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'धोखा' रिव्यू: आतंकवाद पर क्राइम ड्रामा देखने आए दर्शकों को मिला धोखा, शानदार रहे अपारशक्ति
पढ़िए, 'धोखा राउंड द कॉर्नर' का रिव्यू

'धोखा' रिव्यू: आतंकवाद पर क्राइम ड्रामा देखने आए दर्शकों को मिला धोखा, शानदार रहे अपारशक्ति

Sep 23, 2022
03:37 pm

क्या है खबर?

कुकी गुलाटी द्वारा निर्देशित फिल्म 'धोखा: राउंड द कॉर्नर' 23 सितंबर को रिलीज हो गई। फिल्म को भूषण कुमार की टी-सीरीज ने प्रोड्यूस किया है। दो घंटे की इस सस्पेंस फिल्म में आर माधवन, अपारशक्ति खुराना, दर्शन कुमार और खुशाली कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म का ट्रेलर देखकर अनुमान था कि यह एक आतंकी द्वारा नागरिकों को होस्टेज बनाए जाने की रोचक कहानी है। आइए, जानते है क्या फिल्म ट्रेलर से पैदा हुए सस्पेंस पर खरी उतरी है?

कहानी

एक ही कहानी के कई पहलू- क्या सच, क्या धोखा?

दरअसल, यह एक ही कहानी के कई पहलुओं की कहानी है। आतंकी हक गुल (अपारशक्ति) संचिता (खुशाली) को बंधक बना लेता है। संचिता गुल को बताती है कि किस तरह उसका पति यथार्थ (माधवन) उसे धोखा दे रहा है। बाहर यथार्थ इसी कहानी का दूसरा पहलू पुलिस अधिकारी मलिक को सुनाता है। इन दोनों में से कोई एक कहानी झूठी है। दर्शकों को यही जानना है कि सच क्या है। उधर गुल की कहानी भी दर्शकों को उलझाकर रखती है।

अभिनय

अपारशक्ति खुराना ने किया शानदार प्रदर्शन, बाकी कलाकार रहे फीके

फिल्म में अपारशक्ति का शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। कश्मीरी जुबान को उन्होंने बेहद सहजता से पेश किया। खूंखार आतंकी से लेकर एक निर्दोष युवा और धोखा खाए प्रेमी तक के हावभाव उन्होंने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किए। माधवन से इससे बेहतर अभिनय की अपेक्षा थी। दर्शन का अभिनय भी औसत दिखा। फिल्म में भूषण की की बहन खुशाली ने डेब्यू किया है। उनका किरदार कहानी का केंद्र है। इसके उलट, उनका अभिनय बेहद कच्चा दिखा।

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

दर्शन इससे पहले चर्चित वेब सीरीज 'आश्रम' में एक पुलिस अधिकारी की भूमिका निभा चुके हैं। फिल्म में मलिक के किरदार में रह-रहकर 'आश्रम' के उजागर सिंह की झलक दिखाई देती है।

निर्देशन और लेखन

क्या हिंदी दर्शकों को तार्किक फिल्म देखने का अधिकार नहीं?

एक अच्छे प्लॉट को फिल्म की खराब स्क्रिप्ट और निर्देशन ने बिगाड़ दिया। एक भागा हुआ आतंकी अपनी बंधक से प्यार कर बैठता है। जिसे पकड़ने के लिए पुलिस बल हथियारों के साथ मौजूद है, वह लड़की पर भरोसा करके बिना गोली के बाहर आ जाता है। ऐसे कई दृश्य हैं। जैसे हिंदी दर्शकों को तर्क पर भरोसा करने का अधिकार ही नहीं। संचिता कहानी का केंद्रीय किरदार है। इस किरदार के लिए किसी अनुभवी अभिनेत्री को चुनना बेहतर होता।

क्या अच्छा?

क्लाइमैक्स है फिल्म का मजबूत बिंदु

फिल्म में हर किरदार के पास एक ही कहानी का अपना-अपना पक्ष है। दर्शक आखिर तक सच के बेपर्दा होने का इंतजार करते हैं। आखिर में एक अन्य ही कहानी सच निकलती है जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। यह क्लाइमैक्स दर्शकों को रोमांचित कर देता है। गंभीर घटनाओं पर भारतीय मीडिया द्वारा लापरवाह रिपोर्टिंग पर फिल्म में मजेदार कटाक्ष किया गया है। कुछ लोकप्रिय ऐंकरों की नकल देखना मजेदार लगता है।

जानकारी

कैसे हैं फिल्म के गाने?

फिल्म के प्लॉट में गानों की खास जगह नहीं है। इसकी शुरुआत एक रोमांटिक गाने 'तू बनके हवा' से होती है। इस गाने को जुबिन नौटियाल ने गाया है। वहीं फिल्म के अंत में अरिजीत सिंह की आवाज में 'माही मेरा' दिल छूने वाला है।

निष्कर्ष

देखें या न देखें?

क्यों देखें- फिल्म का क्लाइमैक्स रोचक है। अपारशक्ति की उपस्थिति फिल्म देखने लायक बनाती है। सच-झूठ के बीच झूल रही कहानी दर्शकों को बांधकर रखती है। बिना हिंसक दृश्यों के हल्के-फुल्के सस्पेंस के लिए फिल्म देख सकते हैं। क्यों न देखें- ट्रेलर देखकर आतंकवाद पर आधारित बढ़िया क्राइम ड्रामा की उम्मीद करेंगे तो 'धोखा' मिलेगा। बिना तर्क वाली बॉलीवुड फिल्मों से थक चुके हैं, तो इसपर पैसा न लगाएं। न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5