
#NewsBytesExclusive: बच्चों में क्यों हो रही दांत संबंधी समस्याएं? विशेषज्ञ से जानिए कारण और समाधान
क्या है खबर?
कम उम्र के बच्चों में दांतों की समस्याएं आम होती जा रही हैं। वर्तमान में बच्चे दांतों में टेढ़ापन, कैविटी और मसूड़ों की बीमारी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इससे परिजनों की चिंताएं बढ़ रही है। न्यूजबाइट्स हिंदी ने इस संबंध में दंत चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ अभिषेक बंसल से बात कर इन बीमारियों के कारण और समाधान जानने का प्रयास किया। आइए जानते हैं डॉ बंसल ने बच्चों में दातों की बीमारी के क्या कारण और समाधान बताए हैं।
कारण
बच्चों में दांतों की समस्याएं होने के क्या कारण हैं?
डॉ बंसल ने बताया कि बच्चों में दांतों की समस्याएं होने का मुख्य कारण उनका खान-पान है क्योंकि माता-पिता कम उम्र में ही बच्चों को कार्बोनेटेड पेय, दांतों में चिपकने वाले खाद्य पदार्थ और मीठी खान-पान की चीजें खाने को दे देते हैं। उन्होंने आगे कहा कि खान-पान के अतिरिक्त खराब मौखिक स्वच्छता, कुछ चिकित्सा स्थितियां और आनुवंशिक कारक भी बच्चों में दांतों की समस्याएं होने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
उम्र
दांतों की समस्या किस उम्र में शुरू होती है?
डॉ बंसल का कहना है, "दांतों की समस्याएं होने के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है। दांतों से संबंधित बीमारियां जीवन के विभिन्न चरणों में शुरू हो सकती हैं और अगर बच्चों की बात की जाए तो दांत निकलने के समय उनके मसूड़ों में सूजन और बेचैनी हो सकती है। इसी तरह 1 साल की उम्र के बाद से कैविटी, दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारियां होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।"
आम समस्या
बच्चों में दांतों की सबसे आम समस्या क्या है?
डॉ बंसल ने बताया कि बच्चों के दांतों में कैविटी होना सबसे ज्यादा आम है और ये दूध के दांतों से लेकर स्थायी दांतों तक किसी भी उम्र में हो सकती है। उनका कहना है कि कैविटी की समस्या तब होती है जब मुंह में मौजूद बैक्टीरिया एसिड बनाकर दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर माता-पिता को अपने बच्चे के दांतों में कालपन दिखता है तो उसे दंत चिकित्सक के पास लेकर जाएं।
आदतें
दांतों को प्रभावित करने वाली बचपन की आदतें
डॉ बंसल ने बताया कि अंगूठा चूसना और मुंह से सांस लेना आदि ऐसी आदतें हैं, जो बच्चों में लंबे समय तक रहे तो इनसे उनके जबड़े का विकास ढंग से न होना समेत कई अन्य दिक्कते हो सकती हैं। उनका कहना है कि बच्चों की अंगूठा चूसने के आदत छुड़ाने के लिए माता-पिता दंत चिकित्सक की सलाह अनुसार माउथ क्रिब नामक ऑर्थोडॉन्टिक उपकरण का इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि मुंह से सांस लेने पर उन्हें बार-बार टोक सकते हैं।
खान-पान
दांतों के लिए नुकसानदायक और लाभप्रद खान-पान की चीजें
डॉ बंसल ने बताया कि सबसे पहले बच्चों को मीठी खान-पान की चीजों, कार्बोनेटेड पेय, दांतों में चिपकने वाले खाद्य पदार्थों और खट्टे खाद्य पदार्थों से दूर रखन चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों की डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दुग्ध उत्पाद, फल, सब्जियां, सूखे मेवे और पानी आदि को जरूर शामिल करना चाहिए क्योंकि ये दांतों और मसूड़ों के लिए लाभदायक होते हैं।
दांतों का स्वास्थ्य
क्या केवल ब्रश करने से बच्चों के दांत और मुंह का स्वास्थ्य ठीक रह सकता है?
डॉ बंसल ने कहा कि दांत और मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिए बच्चों को ब्रश ढंग से करना चाहिए। अगर बच्चा छोटा है तो माता-पिता को उसके दांत साफ करने चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "ब्रश के अलावा बच्चों के लिए फ्लोसिंग भी जरूरी है, जो दांतों के बीच और मसूड़ों के नीचे जमी हुई गंदगी और अशुद्धियों को हटाने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त स्वस्थ आहार लेना और दंत चिकित्सक की जांच करवाना भी महत्वपूर्ण है।
टूथपेस्ट
बच्चों के लिए नार्मल टूथपेस्ट इस्तेमाल कर सकते या कोई अलग होना चाहिए?
डॉ बंसल का कहना है कि कई माता-पिता उसी टूथपेस्ट का इस्तेमाल अपने बच्चों के दांतों को साफ करने के लिए करते हैं, जिससे वे खुद के दांत साफ करते हैं। हालांकि, ऐसा करन गलत है। उन्होंने बताया कि बड़ों के टूथपेस्ट में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होती है, जो बच्चों के दांतों को नुकसान पहुंचाती है इसलिए उनके लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए टूथपेस्ट ही खरीदने चाहिए।
दांतों की जांच
किस उम्र में बच्चों को दंत चिकित्सक के पास लेकर जाना चाहिए?
डॉ बंसल ने कहा, "बच्चों को तभी से दंत चिकित्सक के पास लेकर जाना चाहिए जब उनका पहला दांत आए ताकि वह दंत चिकित्सक को दांत दिखाने के अनुकूल हो सके। इसके बाद नियमित जांच के लिए उन्हें हर 6 महीने के अंदर दंत चिकित्सक के पस लेकर जाना चाहिए, फिर चाहें उनके दांतों में कोई दिक्कत हो या नहीं। इस तरीके से वे दांतों और मुंह की समस्याओं से बचे रह सकते हैं।"
परिचय
डॉ बंसल को 14 साल से अधिक का है अनुभव
डॉ अभिषेक बंसल की दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-3 में खुद की एलीट नाम की क्लिनिक है और उन्हें प्रोस्थोडोन्टिक्स, इम्प्लांटोलॉजी, डेंटल इंप्लांट का 14 साल से ज्यादा का अनुभव है। डॉक्टर बंसल का मुख्य उद्देश्य दांतों की समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना और जीवन को बेहतर बनाना है। उन्हें दंत चिकित्सक के तौर पर बेहतर योगदान के लिए अब तक कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिल चुके हैं।