#NewsBytesExclusive: अभिनय नहीं, गायकी था बेमिसाल अभिनेता बृजेंद्र काला का पहला प्यार
बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें लोग उनके नाम से ज्यादा काम से जानते हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी और सिनेमा की नब्ज पहचानने वाले अभिनेता बृजेंद्र काला उन्हीं में शुमार हैं, जो बीते कई सालों से सफलता का स्वाद चख रहे हैं। थिएटर से लेकर टीवी और फिल्मी दुनिया में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके बेहद विनम्र और असाधारण अभिनेता बृजेंद्र ने अपनी सिनेमाई यात्रा को लेकर न्यूजबाइट्स से बातें कीं। यहां पढ़िए पूरी बातचीत।
अभिनय की दुनिया में करियर बनाने के बारे में कब सोचा?
"मेरी एकमात्र मोहब्बत गायकी थी। फिल्मी दुनिया तो बड़ी तिलस्मी लगती थी। यहां आना संयोग से हुआ। गाने का शौकीन बचपन से था। आठवीं क्लास में था तो स्कूल के समारोहों में गाने गाता था। शहर में लोग मुझे गाने के लिए बुलाते थे। जब 12वीं में था, उस वक्त स्कूल के सालाना समारोह में मैंने एक प्ले किया और मुझे बेस्ट एक्टर के लिए 21 रुपये का पुरस्कार मिला। तब अहसास हुआ कि मैं अभिनय भी कर सकता हूं।"
अपने अभिनय के सफर को आप किस तरह देखते हैं?
काला ने बताया कि पहले उन्हें काम मांगने जाना पड़ता था, लेकिन अब काम उनके पास आ रहा है। इससे ज्यादा एक अभिनेता को और क्या चाहिए? उन्होने कहा, "मुझे अपने करियर से कोई शिकायत नहीं है और ना ही कोई पछतावा है। किसी भी फील्ड में अपनी पकड़ बनाने के लिए पापड़ बेलने ही पड़ते हैं। 'पान सिंह तोमर', 'मिथ्या' और 'आंखों देखी' जैसी फिल्मों ने मेरे संघर्ष की राह आसान कर दी थी।"
क्या कभी अपने लुक को लेकर रिजेक्शन का सामना करना पड़ा?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मैं उस दौर में मायानगरी आया, जब निर्माताओं को खलनायक भी गुड लुकिंग चाहिए थे। मैं था बिल्कुल दुबला-पतला, कम कद-काठी वाला। एक बार मैं काम मांगने गया। दरवाजा खुला तो लंबा-चौड़ा शख्स मेरे सामने आया। उन्होंने कहा मेरी पिक्चर में शत्रुघ्न सिन्हा, डैनी डेन्जोंगपा और सतीश शाह जैसे कलाकार हैं। समझ नहीं आ रहा कि मैं तुझे कहां खड़ा करूं? सब छह फीट के ऊपर हैं। मैंने हाथ जोड़े और वहां से चलता बना।"
क्या आपको आपकी प्रतिभा के हिसाब से किरदार मिलते हैं?
इसका जवाब देते हुए काला ने कहा कि एक समय ऐसा होता है, जब आपको ना चाहते हुए भी सबकुछ करना पड़ता है। आपकी डिक्शनरी में ना शब्द होता ही नहीं है। खुद को स्थापित करने के लिए कभी-कभार अपनी ख्वाहिशों को भी दरकिनार करना पड़ता है। उन्होंने आगे कहा, "ईश्वर की कृपा से आज ऐसी स्थिति है कि मैं अपने मुताबिक काम करता हूं। अब जो काम भी मुझे मिलता है, वो मेरी रजामंदी से ही मिलता है।"
अपने किरदार को प्रभावी बनाने के लिए क्या विशेष तैयारी करते हैं?
तैयारी की बात करते हुए उन्होंने बताया, "मैं ऐसी कोई खास तैयारी नहीं करता। मेरा अभिनय सहज और स्वाभाविक है। कई बार ऐसा होता है कि मैं अपना किरदार पूरा भी नहीं पढ़ पाता। सेट पर जाकर पता लगता है कि अब किरदार में आगे क्या करना है। मैं निर्देशक की सुनता हूं, उसका कहा करता हूं, थोड़ा-बहुत अपनी बात भी बताता हूं। मुझको एक सीधी-सादी सी भूमिका मिलती है, जिसमें मैं रंग भरने की कोशिश करता हूं।"
आपके लिए अब तक का अपना सबसे यादगार किरदार कौन सा है?
"मेरे लिए यह बताना बेहद मुश्किल है, क्योंकि मेरा हर किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है। कुछ भूमिकाएं तो ऐसी हैं, जो अभी तक लोगों के सामने ही नहीं आईं, क्योंकि वो फिल्में ही रिलीज नहीं हुईं। मैंने उन फिल्मों के लिए वाकई बहुत मेहनत की है। कुछ फिल्में मैंने काफी पहले की थीं और कुछ हाल-फिलहाल की थीं। काश वो दर्शकों के बीच आ जातीं और अगर ऐसा होता तो शायद तकदीर में चार चांद लग जाते।"
अभिनेता के रूप में इतने समृद्ध और संपन्न होने का श्रेय किसे देते हैं?
बृजेंद्र काला ने कहा, "इसका श्रेय मैं उन सबको देता हूं, जिनके साथ मैंने अपना सफर शुरू किया और जिन्होंने मुझे अभिनय जगत में आने का मौका दिया। मेरे चाहनेवाले, मेरे साथी कलाकार, जिन्हें मेरी अदायगी पसंद है। उन्हीं की बदौलत मैं अभिनय की कसौटी पर खरा उतर पाता हूं। मेरे कुछ शब्द लोगों को समझ नहीं आते। यही मेरा स्टाइल बन गया है। शब्द साफ सुनाई ना दें, लेकिन समझ आ जाता है कि क्या बोलता हूं?
स्क्रिप्ट राइटिंग की दिशा में आपका अगला कदम क्या है?
इस बारे में बात करते हुए काला ने बताया, "फिल्मों में कदम रखने से पहले मैंने 18 साल थिएटर किया। यह मेरा आत्मविश्वास था, जिस वजह से आज मैं इस मुकाम पर हूं। मुझे अपने अभिनय और काबिलियत पर भरोसा था। उन्होंने कहा, "इंडस्ट्री में बने रहने के लिए मैंने हर काम किया। स्क्रिप्ट राइटिंग उसी में से एक है। मैं बतौर लेखक हर फिल्म में अपना योगदान देता हूं। फिल्म 'सब कुशल मंगल' की कहानी मैंने ही लिखी थी।"
आपको फिल्म 'बेशरम' से क्यों निकाला गया था?
इसकी वजह बताते हुए काला ने कहा, "मैंने इस फिल्म की 10 दिन की शूटिंग कर ली थी और 10 दिन का शूट बचा था। फिल्म में मेरा किरदार ऐसा था, जो मेरे लिए काफी अहम था। इससे मुझे काफी उम्मीदें थीं, लेकिन अचानक मुझे बाहर कर दिया गया और ऐसा क्यों हुआ, यह खुद मेरे लिए भी आज तक राज ही है। वो किरदार ही फिल्म से हटा दिया गया था। मैं इस घटना से बेहद आहत हुआ था।"
नेपोटिज्म के मुद्दे पर कही ये बात
इंसाइडर-आउटसाइडर के मुद्दे पर बृजेंद्र कहते हैं, इंडस्ट्री में आने के बाद कोई आउटसाइडर नहीं रहता, लेकिन इंसाइडर का बच्चा इंडस्ट्री में आता है तो वो नेपाटिज्म हो जाता है। अगर नेपोटिज्म ना होता तो लोग कपूर परिवार या अन्य बेहतरीन कलाकार कैसे देख पाते?
रोहित शेट्टी की फिल्म 'सर्कस' में आप क्या किरदार निभा रहे हैं?
अपने आगामी किरदारों के बारे में बताते हुए काला ने कहा, "फिल्म 'सर्कस' में मेरा किरदार मनोरंजक होगा। फिल्म 'अंगूर' में सुनार का किरदार था, जिसके कारीगर की वजह से सारा घपला होता है, वही किरदार मैंने किया है। हालांकि, 'सर्कस', 'अंगूर' का रीमेक नहीं है। दोनों फिल्मों का कॉन्सेप्ट मिलता-जुलता है। इसके अलावा 'इश्क पश्मीना' में मेरा रोल नेगेटिव है। एक फिल्म है 'कटहल', जो बड़ी रोचक है। इसमें भी मेरा किरदार दिलचस्प है।"