'कठपुतली' रिव्यू: रोमांचक क्लाइमैक्स ने संभाला कमजोर निर्देशन, नहीं जमे अक्षय कुमार
अक्षय कुमार की फिल्म 'कठपुतली' 2 सितंबर को डिज्नी+ हॉटस्टार पर रिलीज हो गई है। फिल्म में अक्षय के साथ रकुल प्रीत सिंह नजर आई हैं। इनके अलावा चंद्रचूड़ सिंह और सरगुन मेहता मुख्य भूमिका में हैं। 'कठपुतली' एक सस्पेंस ड्रामा फिल्म है जिसमें अक्षय एक पुलिस अफसर के किरदार में नजर आए हैं। इसका निर्देशन रंजीत तिवारी ने किया है और इसका निर्माण पूजा फिल्म्स ने किया है। आइए, एक नजर डालते हैं फिल्म के रिव्यू पर।
सीरियल किलर और हिमाचल पुलिस के बीच लगी है रेस
हिमाचल के कसोल शहर में एक-एक कर स्कूली लड़कियां किडनैप हो रही हैं, जिनके शव दो दिन बाद मिलते हैं। अक्षय का किरदार अर्जन सेठी पुलिस में आने से पहले सीरियल किलर पर फिल्म की कहानी लिख रहा था। अर्जन ही इन सभी हत्याओं में समानता ढूंढता है। जब तक पुलिस एक हत्या को डिकोड करती है, तब तक दूसरी लड़की किडनैप हो जाती है। कातिल अगले शिकार तक पहुंचे, इससे पहले पुलिस के कातिल तक पहुंचने की रेस है।
पहले हाफ में कमजोर निर्देशन ने फेर दिया पानी
फिल्म का शुरुआती एक घंटा बेहद ढीला-ढाला है। फिल्म में सबकुछ वैसे ही होता है जैसे दर्शक समझ रहे हैं। फिल्म इतनी प्रेडिक्टेबल हो जाती है कि उसमें आने वाले ट्विस्ट्स फिजूल लगते हैं। कई सीक्वेंस बेवजह लगते हैं। फिल्म में थोड़ी-बहुत कॉमेडी डालने की कोशिश की गई है। वह आपको गुदगुदाती जरूर है, लेकिन फिल्म के प्लॉट पर बिल्कुल फिट नहीं बैठती। इसी तरह सस्पेंस के बीच अचानक रोमांस का आ जाना भी अखरता है।
आधी फिल्म के बाद रोमांचक होती है कहानी
दूसरे हाफ में फिल्म अपना असल रोमांच पकड़ती है। जहां दर्शकों को लगने लगता है कि सीरियल किलर पकड़ा गया और कहानी खत्म हुई, वहीं फिल्म में जानदार ट्विस्ट आता है। इसके बाद अर्जन सेठी के साथ दर्शक भी सीरियल किलर से जुड़े तार समझने की कोशिश करते हैं। दूसरे हाफ में फिल्म आखिर तक आपको बांध कर रखती है और यह सवाल लगातार बना रहता है कि क्या पुलिस अगली हत्या से पहले कातिल तक पहुंच पाएगी।
मुख्य किरदारों का अभिनय फीका, चमके सहायक कलाकार
फिल्म में स्क्रीन स्पेस पूरी तरह अक्षय के नाम है। इस किरदार पर न तो अक्षय की उम्र जचती है न ही उनकी बॉडी लैंग्वेज। एक बेहद भावुक दृश्य में अक्षय और चंद्रचूड़ का अभिनय देख हंसी छूट जाती है। रकुल प्रीत को फिल्म में ग्लैमर और रोमांस के लिए एक महिला किरदार की उपस्थिति भर के लिए रखा गया है। सरगुन मेहता का अभिनय देखना अच्छा लगता है। ब्रिटिश अभिनेता जोशुआ लेकलेयर का अभिनय क्लाइमैक्स को तगड़ा बनाता है।
सिनेमेटोग्राफी और संवाद ने बचा ली गिरती-पड़ती फिल्म
खत्म होते-होते रोमांच का स्तर बढ़ता जाता है। कुछ बचकाने ट्विस्ट्स को नजरअंदाज करें तो सस्पेंस मनोरंजक लगता है। इस सस्पेंस में जान डालने का काम किया फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर ने। कातिल के घर का सेट और क्लाइमैक्स सीक्वेंस फिल्म का हॉरर क्रिएट करने में कामयाब रहे। फिल्म के संवाद भी इस गिरती-लुढ़कती फिल्म को संभालने का काम करते हैं। चूंकि फिल्म हिमाचल प्रदेश पर आधारित है, फिल्म के लोकेशन भी अच्छे लगते हैं।
देखें या न देखें?
क्यों देखें- फिल्म पूरी तरह अक्षय कुमार की है। उनके प्रशंसक हैं तो फिल्म को समय दे सकते हैं। हल्का-फुल्का सस्पेंस मनोरंजक लगता हो तो फिल्म देख लीजिए। क्यों न देखें- तगड़े सस्पेंस के शौकीन हैं तो फिल्म निराश करेगी। अक्षय के प्रशंसक नहीं हैं तो उनका अभिनय इरिटेट करेगा। क्लाइमैक्स छोड़ दें तो बाकी फिल्म में खास जान नहीं है। हिंसा और हॉरर देखकर घबराहट होती है तो इसे अवॉइड कीजिए। न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5
न्यूजबाइट्स प्लस
'कठपुतली' तमिल क्लासिक फिल्म 'रत्सासन' की हिंदी रीमेक है। 'रत्सासन' 2018 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म की IMDb पर 8.3 रेटिंग है। 'कठपुतली' के रिलीज होते ही ट्विटर पर 'रत्सासन' ट्रेंड करने लगा।