कम किया जाएगा 10वीं और 12वीं का पाठ्यक्रम, हटाए जाएंगे एक जैसे टॉपिक्स
क्या है खबर?
देश में फैले कोरोना वायरस महामारी के कारण 10वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम में कटौती करने का प्रस्ताव रखा गया है।
यह प्रस्ताव लॉकडाउन के कारण छूटी हुई क्लासेस की वजह से दिया गया है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञों को बार-बार दोहराए गए विषयों और टॉपिक्स को खत्म कर पाठ्यक्रम को छोटा करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि मोदी सरकार नए शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए पाठ्यक्रम को कम करना चाहती है।
10वीं और 12वीं
10वीं और 12वीं को दी जा रही प्राथमिकता
हालांकि भारत के स्कूलों ने लॉकडाउन के समय में ऑनलाइन पाठ्यक्रम पेश किए, लेकिन कई छात्र स्मार्टफोन और इंटरनेट न होने के कारण उनका लाभ नहीं उठा पाए। इस वजह से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पाठ्यक्रम में कटौती करने पर विचार करना पड़ा।
द प्रिंट के अनुसार 10वीं और 12वीं को इस पाठ्यक्रम युक्तिकरण में प्राथमिकता दी गई है क्योंकि वे बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं। जिसके रिज्लट के आधार पर उन्हें आगे प्रवेश मिलता है।
रिजल्ट
विशेषज्ञों को रिजल्ट पर ध्यान रखने के लिए कहा गया
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने जून की शुरुआत में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से पाठ्यक्रम को कम करने पर काम करने के लिए कहा था।
पाठ्यक्रम को कम करने वाले विशेषज्ञों को अपने फैसले करते समय उनके रिजल्ट पर ध्यान देने के लिए कहा गया है ताकि उससे किसी भी छात्र का नुकसान न हो और वे अच्छी तरह पढ़ाई कर सकें।
तरीका
एक जैसे टॉपिक्स को हटाया जाएगा
पाठ्यक्रम में से पूरे अध्यायों को हटाने के बजाय कुछ कंटेंट और एक जैसे टॉपिक्स को कम करने के लिए कहा गया है। पाठ्यक्रम में एक जैसे कई टॉपिक्स को एक से अधिक अध्यायों में दिया गया है।
उदाहरण के लिए 10वीं में एसिड, बेस और साल्ट नामक एक अध्याय है, जिसमें एसिड और साल्ट के साथ धातु की प्रतिक्रिया से संबंधित टॉपिक है। वहीं धातु और गैर-धातु अध्याय में ही यह टॉपिक है।
12वीं
12वीं में भी हैं एक जैसे टॉपिक
इसी तरह 12वीं की जीव विज्ञान में वंशानुक्रम और भिन्नता के सिद्धांत पर एक अध्याय है, जिसमें उत्परिवर्तन और आनुवंशिक विकार जैसे टॉपिक शामिल हैं। वहीं आनुवांशिक कोड और DNA के अध्ययन से संबंधित टॉपिक को वंशानुक्रम की आणविक आधार नामक अध्याय में भी शामिल किया गया है।
इस कारण इस प्राकर के सभी टॉपिक्स को पाठ्यक्रम में से हटाकर उसे छोटा करने के लिए कहा गया है। इससे पाठ्यक्रम भी छोटा हो जाएगा और छात्र सब सीख पाएंगे।
कारण
विशेषज्ञों को टॉपिक हटाने का बताना होगा कारण
हटाए गए टॉपिक्स के कॉन्सेप्ट को समझाने के लिए विशेषज्ञों को एक असाइनमेंट या प्रोजेक्ट शामिल करने के लिए भी कहा गया है। साथ ही उन्हें किस भी टॉपिक को हटाने पर उसका कारण भी बताना होगा।
अधिकारियों से स्वीकृति मिलने के बाद जुलाई तक कम किए गए पाठयक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा।
पोखरियाल ने शिक्षकों और शिक्षाविदों को सोशल मीडिया के माध्यम से पाठ्यक्रम के युक्तिकरण के लिए अपनी सलाह भेजने के लिए भी कहा है।