सरकारी स्कूल से पढ़ी प्रियंका भलावी ने डिप्टी कलेक्टर बनकर पूरा किया मां का सपना
कहते हैं कि तैयारी जितनी मजबूत होती है, सफलता उतनी ही भरपूर मिलती है। ये पंक्तियां मध्य प्रदेश के बैतूल निवासी प्रियंका भलावी पर सटीक बैठती हैं। उन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा, 2020 में 23वीं रैंक हासिल की और डिप्टी कलक्टर बनकर अपनी मां का सपना पूरा कर दिया। उन्हें ये सफलता बड़े संघर्षों के बाद मिली है। आइए प्रियंका की छात्रा से अफसर बनने की कहानी जानते हैं।
कहां से की शुरुआती पढ़ाई?
प्रियंका बैतूल गंज की निवासी है। उनके पिता सरकारी शिक्षक हैं और मां गृहणी हैं। प्रियंका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी कन्या विद्यालय गंज से की। इसके बाद जेएच कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में BSc और फिजिक्स में MSc की। कॉलेज पूरा होने के बाद साल 2017 में उनका चयन सरकारी योजना में हुआ और उन्हें दिल्ली जाकर परीक्षा की तैयारी करने का मौका मिला। साल 2020 में वो MPPSC मुख्य परीक्षा देने के लिए इंदौर चली गई।
किसकी प्रेरणा से शुरू की तैयारी?
प्रियंका ने न्यूजबाइट्स हिंदी को बताया कि उन्हें अफसर बनने की प्रेरणा उनकी बुआ के बच्चों से मिली थी। प्रियंका की बुआ के चारों बच्चे ग्रेड-B के अधिकारी हैं। वे हमेशा प्रियंका को कहते थे कि हमारे परिवार में केवल डिप्टी कलेक्टर की कमी है और वो तुम ही बनोगी। इसी बात ने प्रियंका को तैयारी के लिए प्रेरित किया। प्रियंका ने माता-पिता, भाई-बहन, शिक्षकों और दोस्तों को अपनी सफलता का श्रेय दिया है।
मां का सपना था मैं अफसर बनूं
प्रियंका ने कहा, "मेरी मां हमेशा चाहती थी कि मैं अफसर बनूं और उन्होंने हमेशा मुझ पर विश्वास किया। उन्होंने तैयारी के दौरान मेरा साथ दिया। मां के सपने को पूरा करने के लिए मैंने मेहनत की और डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हुई।"
कौनसे प्रयास में मिली सफलता?
प्रियंका ने पहली बार 2017 में राज्य सेवा परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन मुख्य परीक्षा पास नहीं कर पाई थी। 2018 में प्रारंभिक परीक्षा में असफल रहीं। इसके बाद प्रियंका ने अपनी कमियों पर काम किया और तीसरे प्रयास में वो 2019 की परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंची, इसका परिणाम अभी घोषित नहीं हुआ है। 2020 में चौथे प्रयास में प्रियंका ने 23वीं रैंक हासिल कर ली।
कैसे पढ़ाई करती थीं प्रियंका?
प्रियंका प्रतिदिन कम से कम 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी। प्रियंका ने कहा, "मैंने पढ़ाई के घंटों से ज्यादा लक्ष्य पूरा करने पर फोकस रखा। मैं सुबह उठते ही दिन भर के लिए पढ़ाई का लक्ष्य लिखकर अपनी स्टडी टेबल के पास चिपका लेती थी और उन्हीं टॉपिकों को पढ़ती थी। पढ़ाई करने के बाद रात में अवलोकन करती थी ताकि पता चल सके कि मैंने कितने लक्ष्यों को पूरा किया। "
चुनौतीपूर्ण दौर में कैसे तनाव से दूर रहती थी प्रियंका?
प्रियंका ने बताया "तैयारी के दौरान खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है। छात्र जीवन में कई ऐसे पल आते हैं जब आप बहुत तनाव में हो जाते हैं। मैंने तनाव से बचने के लिए ध्यान (मेडिटेशन) को अपनाया। इससे मुझे काफी मदद मिली।" प्रियंका बचपन से ही अफसर बनना चाहती थीं और असफतला मिलने के बाद वो मन में इसी बात को दोहराकर वो अपने आप को प्रेरित रखती थीं।
क्या सोशल मीडिया से दूरी जरूरी है?
इस सवाल पर प्रियंका का जबाव अन्य टॉपरों से अलग है। प्रियंका ने बताया "मैंने कभी सोशल मीडिया का उपयोग बंद नहीं किया। मेरा मानना है कि अगर आप सोशल मीडिया का सही तरीके से उपयोग करेंगे तो हर रोज नई चीजें ही सीखेंगे। हालांकि, कई बार सोशल मीडिया आपको पढ़ाई से विचलित कर सकती है, ऐसे में तैयारी और सोशल मीडिया के उपयोग के बीच सामांजस्य बनाएं, सोशल मीडिया के उपयोग का समय निर्धारित करें।"