमित

    अमित ने एशियन गेम्स के फाइनल मैच को अपने करियर का सबसे बड़ा लम्हा बताया है क्योंकि उस मैच में उनके खिलाफ रियो ओलंपिक चैंपियन हसनबॉय थे।

    उन्होंने कहा, "वैसे तो हर प्रतियोगिता मेरे लिए बड़ी है, लेकिन एशियाई खेलों के फाइनल में जब हसनबॉय रिंग में था तब मुझे लगा कि ये फिर कभी नही मिलेगा, आज ही इसका हिसाब बराबर कर देता हूं। खुशी है कि मैं देश के लिए राष्ट्रगान बजवा सका।"

    ट्रेनिंग की सुविधा

    भारत और विदेशों की ट्रेनिंग में नहीं है अधिक अंतर- अमित

    अमित के मुताबिक भारत और विदेश की ट्रेनिंग में कुछ खास अंतर नहीं है। उनके हिसाब से केवल मौसम का अंतर आता है और बाकी चीजें लगभग समान ही होती हैं।

    उन्होंने फिटनेस के बारे में कहा, "नेशनल कैंप में हमें एक चार्ट दिया जाता है जिसे हम सभी फॉलो करते हैं। यह पूरी तरह से टीम वर्क होता है। सेना की तरफ से तो मुझे पूरी आजादी मिलती है।"

    चुनौती

    मेरी कैटेगिरी में हर जगह मिलती है कड़ी चुनौती- अमित

    अमित जिस कैटेगिरी में खेलते हैं उसमें काफी करीबी मुकाबले देखने को मिलते हैं और इसमें चुनौती भी काफी तगड़ी देखने को मिलती है।

    सबसे कड़ी चुनौती के बारे में अमित ने कहा, "मेरी कैटेगरी में राष्ट्रमंडल, एशियाई और ओलंपिक तीनों में समान रूप से चुनौती मिलती है। इस बार टोक्यो में गोल्ड इंग्लैंण्ड का था। पिछली बार राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड इंग्लैंड का था। रिओ 2016 में कजाकिस्तान का था। तीनों ओलिंपिक जैसे हैं।"

    बयान

    पेरिस ओलंपिक के लिए दिन-रात चल रही तैयारी- अमित

    पेरिस ओलंपिक 2024 की तैयारियों को लेकर अमित ने कहा, "हर रोज ओलंपिक की तैयारी है। खेल मंत्रालय और मुक्केबाजी संघ दिन-रात लगा हुआ है। सारी सुविधाएं हमें दे रखी हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी हमसे बातचीत करते हैं। सब अच्छा चल रहा है।"

    ओलंपिक

    पेरिस ओलंपिक में बजेगा राष्ट्रगान, ये देश से मेरा वादा है- अमित

    राष्ट्रमंडल खेल 2022 में गोल्ड मेडल जीतने वाले अमित ने 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक में भी गोल्ड लाने का वादा किया है।

    उन्होंने कहा, "हम सभी मुक्केबाज राष्ट्रमंडल में अच्छा खेले। एक-दूसरे का हौसला बढ़ाया, प्रैक्टिस अच्छी थी और इसी कारण इतने मेडल आये। आगे इसे बरकरार रखना है। पेरिस में भी राष्ट्रगान बजेगा, ये मेरा देश से वादा है। सभी का प्यार और आशीर्वाद बना रहे।"

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