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राजस्थान: उदयपुर की वीणा बनीं जज, पिता ने 28 साल पहले देखा था सपना
वीणा ने अपने पिता के उस सपने को पूरा कर दिया, जिसे उन्होंने 28 साल पहले दुनिया छोड़ने से पहले देखा था

राजस्थान: उदयपुर की वीणा बनीं जज, पिता ने 28 साल पहले देखा था सपना

लेखन तौसीफ
Sep 07, 2022
09:00 pm

क्या है खबर?

राजस्थान ज्यूडिशियल सर्विस (RJS) परीक्षा के फाइनल नतीजे हाल ही में जारी हुए, जिसमें से एक नाम उदयपुर की वीणा सुहालका का भी है। वीणा ने अपने पिता के उस सपने को पूरा कर दिया, जिसे उन्होंने 28 साल पहले दुनिया छोड़ने से पहले देखा था। जब वह छह साल की थीं तब उनके पिता शिवपाल का निधन हो गया था। उस समय उनके पिता ने इच्छा जाहिर की थी उनकी बेटी बड़ी होकर जज बने।

पढ़ाई

वीणा की मां ने दूसरों के घर में कामकाज कर कराई उनकी पढ़ाई

पिता की मौत के बाद वीणा की मां संपत देवी ने बड़े संघर्षों से उनका पालन-पोषण किया। उनकी मां दूसरों के घरों में जाकर घरेलू कामकाज किया करती थीं, जिससे उनका घर चल सके और उनकी बेटी अच्छी शिक्षा के लिए अच्छे स्कूल में पढ़ सके। वीणा बचपन में ही अपने पिता के सपने को अपना लक्ष्य बना चुकी थी और उन्होंने ठान लिया था कि वे बड़ी होकर RJS परीक्षा पास कर जज बनेंगी।

नौकरी

आबकारी विभाग में सहायक लेखाधिकारी के पद का कर चुकी हैं वीणा

कक्षा 12 की पढ़ाई पूरी करने के बाद इसी सपने को लेकर वीणा ने 2013 में बैचलर ऑफ लॉ (LLB) की। LLB के साथ उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की भी तैयारी शुरू कर दी थी। इसी दौरान उनका चयन उदयपुर के आबकारी विभाग में सहायक लेखाधिकारी के पद पर हो गया और 2014 में उनका विवाह हो गया। हालांकि, CA की उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई थी, जिसे उन्होंने अपने ससुराल में रहकर पूरा किया।

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परीक्षा

वीणा ने चौथे प्रयास में पास की RJS परीक्षा

पढ़ाई के बाद सरकारी नौकरी मिलने के बाद भी वीणा को संतुष्टि नहीं मिली क्योंकि उनका सपना जो जज बनने का था। वीणा को RJS परीक्षा में तीन बार निराशा हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। शादी के बाद बेटी होने के बावजूद उन्होंने गृहस्थी और ऑफिस का काम संभालते हुए RJS की अपनी तैयारी जारी रखी और आखिरकार चौथे प्रयास में वे RJS परीक्षा में सफल हो गईं।

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सफलता

असफलताओं के बावजूद धैर्य नहीं खोना मेरी सफलता का रहस्य- वीणा

वीणा ने कहा कि अपने करियर को एक मुकाम पर पहुंचाने का उनका संघर्ष अब मंजिल पर पहुंचा है। उन्होंने इसके लिए अपने ससुराल और मायके, दोनों परिवारों को श्रेय दिया। उनका कहना है कि निराशा खुद से दूर रखकर ही आगे का सफर तय हो सकता है, अगर आपने कुछ करने की ठान ली है तो पूरे समर्पण भाव के साथ तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि असफलताओं के बावजूद धैर्य नहीं खोना ही उनकी सफलता का रहस्य है।

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