फिर से कॉलेज खोलना है बड़ा टास्क, संस्थानों ने बताई अपनी परेशानियां
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के कारण मध्य मार्च से सभी कॉलेज बंद हैं और अभी 31 जुलाई तक बंद रहेंगे।
दोबारा कॉलेज खोलने पर संस्थानों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना होगा।
इसके तहत कैंपस में आने वाले लोगों के लिए मास्क, सैनिटाइटर और थर्मल चेक अप होना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी होगा।
इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए कॉलेज फिर से खोलना संस्थानों के लिए बड़ी चुनौती है।
क्लासेस
किस प्रकार लगाईं जाएंगी क्लासेस?
छात्रों को छोटे-छोटे ग्रुप्स में बांटा जाएगा और उनकी अलग-अलग क्लासेस लगाईं जाएंगी ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। शिक्षकों को भी अधिक समय देना होगा।
हालांकि, कॉलेज में क्लासेस लगाने के साथ-साथ ऑनलाइन भी पढ़ाई जारी रहेगी ताकि जो छात्र किसी कारण संस्थानों में पढ़ाई करने के लिए नहीं आ पाएंगे, वे इसका लाभ उठाते रहेंगे।
नए नियमों का पालन करने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना संस्थानों के लिए एक चिंता का विषय होगा।
जानकारी
हॉस्टल में भी छात्रों को मैनेज करना होगा मुश्किल
सिर्फ कॉलेज में पढ़ने के लिए आने वाले छात्रों के अलावा हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की सुरक्षा के लिए कैंटीन जैसी सामान्य सुविधाएं देने के लिए भी विभिन्न चुनौतियों का सामना करना होगा। छात्रों को एक साथ एक जगह रखना आसान नहीं होगा।
IITs
IITs ने किया जनवरी से संस्थान खोलने का अनुरोध
इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अगले सेमेस्टर की पढ़ाई ऑनलाइन कराने और संस्थानों को फिर से जनवरी में खोलने की अनुमति मांगी है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार IIT मद्रास के निदेशक ने कहा कि उनके पास सभी छात्रों को दिशा-निर्देशों के अनुसार पढ़ाने की क्षमता नहीं है। हॉस्टल में अधिकांश डबल शेयरिंग कमरे हैं और नया हॉस्टल बन रहा है। अभी छात्रों को अलग-अलग कमरे नहीं मिल पाएंगे।
IIT बॉम्बे
IIT बॉम्बे में इस साल लगेंगी सिर्फ ऑनलाइन क्लासेस
जहां एक तरफ IITs ऑनलाइन क्लासेस के लिए अनुरोध कर रही हैं । वहीं दूसरे तरफ IIT बॉम्बे के निदेशक सुभासिस चौधरी छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए इस साल के अंत तक कॉलेज में कोई भी क्लास न लगाने की घोषणा कर चुके हैं। चौधरी ने कहा कि IIT बॉम्बे के लिए छात्र पहली प्राथमिकता है।
इस साल संस्थान में फेस टू फेस लेक्चर नहीं होंगे। बता दें कि यह ऐसा निर्णय लेने वाला भारत का पहला संस्थान है।
अंसल विश्वविद्यालय
अंसल विश्वविद्यालय ने भी बताई अपनी समस्या
IIT की तरह ही हरियाणा का अंसल विश्वविद्यालय भी उसकी योजना के अनुसार छात्रों को पढ़ाने पर विचार कर रहा है।
वहां पर विदेश से आने वाले छात्रों की संख्या ज्यादा है। लॉकडाउन के दौरान भी ऐसे विदेशी छात्रों के लिए हॉस्टल चल रहे थे, जो घर वापस नहीं जा सकते थे।
कैंपस एक छोटे शहर की तरह है। यहां सहायक कर्मचारियों के अलावा एक ही छत के नीचे 200 छात्रों को सुरक्षित रखना आसान नहीं है।
नियम
विश्वविद्यालय ने लागू किए कई नियम
अंसल विश्वविद्यालय ने लॉकडाउन में हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए कई नए नियम जैसे हॉस्टल से बाहर निकलते समय मास्क लगाना, हॉस्टल में अन्य छात्रों के साथ ज्यागा संपर्क में न आना आदि बनाएं हैं। जिससे उन्हें सुरक्षित रखा जा सके।
इसके बावजूद उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह देश के टॉप विश्वविद्यालयों में से है। इसमें कराए जा रहे अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट आदि कोर्सस में हर साल कई छात्र प्रवेश लेते हैं।
स्कॉलरशिप
कई संस्थान दे रहे स्कॉलरशिप
इतनी चुनौतियों के बाद भी कई संस्थान छात्रों की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।
कई संस्थान बिना ब्याज एजुकेशन लोन दे रहे हैं तो कई स्कॉलरशिप दे रहे हैं। यह खासतौर पर उन छात्रों के लिए हैं, जो कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय ने मदद करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाते डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी और कचरा बिनने वालों के बच्चों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है।
जानकारी
LPU दे रहा फ्री में शिक्षा
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के साथ-साथ लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) भी कोरोनो वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे जैसे पैरामेडिकल स्टाफ और पुलिसकर्मी आदि के बच्चों को फ्री में शिक्षा देगा। ऐसा करने के लिए उसे 20 करोड़ रुपये का खर्चा होगा।