#TheZoyaFactorReview: दुलकर सलमान ने किया इंप्रेस, जानिए कैसी है सोनम कपूर की फिल्म 'द ज़ोया फैक्टर'
क्या है खबर?
लक फैक्टर हर एक की जिंदगी में बेहद जरूरी है। लेकिन अगर यही लक फैक्टर, अंधविश्वास बन जाए और आप खुद की मेहनत से ज्यादा ढकोसलों पर यकीन करने लग जाएं तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं।
ऐसे में लक फैक्टर के साथ-साथ मेहनत सबसे ज्यादा जरूरी है। इसी बात को समझा रही है इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फिल्म 'द ज़ोया फैक्टर'।
तो आइए, जानते हैं कि कैसी है फिल्म 'द ज़ोया फैक्टर'।
जानकारी
फिल्म की कहानी अनुजा चौहान की नॉवेल पर आधारित
फिल्म 'द ज़ोया फैक्टर' एक लाइट हार्टेड कॉमेडी है। इसकी कहानी साल 2008 में इसी नाम से आई अनुजा चौहान की एक नॉवेल पर आधारित है। फिल्म में ज़ोया का किरदार सोनम कपूर ने निभाया है।
कहानी
एड के सिलसिले में भारतीय क्रिकेट टीम से होती है ज़ोया की मुलाकात
इसकी कहानी ज़ोया नाम की लड़की और भारतीय क्रिकेट टीम के ईर्द-गिर्द घूमती है।
ज़ोया का जन्म उसी दिन हुआ था जिस दिन भारत ने अपना पहला वर्ल्ड कप जीता था। उसके परिवार का मानना है कि वह क्रिकेट के लिए लकी है।
ज़ोया एक एड एजेंसी में काम करती है। एक एड के सिलसिले में उसकी मुलाकात भारतीय क्रिकेट टीम से होती है और वह क्रिकेट टीम के कप्तान निखिल खोडा (दुलकर सलमान) की अच्छी दोस्त बन जाती है।
विश्वास
क्रिकेट के लिए लकी है ज़ोया!
ज़ोया बातों ही बातों मेें बोल जाती है कि वह क्रिकेट के लिए लकी है। उसकी बात से टीम के लोग प्रभावित हो जाते हैं। इस बात पर और यकीन तब होता है जब टीम मैच जीत जाती है।
हालांकि, इस दौरान ज़ोया-निखिल की नजदीकियां बढ़ रही होती हैं, लेकिन निखिल इन अंधविश्वासों से दूर रहकर मेहनत पर ज्यादा यकीन करता है।
वहीं, टीम चाहती है कि ज़ोया टीम के लिए लकी चार्म बनकर वर्ल्ड कप में आए।
जानकारी
अंधविश्वास जीतेगा या टीम पर यकीन?
इसके बाद आते हैं ट्विस्ट और टर्न्स, ज़ोया का लकी चार्म कैसे अंधविश्वास में बदल जाता है, इसका टीम पर क्या असर पड़ता है? वहीं, अंत में अंधविश्वास की जीत होती है या टीम की मेहनत की? जानने के लिए फिल्म देखनी होगी।
शुरुआत
पहला हाफ है काफी मजेदार
फिल्म की शुरुआत होती है मुंबई से।
पहले हाफ में आपको बहुत कुछ देखने को मिल जाएगा।
ज़ोया की भारतीय टीम से मुलाकात, टीम का ज़ोया के लक फैक्टर पर यकीन कर लेना, टीम का मैच जीत जाना, ज़ोया और निखिल की नजदीकियों से लेकर पहले हाफ में देखने के लिए बहुत कुछ है।
पहला हाफ काफी मनोरंजक है। आप इस दौरान लगभग हर एक सीन को एन्जॉय करेंगे।
निराशा
दूसरे हाफ में कहानी सुस्त
वहीं, जहां पहला हाफ काफी मनोरंजक है तो दूसरा हाफ आपको काफी बोर करता है। कहानी थोड़ी सुस्त सी पड़ती दिखती है।
फिल्म के क्लाइमेक्स को लाने में डायरेक्टर अभिषेक शर्मा थोड़ी देर कर देते हैं।
फिल्म की कहानी इंटरवल के बाद कहीं-कहीं आपको बोर करती जाएगी।
कुछ जगहों पर जब टीम ज़ोया के फैक्टर की वजह से मैच जीतती है तो आप यह भी जरूर सोचेंगे कि क्या रियल लाइफ में ऐसा कुछ संभव है।
हीरो
फिल्म का मुख्य आकर्षण दुलकर सलमान
अब आते हैं स्टार्स की परफॉर्मेंस पर।
'कारवां' से बॉलीवुड में एंट्री करने वाले दुलकर सलमान की यह दूसरी फिल्म है।
यकीनन दुलकर का 'कारवां' बॉलीवुड में बहुत लंबा चलने वाला है।
दुलकर ने एक प्लेयर के किरदार को जीया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म का मुख्य आकर्षण दुलकर ही हैं।
सोनम ने भी अच्छी एक्टिंग है। हालांकि, कहीं-कहीं सोनम की एक्टिंग ओवर नजर आएगी, उनके किरदार में कुछ नयापन नहीं दिखेगा।
अन्य स्टारकास्ट
सपोर्टिंग कास्ट ने किया बढ़िया काम
अन्य स्टारकास्ट की बात करें तो इसमें सोनम के भाई जोरावर के किरदार में सिकंदर खेर ने अच्छा काम किया है।
निगेटिव रोल में अंगद बेदी की एक्टिंग काबिले तारीफ है। उन्होंने शुरुआत से लेकर अंत तक अपने रोल में इंटेंसिटी बनाई रखी।
जोया के आर्मीमैन पिता के रूप में संजय कपूर जंचे हैं।
फिल्म के एक सीन में दिखे अनिल कपूर भी आपको हंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ते दिखेंगे।
जानकारी
फिल्म की कहानी कमजोर
फिल्म की कहानी थोड़ी कमजोर है। भले ही अभिषेक शर्मा ने इसमें अंधविश्वास जैसे मुद्दे को उठाया हो, लेकिन यह एक रोमांटिक-स्पोर्ट्स ड्रामा से ज्यादा आपको कुछ नहीं लगेगी। हालांकि, अभिषेक के निर्देशन में ज्यादा कमी नजर नहीं आती है।
फैक्टर
फिल्म के डायलॉग शानदार
फिल्म में जब-जब मैच दिखता है तब-तब आप अपने आपको हंसाने से बिल्कुल रोक नहीं पाएंगे।
इसका कारण इसकी कमेंट्री है जो आपको पेट पकड़कर हंसने में मजबूर करेगी।
मजाक-मजाक में इसमें कई गंभीर मुद्दे जैसे कि नेपोटिज्म पर व्यंग्य किया गया है।
डायलॉग से लेकर इसके पंच तक काफी कमाल है। हालांकि, रियल मैच में ऐसी कमेंट्री तो संभव नहीं है।
फिल्म का बैकग्राउंट म्यूजिक और इसके गाने भी आपको अच्छे लगेंगे।
रिव्यू
एंटरटेनर है फिल्म!
अगर आप सिर्फ एक विषय पर बनी फिल्म ही देखना पसंद करते हैं तो 'द ज़ोया फैक्टर' आपके लिए नहीं है।
लेकिन अगर आपको क्रिकेट, लव, एस्ट्रालॉजी, कॉमेडी, अंधविश्वास और रोमांस का तड़का देखना है तो इस फिल्म को आप इस वीकेंड पर देख सकते हैं।
कॉमेडी के शौकीन लोगों को यह फिल्म खास पसंद आ सकती है और फुल ऑन एंटरटेनिंग लग सकती है।
हमने फिल्म को पांच में से ढाई स्टार दिए हैं।