छात्रों को फ्री में मिलेंगे लैपटॉप और स्मार्टफोन्स, मंत्रालय ने रखा प्रस्ताव
भारत में पहली बार कोरोना वायरस महामारी के कारण सभी स्तर के छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। कई छात्रों के लिए यह अनुभव बिल्कुल नया है और इसका लाभ उठाने के लिए उनके पास जरूरी डिवाइस भी नहीं हैं। इसे देखते हुए डिजिटल एजुकेशन को पूरी तरह लागू करना अभी संभव नहीं है। इस समस्या से निजात पाने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार के सामने प्रस्ताव रखा है।
फ्री में लैपटॉप और स्मार्टफोन्स आदि देने का रखा प्रस्ताव
इस प्रस्ताव में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से देश के विभिन्न कॉलेजों, यूनिवर्सिटीज और उच्च शिक्षा संस्थानों ने छात्रों को फ्री में लैपटॉप, टैबलेट, टेलीविजन, स्मार्टफोन्स और अन्य डिजिटल डिवाइसेस देने की बात कही गई है। इसके लिए अगले पांच सालों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा गया है। बता दें कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते सोमवार को 15वें वित्त आयोग के सामने प्रेजेंटेशन में यह प्रस्ताव रखा है।
2026 तक 40 फीसदी छात्रों को दी जाएंगी डिवाइसेस
इस प्रस्ताव में चरणबद्ध तरीके से डि़जिटल डिवाइसेस देने की योजना के बारे में भी बताया गया है। इसके तहत मंत्रालय ने 2025-26 तक पूरे देश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे लगभग 40 प्रतिशत छात्रों को डि़जिटल डिवाइसेस देने की बात कही है। पहले चरण यानी 2021-22 में 1.5 करोड़, 2022-23 में 55 लाख, 2023-24 में 61 लाख, 2024-25 में 67 लाख और 2025-26 में 73 लाख छात्रों को डिजिटल डिवाइसेस देने की योजना है।
राज्य सरकारों को भी करनी होगी मदद
इस योजना में अगले पांच सालों में खर्च होने वाले 60,000 करोड़ रुपये में से 36,473 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाएंगे। वहीं बाकी खर्चे के लिए संबंधित राज्यों सरकारों को मदद करनी होगी। प्रस्ताव के अनुसार हर डिवाइज पर औसत खर्च 15,000 रुपये रखा गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में देश के विभिन्न कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में लगभग 3.75 करोड़ छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।
भविष्य में तैयार रहने के लिए रखा गया यह प्रस्ताव
कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या देश में बढ़ती जा रही है और यह कब तक चलेगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। इसके कारण शिक्षा काफी प्राभावित हो रही है। छात्रों तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए अलग-अलग माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण छात्र उनका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। भविष्य में ऐसी समस्याओं के लिए तैयार रहने के लिए ही यह प्रस्ताव रखा गया है।