#NewsBytesExplainer: ताइवान में लाई जीते; क्या चीन से बिगड़ेंगे संबंध और क्या होगा दुनिया पर असर?
क्या है खबर?
ताइवान के राष्ट्रपति चुनावों में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) के उम्मीदवार लाई चिंग-ते ने बड़ी जीत दर्ज की है। ताइवान के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी पार्टी को लगातार तीसरी बार सत्ता मिली है।
लाई चीन को खटकते रहे हैं और चीन ने उन्हें 'खतरनाक अलगाववादी' कहा था।
आइए समझते हैं कि लाई कौन हैं और उनके राष्ट्रपति बनने से चीन-ताइवान संबंधों पर क्या असर होगा।
लाई
कौन हैं लाई?
लाई वर्तमान में ताइवान के उप राष्ट्रपति और DPP के अध्यक्ष हैं। वे डॉक्टर भी हैं और खुद को 'ताइवान की स्वतंत्रता के लिए व्यावहारिक कार्यकर्ता' बताते हैं।
लाई ने 2003 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री प्राप्त की है। राजनीति में उतरने से पहले उन्होंने नेशनल फिजिशियन सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में काम किया है।
1996 में पहली बार लाई ने विधायी चुनावों में जीत दर्ज की। वे ताइनान शहर के मेयर भी रहे हैं।
पिता
2 साल की उम्र में लाई के पिता का हुआ था निधन
लाई के पिता उत्तरी ताइवान के एक छोटे से कस्बे में कोयला खदान में मजदूरी करते थे। लाई जब 2 साल के थे, तब खदान में हुए एक हादसे में उनके पिता की मौत हो गई।
इसके बाद लाई और 5 भाई-बहनों को उनकी मां ने पाला। लाई ने वैसे तो डॉक्टरी की पढ़ाई की, लेकिन जब 1980 के दशक में ताइवान में राजनीतिक सुधारों की शुरुआत हुई तो वे राजनीति में आ गए।
नजरिया
चीन को लेकर कैसा है लाई का नजरिया?
लाई को चीन का कट्टर आलोचक माना जाता है। वे अमेरिका और अन्य उदार लोकतंत्रों के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर हैं।
2017 में उन्होंने खुद को 'ताइवान की स्वतंत्रता के लिए व्यावहारिक कार्यकर्ता' बताया था, जिस पर खूब विवाद हुआ था।
चीन भी लाई को उनके विचारों के लिए 'अलगाववादी' मानता है और कहता है कि दोनों देशों के संबंधों के लिए लाई 'गंभीर खतरे' लाएंगे। चीन ने कई बार लाई की आलोचना की है।
मायने
नतीजों के चीन के लिए क्या हैं मायने?
नतीजे स्पष्ट रूप से चीन के लिए झटका हैं। चुनावों में चीन समर्थित उम्मीदवार और लाई के बीच बेहद कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मतदाताओं ने चीन के कथित खतरे की बजाय घरों की बढ़ती कीमतें, अच्छा वेतन और नौकरी को ज्यादा तरजीह दी है। हालांकि, DPP ने अपने कई चुनावी वादों को पूरा नहीं किया है, इसलिए पिछले कुछ सालों में लोगों का असंतोष भी बढ़ा है।
चुनौती
लाई के लिए आगे क्या हैं चुनौतियां?
विश्लेषक मानते हैं कि लाई के लिए आगे का सफर आसान नहीं है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ताइवान को चीन के हस्तक्षेप से बचाने की होगी।
यहां ये भी देखना होगा कि लाई की जीत पर चीन कैसी प्रतिक्रिया देता है। चीन निश्चित तौर पर लाई को नापसंद करता है।
हालांकि, लाई कई बार शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता जाहिर कर चुके हैं, लेकिन उन्हें पिछली राष्ट्रपति साई इंग-वेन के मुकाबले ज्यादा आक्रामक माना जाता है।
दुनिया
नतीजों के बाकी देशों के लिए क्या हैं मायने?
आशंका है कि नतीजों पर असंतोष जताते हुए चीन बड़ा सैन्य प्रदर्शन कर सकता है। चीन कई बार पहले भी ऐसा कर चुका है।
अगर ऐसी स्थिति नहीं भी हुई तो भी ताइवान जलडमरूमध्य में मौजूदा तनाव जारी रहेगा। दुनिया के करीब आधे कंटेनर जहाज ताइवान जलडमरूमध्य से होकर ही गुजरते हैं, जिसका असर वैश्विक व्यापार पर पड़ेगा।
इसके अलावा ताइवान में उथल-पुथल से दुनियाभर का सेमीकंडक्टर मार्केट पर भी संकट खड़ा हो सकता है।