#NewsBytesExclusive: अब OTT के मंच पर दर्शकों को गुदगुदाएंगे परेश गणात्रा
'नो एंट्री' से लेकर 'वेलकम' जैसी कई हिट फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके अभिनेता परेश गणात्रा फिर कॉमेडी का तड़का लगाने को तैयार हैं, लेकिन किसी फिल्म या शो में नहीं, बल्कि वेब सीरीज में। परेश कॉमेडी वेब सीरीज 'द ग्रेट वेडिंग्स ऑफ मुन्नेस' में दिखेंगे। हाल ही में न्यूजबाइट्स ने उनसे बातचीत की, जहां उन्होंने अपने सफरनामा और अपनी आगामी सीरीज से जुड़ीं कई अहम बातें साझा कीं। पढ़िए परेश से हुई बातचीत के मुख्य अंश।
एक्टर बनने का ख्याल कब आया?
अभिनय का कीड़ा तो मुझे स्कूल से ही काटने लगा था। यही वजह है कि 16 साल की उम्र से ही थिएटर करना शुरू कर दिया था। भले ही MBA कर मैंने अपने 18 साल नौकरी में निकाल दिए, लेकिन मन अभिनय में ही बसता था। आखिरकार नौकरी को ठेंगा दिखाकर अभिनय जगत में दस्तक दी और अपने पहले ही धारावाहिक 'बा बहू और बेबी' से दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वेब सीरीज 'द ग्रेट वेडिंग्स ऑफ मुन्नेस' के लिए रजामंदी देने की क्या खास वजह रही?
सबसे अच्छी बात है कि यह सीरीज राज शांडिल्य ने लिखी है, जो मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। इसमें मथुरा का परिवार दिखाया गया है। लिहाजा मुझे इसमें बृज भाषा बोलने का मौका मिला, वरना इससे पहले हमेशा गुजराती किरदार ही मेरी झोली में आते थे, जिनसे मैं बाहर निकलना चाहता था। यह इस लिहाज से भी खास है, क्योंकि इसमें मुझे अनूठे ढंग से पेश किया गया है। शायद मेरी पहली झलक देख आप मुझे पहचान भी ना पाएं।
सीरीज में अपने किरदार के लिए आपने क्या खास तैयारी की?
इसमें मेरे किरदार का नाम पत्ते फूफा है, जो पत्ते खेलने का शौकीन है। इस भूमिका ने मुझे आकर्षित किया। इसके लिए मैंने अपने लहजे पर खास ध्यान दिया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे डायलॉग जरा भी बनावटी लगें। शूटिंग शुरू करने से पहले मेरे मथुरा के दोस्त शेखर गुप्ता और लकी आर्या ने मुझे इस भाषा की बारीकियां समझाईं। इसके अलावा सेट पर सूरज और विवेक तो थे ही, जिन्होंने बृज भाषा में हमारी पकड़ मजबूत की।
न्यूजबाइट्स प्लस
कॉमेडी से लबरेज वेब सीरीज 'द ग्रेट वेडिंग्स ऑफ मुन्नेस' में अभिषेक बनर्जी और बरखा सिंह जैसे कलाकार भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगे। फिल्म 'ड्रीम गर्ल' का निर्देशन कर चुके राज शांडिल्य इस सीरीज के निर्माता हैं। यह 4 अगस्त को वूट पर स्ट्रीम होगी।
क्या एक जैसा काम कर कलाकार पर टाइपकास्ट का ठप्पा लग जाता है?
कोई भी एक्टर हमेशा एक जैसी भूमिका नहीं निभाना चाहता, लेकिन जब-जब मैंने कॉमेडी की, मैं सफल हुआ। मैं भी चाहता हूं कि मैं अलग-अलग जॉनर में काम करूं, लेकिन क्या करूं निर्माताओं-निर्देशकों को मेरे अंदर सिर्फ एक कॉमेडियन नजर आता है। वो इसलिए कि मैं कॉमेडी करने में माहिर हूं। फिल्मकारों को लगता है कि मुझे कॉमेडी से परे कुछ देंगे तो कहीं उन्हें जोखिम ना उठाना पड़े। इस चक्कर में कुछ हटके करने का मौका नहीं मिल पाता।
क्या फिल्मों में सहायक भूमिका निभाते हुए असुरक्षा का भाव मन में नहीं आया?
मैं एक कैरेक्टर आर्टिस्ट हूं। हीरो नहीं हूं। हम जैसे कलाकारों के लिए उम्र की कोई पाबंदी नहीं होती। हम जब तक चाहें, तब तक काम कर सकते हैं। मेरे मन में कभी असुरक्षा का भाव आया ही नहीं और आता भी कैसे? असुरक्षा तो उसे होती है, जिसे खुद पर भरोसा नहीं होता। भगवान की दया से मेरे पास काम की कमी कभी नहीं रही और ना ही कभी ऐसा सोचा कि मुझे आगे काम मिलेगा या नहीं।
कोई भी प्रोजेक्ट साइन करने से पहले आप किन बातों का ध्यान रखते हैं?
मैं अपनी स्क्रीन टाइमिंग की परवाह नहीं करता। मेरे लिए किरदार बड़ा नहीं, बल्कि प्रभावी होना चाहिए। डायरेक्टर, राइटर, प्रोडक्शन हाउस, सह-कलाकार और मेरा किरदार क्या है, इन सब पर गौर फरमाता हूं। पैसों को मैं उतनी प्राथमिकता नहीं देता। अगर मैं पैसो को तरजीह दूंगा तो मुझे अपने काम से समझौता करना पड़ेगा। मैं लंबी रेस का घोड़ा बनना चाहता हूं। 200-300 फिल्में कर और पैसे कमाकर घर पर नहीं बैठना चाहता। मेरा मकसद बस पैसा कमाना नहीं है।
क्या भाई-भतीजावाद का आप पर असर पड़ा?
मैं भले ही फिल्मी घराने से ताल्लुक नहीं रखता, लेकिन मैंने कभी भाई-भतीजावाद का सामना नहीं किया और यह तो हर पेशे में होता है। एक्टर का बेटा एक्टर बन रहा है तो उसमें बुराई क्या है? ऐसे कई स्टार किड्स हैं, जो अपने माता-पिता की तरह सफलता का स्वाद नहीं चख पाए, इसलिए स्टार किड्स को कसूरवार ठहराना गलत है। माना कि गॉडफादर की बदौलत इंडस्ट्री में ब्रेक आसानी से मिल जाता है, लेकिन आखिरकार काम ही बोलता है।
क्या आज कंटेंट ही असली हीरो है?
किसी भी सुपरस्टार की सभी फिल्में हिट नहीं होतीं। वजह यह कि कंटेंट में दम नहीं होता। कंटेंट ही किंग है। डिजिटल का दायरा बढ़ गया है। OTT पर शानदार काम हो रहा है। अगर कंटेट बढ़िया नहीं होगा तो भला कोई थिएटर में फिल्म देखने क्यों जाएगा? दर्शक अब ज्यादा स्मार्ट हो गए हैं। वे ट्रेलर देखकर ही भांप लेते हैं कि फिल्म देखनी है या नहीं। कंटेट के चलते ही अब छोटी फिल्में बड़ा धमाका कर रही हैं।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी के मुताबिक, OTT से कुछ लोग सिर्फ पैसा कमा रहे हैं; आप क्या कहेंगे?
वो नवाजुद्दीन सर का व्यक्तिगत नजरिया है। मेरे हिसाब से तो ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है, जहां सिर्फ बढ़िया कंटेंट ही दिखाया जा रहा हो। ना सिर्फ OTT, बल्कि फिल्मों से लेकर टीवी तक में पैसे कमाने की होड़ में कचरा भी परोसा जा रहा है। अच्छा-बुरा कंटेंट हर माध्यम में है। माना कि OTT पर हर तरह का कंटेंट बन बन रहा है, लेकिन यह आपको तय करना है कि आपको कुछ भी करना है या बेहतर चुनना है।
सलमान खान संग काम करने का अनुभव कैसा रहा?
सलमान एक बहुत अच्छे इंसान हैं। मैंने पहली बार उनके साथ फिल्म 'नो एंट्री' में काम किया था। वह जमीन से जुड़े हुए हैं और अपने स्टारडम पर इतराते नहीं हैं। उनके साथ सेट पर मैंने बहुत अच्छा वक्त बिताया। सलमान हमेशा मुझसे बड़े प्यार से मिलते हैं। उनमें घमंड नाम की कोई चीज नहीं है। वह बहुत ही साधारण व्यक्ति हैं। जो लोग उनसे वाकिफ नहीं हैं, उन्हें लगता है कि वह घमंडी हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
जल्द ही फिर बड़े पर्दे पर दिख सकते हैं परेश
अपनी आगामी फिल्मों के बारे में परेश ने कहा कि उन्होंने दो फिल्में साइन की थीं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण शूटिंग शुरू नहीं हो पाई। उन्हें जानकारी मिली है कि दिसंबर में शूट शुरू हो सकता है, लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ है।