'मुगल-ए-आजम' की टिकट के इंतजार में बिस्तर डालकर बैठे रहते थे लोग, जानिए कुछ दिलचस्प किस्से
बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्मों की जब भी बात होती है तो वर्ष 1960 में रिलीज हुई फिल्म 'मुगल-ए-आजम' का नाम सभी की जुबां पर आ जाता है। करीमुद्दीन आसिफ के निर्देशन में बनी इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार, मधुबाला और दुर्गा खोटे मुख्य किरदारों में दिखे। यह इंडस्ट्री की एक ऐसी फिल्म थी जिसने कई इतिहास रचे। चलिए आज जानते हैं फिल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से, जिनके बारे में शायद ही किसी को जानकारी होगी।
अधूरी फिल्मों के बावजूद आसिफ ने कमाया खूब नाम
करीमुद्दीन आसिफ ने अपने करियर में सिर्फ चार ही फिल्मों का निर्देशन किया। उन्होंने 1945 में रिलीज हुई फिल्म 'फूल' से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा। इसके बाद उनकी दूसरी फिल्म 15 साल बाद 1960 में 'मुगल-ए-आजम' रिलीज हुई। जबकि उनकी 'लव एंड गॉड' 26 सालों बाद 1986 में रिलीज हो पाई। इसी साल में 'सस्ता खून, महंगा पानी' भी बनाई जो उन्होंने अधूरी छोड़ दी। इसके बावजूद आसिफ का नाम बॉलीवुड के बेहतरीन डायरेक्टर्स में लिया जाता है।
गाने का सेट तैयार करने में ही लग गए दो साल
इस फिल्म को तैयार करने का कुल बजट 10 लाख रुपये तय हुआ था। जबकि सिर्फ फिल्म का गाना 'जब प्यार किया तो डरना क्या' का सेट बनाने में ही 10 लाख रुपये खर्च हो गए। गाने में शीशमहल बनाने के लिए आसिफ ने खासतौर पर बेल्जियम से शीशे मंगवाए थे। इसमें उन्हें दो साल का समय लगा और तब तक फिल्म की शूटिंग भी रुकी रही। यह पूरी फिल्म तैयार करने में डेढ करोड़ रुपये का खर्च आया।
इस सीन को शूट करने के लिए मंगवाए गए असली मोती
फिल्म के इस सीन में सलीम 14 साल बाद अपने घर लौटते हैं। उनके स्वागत के लिए महल में मोतियों की बारीश होती है। इस सीन में सभी असली मोती इस्तेमाल हुए थे। पहले आर्टिफिशयल मोतियों का उपयोग किया गया, लेकिन आसिफ को यह पसंद नहीं आए। इसके लिए उन्होंने हजारों असली मोती मंगवाए और जब तक यह इकट्ठे नहीं हुए उन्होंने शूटिंग रोक कर रखी। आसिफ को सच्चे मोती के जमीन पर गिरने की आवाज से खुशी मिलती थी।
सिर्फ फिल्म का सेट देखने विदेशों ने आती थीं मशहूर हस्तियां
शूटिंग के दौरान ही यह फिल्म काफी चर्चा में आ गई थी। इसका कारण था सेट की भव्यता। यह इतना खूबसूरत तैयार किया गया कि भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कोने-कोने से लोग सिर्फ फिल्म का सेट देखने के लिए आने लगे। इस लिस्ट में अफगानिस्तान और सऊदी अरब के शाही मेहमान भी शामिल हैं। इनके अलावा इटली के मशहूर डायरेक्टर रॉबर्तो रोजेलिनी, नेपाल के वजीर-ए-आलम, इंग्लैड के जाने-माने फिल्मकार डेविड लीन जैसी हस्तियां भी सेट देखने पहुंची।
टिकट लेने के लिए बिस्तर डालकर बैठे रहते थे लोग
फिल्म रिलीज हुई इसके लिए ऐसी दीवानगी कि लोग विदेशों से फिल्म देखने भारत पहुंचे। वहीं देश के लोगों में इसका ऐसा क्रेज दिखा कि टिकट के लिए दो-दो मील तक लंबी लाइने लग जाती थीं। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई लोग तो टिकट की खिड़की बाहर बिस्तर डालकर बैठ जाते थे और वहीं परिवार के सदस्यों से अपने लिए खाना-पीना मंगवा लेते थे। मराठा मंदिर में टिकट की दो खिड़कियां बनी, एक भारतीयों के लिए और दूसरी विदेशियों के लिए।
पहली बार किसी फिल्म के लिए छपी थी ऐसी टिकट
इस फिल्म के लिए टिकट भी खास तरह की तैयार करवाई गई थी। डिस्ट्रीब्यूटर मदन कोठारी ने आसिफ से कहा कि ये 'मुगल-ए-आजम' है कोई आम फिल्म नहीं, इसकी टिकट भी आम नहीं होनी चाहिए। इसके बाद आसिफ की सहमति पर पहली बार पोस्टर के साथ कोई किसी फिल्म की टिकट छपी थी। इसमें 85 हजार रुपये का खर्च आया। जो आज की कीमत के करीब 25 लाख रुपये के बराबर है।