अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में क्या अंतर होता है?
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू हो गया, जो 9 फरवरी तक चलेगा। आज 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का अंतिम बजट पेश करेंगी। यह अंतरिम बजट होगा। सीतारमण अपने कार्यकाल का छठवां बजट पेश कर रही हैं। इस बार बजट पेश होने से पहले आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश नहीं किया गया। पूर्ण बजट से अंतरिम बजट काफी अलग होता है। आइए इसका अंतर समझते हैं।
क्या होता है पूर्ण बजट?
आम बजट लोकसभा में चर्चा के बाद पारित किया जाता है। इसे केंद्रीय बजट और पूर्ण बजट भी कहा जाता है क्योंकि यह पूरे वित्तीय वर्ष के लिए होता है। पूर्ण बजट में कई नई योजनाओं की घोषणा होती है और उनके लिए फंड निर्धारित किया जाता है। इसमें आय और व्यय का विवरण विस्तार से होता है। पूर्ण बजट 2 भाग में होता है, जिसमें एक में सरकार के खर्च और दूसरे में धन जुटाने का जिक्र होता है।
क्या होता है अंतरिम बजट?
अंतरिम बजट को संसद में बिना चर्चा के पारित करते हैं, जिसे 'वोट ऑन अकाउंट' भी कहते हैं। यह तब पेश होता है, जब चुनाव नजदीक हो। अंतरिम बजट में नई योजनाओं की घोषणा नहीं होती, बल्कि पहले से चल रही योजनाओं के लिए धन दिया जाता है। इसमें सरकार के आय का पूरा स्त्रोत नहीं होता। यह एक अस्थायी बजट है, जिसमें चुनाव से पहले मौजूदा सरकार के 3-4 महीने के जरूरी खर्चों का विवरण होता है।