
'ट्रायल पीरियड' रिव्यू: आधुनिक पैरेंटिंग और रोमांस को नए तरीके से दिखाती है जेनेलिया की फिल्म
क्या है खबर?
जेनेलिया डिसूजा और मानव कौल की फिल्म 'ट्रायल पीरियड' का कुछ समय पहले ही ट्रेलर आया था। फिल्म 21 जुलाई को जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हो गई है।
जेनेलिया के कुछ इंटरव्यू छोड़ दें तो, निर्माताओं ने फिल्म का ज्यादा प्रमोशन नहीं किया था। ट्रेलर देखकर फिल्म एक छोटे परिवार पर आधारित कॉमेडी ड्रामा फिल्म लगती है। फिल्म में गजराज राव और शक्ति कपूर के होने के कारण भी प्रशंसकों की इसमें रुचि थी।
आइए, आपको बताते हैं कैसी है फिल्म।
कहानी
सिंगल मां के बच्चे को चाहिए पापा
फिल्म तलाकशुदा एना (जेनेलिया) की कहानी है, जिसकी दुनिया उसके बच्चे रोमी के इर्द-गिर्द घूमती है।
स्कूल में दूसरे बच्चों को देखकर रोमी अपनी मां से एक पापा लाने की जिद करता है। एना की योजना है कि वह एक महीने के लिए किसी को रोमी का पापा बनाकर ले आए, जो रोमी को इतना तंग कर दे कि वह पापा की रट लगाना भूल जाए।
यह मौका दिल्ली में नौकरी ढूंढने आए एक शिक्षक प्रजापति (मानव) को मिलता है।
कहानी
बच्चे की परवरिश में माता-पिता की भूमिका दिखाती है फिल्म
पापा के एक महीने के ट्रायल पीरियड में फिल्म आधुनिक दौर में पैरेंटिंग खासकर, सिंगल पैरेंटिंग और बच्चे की जिंदगी में पिता की जरूरत को दिखाती है।
रोमी की मां घर चलाने से लेकर, बच्चे की परवरिश, पढ़ाई सबका ध्यान रखती है। उसे लगता है कि उसने रोमी को अपनी जिंदगी समर्पित कर दी है, लेकिन इस दबाव में वह उसकी दोस्त बनने से चूक जाती है।
प्रजापति के आने से रोमी की जिंदगी में यह कमी दूर होती है।
निर्देशन
बेहतरीन रही निर्देशक की कलाकारी
फिल्म रह-रहकर गंभीर भावनाओं के गोते लगाती है और इससे पहले कि दर्शक का दिल भारी हो, हंसी का डोज देती चलती है। निर्देशक आलिया सेन की यह कलाकारी बेहतरीन रही।
फिल्म दिखाती है कि कैसे मां और पिता की परवरिश अलग-अलग होती है। फिल्म एक लड़की के सफल और सबल होने के बावजूद साथी के बिना मन के खालीपन को उभारती है।
फिल्म एक अलग तरह के रोमांस को स्थापित करती है, जो जिम्मेदारियों की बीच पनपा है।
संगीत
इन तत्वों ने भी फिल्म को दी मजबूती
फिल्म कई तरह की भावनाएं और संदेश चुपके से दर्शकों के सामने रखकर निकल जाती है। तलाक, स्कूल में बच्चे की प्रताड़ना, पिता का प्रेम, सिंगल मां का संघर्ष जैसे कई मुद्दे फिल्म में हैं, फिर भी कहीं भी किसी भावना का ओवरजोड नहीं होता है। इसका श्रेय बेहतरीन निर्देशन के साथ ही फिल्म के बैकग्राउंड म्यूजिक को जाता है।
बेहतरीन शॉट्स और शानदार स्क्रीनप्ले से यह फिल्म उम्दा बनती है।
अभिनय
जेनेलिया और मानव बने फिल्म के स्तंभ
किस तरह एक सिंगल मां सारे संघर्षों के बीच खुद को मजबूती से स्थापित रखती है, यह जेनेलिया का किरदार दिखाता है। जेनेलिया के अभिनय ने इस किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।
मानव कॉल का किरदार फिल्म में कई संदेश देता है। ढपली बजाते हुए, इंदौरी लहजे को पकड़े मानव ने बड़ी सरलता से प्रजापति को पर्दे पर उतारा है।
रोमी के किरदार में बाल कलाकार जिडान दर्शकों को कभी हंसाते हैं तो कभी रुलाते हैं।
जानकारी
सहायक भूमिकाओं में भी जचे कलाकार
शक्ति कपूर और शीबा चड्ढा भी फिल्म में एना और रोमी के परिवार को पूरा करने का काम करते हैं। उधर, गजराज राव भी अपने छोटे से किरदार में अपना दमखम दिखाते हैं।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- फिल्म पेरेंटिंग और आधुनिक रिश्तों पर एक बेहतरीन फिल्म है। अगर आप भी बच्चे की परवरिश को लेकर तरह-तरह की बातें सोचते रहते हैं, तो यह फिल्म आपको देखनी चाहिए।
क्यों न देखें?- ट्रेलर देखकर अगर आप इसे कॉमेडी फिल्म समझ रहे हैं, तो आपके साथ धोखा होगा। फिल्म हर पल एक नई भावना में गोते लगाती है। सामाजिक संदेशों वाली भावुक फिल्मों से बचते हैं, तो इस फिल्म का ट्रायल छोड़ सकते हैं।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5