#NewsBytesExplainer: फिल्मों में सिनेमेटाेग्राफर की भूमिका अहम, पर्दे के पीछे ऐसे करते हैं काम
बॉलीवुड हो या हॉलीवुड, फिल्म देखते हुए ध्यान अमूमन हीरो या हीरोइन पर जाता है, लेकिन पर्दे के पीछे भी कई ऐसे लोग होते हें, जो भले ही दिखते नहीं हैं, लेकिन उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। उन्हीं में से एक है सिनेमेटोग्राफर। फिल्मों के रोमांचित करने वाले दृश्यों को कैमरे में कैद करने का काम एक सिनेमेटोग्राफर का ही होता है। आइए उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानें।
करता क्या है सिनेमेटोग्राफर?
एक सिनेमेटोग्राफर का काम किसी भी सीन या दृश्य को जीवंत बनाने का होता है। सिनेमेटोग्राफी एक तकनीकी काम है। राजेश खन्ना की 'गाइड' से लेकर जोया अख्तर की 'जिंदगी न मिलेगी दोबारा', 'मुगल-ए-आजम', 'पत्थर के फूल', 'रॉक ऑन' और 'रंग दे बसतीं जैसी न जाने कितनी फिल्में हैं, जिन्हें उनमें फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है। सिनेमेटोग्राफर फिल्म की कहानी के मुताबिक दृश्य व निर्देशक के अनुसार कैमरा, लाइटिंग और रंगों को समायोजित करता है।
फिल्म की सफलता में बड़ी भूमिका निभाता है सिनेमेटोग्राफर
एक सिनेमैटोग्राफर को 'डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी' (DOP) भी कहा जाता है। यह क्रू का प्रमुख होता है, जो अपने कैमरे के कमाल रचनात्मकता और दृश्यों के जरिए कहानी कहने की कला मे माहिर होता है। किसी भी फिल्म की कामयाबी उसकी सिनेमेटोग्राफी पर सबसे ज्यादा निर्भर करती है, क्योंकि अगर विजुअल्स प्रभावी नहीं हैं तो फिल्म देखने का मजा किरकिरा हो जाता है। लिहाजा फिल्म में हीरो, हीरोइन या निर्माता-निर्देशक से परे सिनेमेटोग्राफी का काम भी महत्वपूर्ण होता है।
इन 3 चरणों में बंटा है काम
किसी भी फिल्म को बनाने में एक सिनेमेटोग्राफर की भूमिका निर्माण के तीनों चरणों में महत्वपूर्ण होती है। पहला चरण है प्री-प्रोडक्शन। दूसरा प्रोडक्शन और तीसरा है पोस्ट प्रोडक्शन। पहले चरण में सिनेमेटोग्राफर निर्देशक के नजरिए को समझ उसके साथ विजुअल्स पर चर्चा करता है और फिर जरूरत के मुताबिक कैमरा क्रू को हायर करता है व जरूरी उपकरण खरीदता है। दूसरे चरण में बेहतर परिणामों के लिए वह लाइटिंग विभाग, कैमरा ऑपरेटर और निर्देशक संग मिलकर काम करता है।
पोस्ट प्रोडक्शन
तीसरे चरण यानी पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान सिनेमेटोग्राफर एक प्रोसेसिंग लैब के साथ काम करता है ताकि यह सुनिश्चत हो सके कि जो दृश्य फिल्माए गए हैं, उनकी रंगत पर्दे पर बरकरार रहे और वे निर्देशक के निर्देशों और कल्पना के अनुरूप ही हों।
फिल्म के एक-एक शॉट की जिम्मेदारी
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत पड़ती है। सिनेमेटोग्राफर निर्देशक के साथ एक-एक सीन पर चर्चा करता है और हरेक शॉट का फ्रेम तैयार करता है। कॉमेडी से लेकर भावुक दृश्यों के हिसाब से विजुअल्स पर काम करता है। दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे दृश्यों को कब और किस एंगल से लेना है, इसमें वह प्रवीण होता है। कभी-कभार कम बजट वाली फिल्मों में कैमरा ऑपरेटर का काम भी सेट पर सिनेमेटोग्राफर ही संभाल लेता है।
बदलते समय में पहचान के साथ मिलने लगा इस पेशे को सम्मान
पर्दे के पीछे काम करने वालों को अक्सर पहचान नहीं मिल पाती, लेकिन अब जमाना बदल रहा है। पर्दे के पीछे के लोगों को भी सराहना मिलने लगी है। फिल्मफेयर पुरस्कारों से लेकर विश्व स्तर पर हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड, ग्रैमी और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों तक में सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी या सिनेमेटोग्राफर की श्रेणी में पुरस्कार दिए जाते हैं। हर साल पर्दे के पीछे इस पेशे से जुड़े लोगों को अब सम्मानित किया जा रहा है।
बॉलीवुड के मशहूर सिनेमेटोग्राफर
बॉलीवुड में संतोष सिवन से लेकर केवी आनंद, अनिल मेहता, रवि वर्मन, राजीव रवि, रवि के चंद्रन और बालू महेंद्र ने बतौर सिनेमेटोग्राफर खूब वाहवाही लूटी। इन्होंने प्रकाश और छाया के माध्यम से पर्दे के पीछे ऐसा कमाल किया कि हर कोई देखता रह गया।
इनकी झोली में हैं सबसे ज्यादा पुरस्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बॉलीवुड में संतोष को सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी के लिए सबसे ज्यादा पुरस्कार मिले हैं। इन्होंने अब तक छोटे-बड़े मिलाकर 23 पुरस्कार जीते हैं, जिसमें 5 राष्ट्रीय पुरस्कार भी शामिल हैं। इन्हें भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए पद्मश्री भी मिल चुका है।
सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी में है फर्क?
कई बार लोग सिनेमेटोग्राफर और फाेटोग्राफर को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग हैं। जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करने की कोशिश करते हैं तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है। इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है। यह सामान्य कैमरे से कुछ अलग होता है। दूसरी ओर फोटोग्राफी में स्थिर तस्वीर को कैद किया जाता है। इसमें सिनेमेटोग्राफी की तरह ज्यादा उपकरणों की जरूरत भी नहीं होती।
इन उपकरणों का होता है इस्तेमाल
फोटोग्राफी के मुकाबले सिनेमेटाेग्राफी में आमतौर पर अधिक विशिष्ट उपकरणों का उपयोग शामिल होता है, जैसे कि वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए डिजाइन किए गए कैमरे, रिफ्लेक्टर्स, ट्रायपॉड, क्रेन, डॉली, लाइटिंग, साउंड से जुड़े उपकरण और कैमरा मूवमेंट के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण आदि।