जन, जंगल और जीवन के बीच संघर्ष की एक मजबूत कहानी है 'शेरनी', पढ़ें रिव्यू
क्या है खबर?
अमित मसुरकर के निर्देशन में बनी फिल्म 'शेरनी' का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था, जो आखिरकार आज यानी 18 जून को खत्म हो गया है। अमेजन प्राइम वीडियो पर यह फिल्म रिलीज हो गई है।
शेरनी के कलाकारों की बात करें तो इसमें विद्या बालन ने मुख्य भूमिका निभाई है और बृजेंद्र काला, शरत सक्सेना, विजय राज, मुकुल चड्ढा व ईला अरुण सहायक भूमिकाओं में दिखी हैं।
आइए जानते हैं पर्दे पर कैसी रही 'शेरनी' की दहाड़।
स्टोरी
कुछ ऐसी है फिल्म की कहानी
इस फिल्म की कहानी मुख्य रूप से जंगल, वन विभाग की कार्यप्रणाली और शेरनी के इर्द-गिर्द बुनी गई है। शेरनी ने गांव में कोहराम मचाया हुआ है।
जहां एक ओर वन विभाग के लोग उसका शिकार करना चाहते हैं, वहीं वन अधिकारी बनीं विद्या उसे बचाने की हरमुमकिन कोशिश करती दिख रही हैं।
फिल्म में दिखाया गया है कि घुसपैठ जानवर नहीं, इंसान करते हैं। विद्या का फिल्म में जंगल और जानवरों से प्रेम आपको भावुक कर सकता है।
बाधाएं
क्या इन बाधाओं से पार जा पाएगी शेरनी?
फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, विद्या अपनी टीम की मदद से पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश करती दिखती हैं। उनके मुताबिक कोई भी शेरनी आदमखोर नहीं, भूखी होती है।
हालांकि, विद्या के लिए शेरनी को बचाना इतना आसान नहीं। इस मिशन के दौरान उन्हें शिकारियों से लेकर गांव की राजनीति और वन विभाग की राजनीति से लगातार लड़ना पड़ता है।
विद्या अपने मिशन में कामयाब होती हैं या नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
एक्टिंग
विद्या की बेहतरीन अदाकारी का एक और नमूना है 'शेरनी'
फिल्म देखने के बाद आप यही कहेंगे कि विद्या ने अदाकारी की एक और बड़ी लकीर खींच दी है।
वन अधिकारी विद्या विन्सेंट के किरदार में उनका शानदार अभिनय इसी का सबूत है। विद्या ने बड़ी सहजता से अपने किरदार को पर्दे पर उतारा है।
'शकुंतला देवी' के बाद फिर एक मजबूत किरदार में उन्होंने जान फूंक दी है और यह साबित कर दिया है कि अपनी भूमिका में उतरने की कला में विद्या माहिर हैं।
एक्टिंग
अन्य कलाकारों ने भी अभिनय से जमाया रंग
फिल्म में हर कलाकार का चयन बड़ी सटीकता से किया गया है। जहां बेफिक्र और नाकारा अफसर की भूमिका को बृजेंद्र काला ने बड़ी खूबसूरती से पर्दे पर पेश किया, वहीं, शिकारी पिंटू भैया के किरदार में शरत सक्सेना खूब जंचे हैं।
जूलॉजी के प्रोफेसर की भूमिका के साथ विजय राज ने भी पूरा इंसाफ किया है। सीनियर अफसर नांगिया के किरदार में नीरज काबी फिट बैठे हैं, वहीं ईला अरुण और मुकुल चड्ढा ने भी अच्छा काम किया है।
निर्देशन
अभिनय की कसौटी पर खरे उतरे अमित मसुरकर
जंगल और इंसान के बीच की कहानियां पर्दे पर पहले भी देखने को मिली हैं, लेकिन इन कहानियों को इतना बढ़ा-चढ़ाकर परोसा जाता है कि कहानी अपने मुद्दे से भटक जाती है, वहीं, अमित मसुरकर ने बिना किसी शोर-शराबे के 'शेरनी' में मुद्दे की बात की है।
निर्देशक ने फिल्म में वन विभाग की कार्यशैली पर भी कैमरा घुमाया है, जो पहले किसी फिल्म में नहीं दिखाया गया।
फिल्म के संवाद पर भी अमित ने अच्छा-खासा काम किया है।
कमियां
ये हैं फिल्म की खामियां
'शेरनी' में तमाम खूबियों के साथ कुछ खामियां भी हैं। इसकी पटकथा में आपको रोमांच की कमी कहीं ना कहीं जरूर खलेगी।
कई जगहों पर फिल्म की रफ्तार आपको धीमी लग सकती है। दीपक कालरा ने बेशक फिल्म की एडिटिंग अच्छी की, लेकिन अगर उनका संपादन थोड़ा और चुस्त होता तो फिल्म की लंबाई कम की जा सकती थी।
दूसरी तरफ कहानी के मिजाज के मुताबिक संगीत पक्ष भी फिल्म का कुछ खास नहीं रहा।
समीक्षा
देखें या ना देखें?
'शेरनी' की कहानी में कुछ नयापन, ग्लैमर, मसाला या किसी रैपर का संगीत नहीं है। अब अगर आप ये सोचकर फिल्म देखने जा रहे हैं तो यह आपके मतलब की नहीं है। दरअसल, यहां सबकुछ देसी है।
सीधी और स्पष्ट कहानी के साथ दमदार कलाकारों से भरी यह फिल्म आपको एक बार जरूर देखनी चाहिए। 'शेरनी' बॉलीवुड में दहाड़ मारने वाली फिल्मों की तरह नहीं है। इसकी अपनी खूबसूरती है।
हमारी तरफ से 'शेरनी' को साढ़े तीन स्टार।