बिहार के इस जिले में 204 विद्यालयों के पास नहीं है अपना परिसर
क्या है खबर?
बिहार में 15 साल से 'सुशासन बाबू' नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं, लेकिन इसके बावजूद राज्य में शिक्षा व्यवस्था चौपट है।
बिहार के वैशाली जिले में करीब 204 ऐसे विद्यालय हैं जिनके पास अपना परिसर नहीं है। इसके कारण छात्र-छात्राओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यहां पर बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है और जिला शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये के चलते बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
विद्यालय
जिन विद्यालय के पास अपना भवन नहीं है, उन्हें दूसरे स्कूल से किया गया टैग
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबि,क वैशाली जिले में कुल 204 ऐसे विद्यालय हैं जिनके पास अपना भवन नहीं है और उन्हें दूसरे स्कूल में टैग कर दिया गया है।
कुछ विद्यालय रेंट और रेंट फ्री पर संचालित किये जा रहे हैं।
निदेशक प्राथमिक शिक्षा के निर्देश के बावजूद जिला शिक्षा विभाग ने एक ही परिसर में संचालित किए जा रहे दो स्कूलों की जानकारी नहीं दी है।
संसाधन
विद्यालयों में संसाधन का अभाव
जिले के आदर्श माध्यमिक विद्यालय से प्राथमिक विद्यालय, चकजगदीशपुर को टैग किया गया है। इसके प्रधानाध्यापक संजय कुमार कहते हैं कि शिक्षा विभाग को टैग करने की बजाय दोनों विद्यालयों का विलय करना चाहिए था।
उन्होंने कहा, "जहां एक ही भवन में दो विद्यालय संचालित होते हैं, वहां एक तो उनके पास संसाधन का अभाव होता है, दूसरा एक ही कमरे में पांच वर्ग संचालित करने पड़ते हैं। इस कारण बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह जाती है।"
निर्देश
नीतीश कुमार ने 5 साल पहले दिया था विद्यालयों का विलय करने का निर्देश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश दिया था कि जहां एक भवन में दो या दो से अधिक विद्यालय संचालित हैं, उन्हें एक विद्यालय में विलय कर अतिरिक्त शिक्षकों को दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाए।
तत्कालीन शिक्षा निदेशक ने 18 सितंबर, 2017 को जिला शिक्षा पदाधिकारी से ऐसे सभी विद्यालयों की सूची मांगी थी, लेकिन आज तक ये सूची नहीं दी गई है।
पढ़ाई
बिहार के सरकारी विद्यालयों में अब नर्सरी से 12वीं तक की होगी पढ़ाई
नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब बिहार सरकारी विद्यालयों में नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई होगी। इसके लिए जिले के सभी 2,970 आंगनबाड़ी केंद्रों को सरकारी स्कूलों के साथ टैग किया गया है।
बता दें कि पहले सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से और आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री-स्कूल की ही पढ़ाई होती थी।
टैग करने के दौरान यह ध्यान रखने को कहा गया कि आंगनबाड़ी केंद्र से स्कूलों की दूरी अधिक नहीं हो।