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UP Board Result 2019: हिन्दी के पेपर में फेल हुए पांच लाख से भी अधिक छात्र

UP Board Result 2019: हिन्दी के पेपर में फेल हुए पांच लाख से भी अधिक छात्र

Apr 29, 2019
04:32 pm

क्या है खबर?

UP बोर्ड रिजल्ट जारी होने के बाद जहां हर तरह टॉपर्स के चर्चें हैं, वहीं कई स्कूलों में काफी कम पास प्रतिशत की खबरें भी सामने आ रही हैं। इसी बीच हाल ही में एक ऐसी खबर आई है, जिसको सुनकर आप चौंक जाएंगे। इस खबर के अनुसार UP बोर्ड में अंग्रेजी और गणित विषय में इतने छात्र फेल नहीं हुए हैं जितने कि हिन्दी विषय में फेल हुए हैं। आइए जानें क्या है पूरी खबर।

फेल छात्रों की संख्या

पांच लाख से भी अधिक छात्र हुए फेल

जहां लगभग पांच-पांच लाख छात्र UP बोर्ड की अंग्रेजी की परीक्षा में और गणित की परीक्षा में फेल हुए हैं। वहीं लगभग 5 लाख 74 हज़ार से भी अधिक छात्र हिन्दी की परीक्षा में फेल हुए हैं। हिन्दी के पेपर में लगभग 29 लाख 50 हज़ार छात्र शामिल हुए थे, जिनमें से लगभग 23 लाख 76 हज़ार छात्रों ने परीक्षा पास की है। इस साल हिन्दी परीक्षा का पास प्रतिशत लगभग 80.54% रहा है।

बयान

फेल होने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं- बोर्ड सचिव

बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव ने कहा है कि हिंदी में इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के असफल होने का कोई विशेष कारण नहीं हो सकता है। उन्होनें कहा कि हो सकता है उन्होंने हिन्दी की पढ़ाई उतने अच्छे से नहीं की हो जैसे अन्य विषयों के लिए की हो। काकोरी के बाबू त्रिलोकी सिंह इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल आरके सिंह ने कहा, "छात्र हिंदी विषय को हल्के में लेते हैं। उन्हें लगता है कि वे अपनी मातृभाषा में निपुण हैं।"

अंग्रेजी और गणित

अंग्रेजी और गणित में पास हुए इतने छात्र

अंग्रेजी में लगभग 23 लाख 95 हज़ार छात्र परीक्षा में उपस्थित हुए थे और इन में से लगभग 18 लाख 93 हज़ार छात्रों ने परीक्षा पास की है। वहीं गणित में लगभग 19 लाख 12 हज़ार छात्रों ने परीक्षा दी थी, जबकि लगभग 14 लाख 9 हज़ार छात्रों ने परीक्षा पास की है। उच्च विद्यालय के छात्र साइंस में फेल हो गए। लगभग 29 लाख 50 हज़ार छात्रों ने परीक्षा दी और 23.41% छात्र ही परीक्षा में पास हुए।

जानकारी

सोशल साइंस में फेल हुए इतने छात्र

सोशल साइंस में भी बड़ी संख्या में छात्र असफल हुए हैं। पेपर में उपस्थित होने वाले लगभग 29 लाख 50 हज़ार छात्रों में से लगभग 23 लाख 75 हज़ार छात्रों ने परीक्षा पास की हैं। जिसमें लगभग 5 लाख 70 हज़ार से अधिक असफल रहे।