सरकार के लिए क्यों जरूरी होता है बजट तैयार करना?
शुक्रवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट करेंगी। इस मौके पर हम आपको बजट के बारे में छोटी-छोटी मगर जरूरी बातें बताने जा रहे हैं। आप हर साल बजट के बारे में सुनते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना क्यों जरूरी होता है? आज हम आपके इसी सवाल का जवाब लेकर आए हैं।
ताकि सही जगह पर पहुंचे पैसा
बजट तैयार करते समय कमजोर क्षेत्रों की पहचान करती है। सरकार के लिए जरूरी है कि उसका पैसा उस जगह पर लगे, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। इससे संसाधनों के उचित आवंटन में मदद मिलती है। बजट बनाने के बुनियादी कारणों में से यह एक कारण है। इससे सरकार को कल्याणकारी नीतियां बनाने में भी मदद मिलती है। इससे समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग का उत्थान करने में आसानी होती है।
ताकि सुनिश्चित हो सके देश का आर्थिक विकास
बजट में सरकार अलग-अलग सेक्टरों में टैक्स की दरें तय करती हैं। नौकरीपेशा लोगों की नजरें हर बजट पर इसलिए भी टिकी होती हैं कि उन्हें टैक्स में क्या छूट मिलती है। देश के आर्थिक विकास में टैक्स का अहम योगदान होता है। सरकार टैक्स में छूट और दूसरी चीजों पर सब्सिडी देकर बचत और निवेश को बढ़ावा देती है। साथ ही सरकार अपनी नीतियों के सहारे कारोबार को प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे आर्थिक संपन्नता बढ़ती है।
बजट में होती हैं ये जानकारियां
बजट में सरकार का एक उद्देश्य अपनी आमदनी बढ़ाने के साथ योजनाओं के लिए धन आवंटन में इजाफा करना भी रहता है। सरकार को गरीबी और बेरोजगारी दूरी करने के लिए योजनाएं बनानी होती हैं, जिसके लिए पैसे की जरूरत होती है। इसके अलावा देश में सड़क, रेल, बिजली समेत आर्थिक ढांचे के निर्माण के लिए धन के प्रावधान भी बजट में रहते हैं। साथ ही बजट में राजस्व, सरकारी शुल्क, जुर्माना और लाभांश आदि की जानकारी रहती है।
भारत का पहला बजट किसने पेश किया था?
आपने बजट की जरूरत तो समझ ली, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का पहला बजट किसने पेश किया था। भारत का पहला बजट पेश करने का रिकॉर्ड जेम्स विल्सन के नाम है। उन्होंने 1860 में बजट पेश किया था। जेम्स स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और द इकोनॉमिस्ट पत्रिका के संस्थापक थे। आर्थिक मामलों में गहरी रूचि रखने वाले जेम्स अविभाजित भारत में वायसरॉय लॉर्ड कैनिंग की काउंसिल में फाइनेंस मेंबर ब्रिटिश संसद के मेंबर भी थे।