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    बाल दिवस: पहले 14 नवंबर को नहीं मनाया जाता था यह दिवस, जानिए दिलचस्प बातें
    14 नवंबर के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं

    बाल दिवस: पहले 14 नवंबर को नहीं मनाया जाता था यह दिवस, जानिए दिलचस्प बातें

    लेखन शोभित शुक्ला
    Nov 14, 2022
    01:37 pm

    क्या है खबर?

    आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की याद में हम 14 नवंबर के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन नेहरू का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था।

    अपने सरल स्वाभाव और बच्चों के प्रति असीम स्नेह रखने के कारण लोगों में उनका नाम चाचा नेहरू भी लोकप्रिय होता चला गया। हालांकि, पहले यह दिवस 14 नवंबर को नहीं मनाया जाता था।

    आइए जानते हैं इसका कारण और अन्य दिलचस्प बातें।

    इतिहास

    कब से हुई 14 नवंबर को बाल दिवस मनाने की शुरुआत?

    साल 1964 से पहले बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था। इसकी शुरुआत 1857 में रेवरेंड डी चार्ल्स लियोनार्ड ने की थी।

    वर्ष 1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो जाने के बाद यह फैसला लिया गया कि अब से हर साल बाल दिवस 20 नवंबर की जगह 14 नवंबर को नेहरू के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

    तब से लेकर अब तक इस दिन हम सभी नेहरू और उनके योगदान को याद करते हैं।

    व्यक्तित्व

    एक दूरदर्शी राजनेता थे नेहरू

    गांधीवादी विचारधारा का अनुसरण करने वाले नेहरू एक कुशल राजनेता होने के साथ-साथ अच्छे लेखक और प्रखर प्रवक्ता भी थे। वह हमेशा से भविष्य को लेकर चिंतातुर रहते थे।

    उनकी दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि आज सैकड़ों वर्षों तक अंग्रेजों की गुलामी का शिकार होने के बाद भी देश में कई अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), IIT, और IIM संस्थान हैं।

    उनका मानना था कि आज के बच्चे ही कल का भारत बनाएंगे।

    जीवन

    विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद देश लौटे

    वैसे तो नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों के माध्यम से घर पर ही हुई थी।

    इसके बाद पंद्रह साल की उम्र में वह इंग्लैंड चले गए और हैरो में रहे।

    उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया जहां से प्राकृतिक विज्ञान से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

    साल 1912 में स्वदेश लौटने के बाद राजनीति से जुड़ गए। इस वर्ष बांकीपुर सम्मेलन में एक सक्रिय प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।

    संघर्ष

    देश की आजादी के लिए नौ बार जेल गए

    नेहरू को छात्र जीवन से ही राजनीति में गहन रूचि थी। विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद यह रूचि संघर्ष में बदल गई।

    अंग्रेजी हुकूमत से देश की जनता को आजादी दिलाने के लिए नेहरू आजादी तक करीब नौ बार जेल गए।

    8 अगस्त वर्ष 1942 को अन्य नेताओं के साथ उन्हें अहमदनगर किला ले जाया गया। आखिरी बार यहां उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा था।

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