
साल 2023 में 10वीं में फेल हुए 29 लाख से ज्यादा छात्र- शिक्षा मंत्री
क्या है खबर?
भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बोर्ड परीक्षाओं में असफल रहे विद्यार्थियों की जानकारी दी।
उन्होंने 10वीं में फेल हुए छात्र-छात्राओं की संख्या बताई और ये आंकड़ा चौंकाने वाला है।
उन्होंने शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के हवाले से बताया कि पिछले साल 29 लाख से अधिक विद्यार्थी कक्षा 10 की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए।
सरकार ने ड्रापआउट दर को लेकर भी महत्वपूर्ण आंकड़े साझा किए हैं।
छात्र
सरकार ने उपलब्ध कराए ये आंकड़े
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 1.89 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थी कक्षा 10 की परीक्षा में शामिल हुए थे।
इसमें से 1.60 करोड़ से ज्यादा उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया था और 29 लाख से ज्यादा विद्यार्थी परीक्षा पास करने में असफल रहे थे।
साल 2022 की तुलना में साल 2023 में अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों की संख्या में चिंताजनक बढ़त देखी गई है।
फेल
ये हैं पिछले 4 साल के आंकड़े
सरकार ने पिछले 4 वर्षों में 10वीं में फेल हुए उम्मीदवारों की संख्या बताई। इसके अनुसार 2019 में लगभग 1.9 लाख अभ्यर्थी अनुत्तीर्ण हुए थे।
साल 2020 में 1.08 लाख विद्यार्थी असफल रहे थे। 2021 में फेल होने वाले छात्रों की संख्या में अचानक कमी आई थी और केवल 31,196 विद्यार्थी पास नहीं हो पाए थे, लेकिन साल 2022 में अनुत्तीर्ण अभ्यर्थियों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई।
2022 में 11 लाख से ज्यादा छात्र असफल रहे थे।
शैक्षणिक
कई बोर्डों के विद्यार्थी शामिल
फेल होने वाले विद्यार्थी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (CISCE) और अन्य राज्य बोर्डों से संबंधित हैं।
बिहार स्कूल परीक्षा बोर्ड (BSEB), छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CGBSE), मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (MPBSE), उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद समेत अन्य राज्य बोर्डो ने ऐसे छात्रों की जानकारी दी थी, जो 10वीं में पास नहीं हो पाए थे।
इन सभी जानकारियों को एकत्रित कर आधिकारिक डेटा तैयार किया गया है।
ड्रापाउट
ड्रापआउट दर में आई कमी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ड्रापआउट दर में कमी आई हैं।
हालांकि, ओडिशा और बिहार में ड्रापआउट दर बढ़ी है। ओडिशा में ड्रापआउट दर 39.4 से बढ़कर 49.9 हो गई है और बिहार में ये दर 41.6 से बढ़कर 42.1 हो गई है।
महाराष्ट्र और गोवा में भी ड्रापआउट दर में बढ़त देखी गई, लेकिन अन्य राज्यों में ड्रापआउट लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है।
सरकार
क्यों फेल हो रहे छात्र?
शिक्षा मंत्री ने बताया कि परीक्षा में विद्यार्थियों के असफल होने के कई कारण होते हैं। इनमें स्कूल न जाना, स्कूल के निर्देशों का पालन न करना, पढ़ाई में रुचि की कमी, प्रश्नपत्र का कठिनाई स्तर शामिल है।
इसके अलावा स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी, शिक्षकों और स्कूलों से समर्थन की कमी के कारण भी बच्चे परीक्षा में सफल नहीं हो पाते।
विभिन्न बोर्ड द्वारा अपनाए गए परीक्षा पैटर्न के कारण भी छात्रों का फेल प्रतिशत बढ़ा है।