खाद्य पदार्थों के महंगा होने से अगस्त में बढ़कर 7 प्रतिशत हुई खुदरा महंगाई दर
खाद्य पदार्थों के महंगा होने के कारण अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सोमवार को जारी हुए सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। जुलाई में यह दर 6.71 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल अगस्त में खुदरा महंगाई दर 5.3 प्रतिशत पर बनी हुई थी। बता दें कि पिछले आठ महीनों से यह लगातार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर की ऊपरी सीमा से अधिक बनी हुई है।
क्या है RBI का संतोषजनक स्तर?
केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मंहगाई दर को 2 से 6 प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी दी हुई है, लेकिन पिछले आठ महीनों से यह दर लगातार इस रेंज से बाहर बनी हुई है। हालांकि, इस दौरान दो बार यह 7 प्रतिशत से नीचे आई है। आंकड़े दिखाते हैं कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 7.62 प्रतिशत रही जो जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी।
अगस्त में महंगी हुईं अनाज, दालें और दूध की कीमतें
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में जुलाई की तुलना में अनाज, दालें, सब्जियां, दूध और अन्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी दर्ज की गई है। सरकार द्वारा अनाज निर्यात को नियंत्रित करने और चावलों के निर्यात पर रोक लगाने जैसे कदमों के बाद भी खुदरा महंगाई दर को संतोषजनक स्तर पर नहीं लाया जा सका है। महंगाई पर रोक लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अब ब्याज दर बढ़ा सकता है।
मई के बाद से 140 बेसिस प्वाइंट बढ़ चुकी है रेपो रेट
आने वाले कुछ हफ्तों में रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक हो सकती है, जिसमें महंगाई पर रोक लगाने के लिए ब्याज दर बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है। मई के बाद से केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 140 बेसिस प्वाइंट की बढोतरी कर चुका है। पिछले महीने हुई 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के बाद अब रेपो रेट 5.40 प्रतिशत पर बनी हुई है। बैंक ने कहा था मुद्रास्फीति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
क्या होती है रेपो रेट?
रिजर्व बैंक जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक से लोन लेना पड़ता है। इस लोन पर बैंक जिस दर से रिजर्व बैंक को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।
औद्योगिक उत्पादन 2.4 प्रतिशत बढ़ा
सोमवार को औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े भी जारी कर दिए गए हैं। इससे पता चलता है कि जुलाई में औद्योगिक उत्पादन 2.4 प्रतिशत बढ़ा है। पिछले साल जुलाई में इसमें 11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस साल जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.2 और बिजली उत्पादन 2.3 फीसदी बढ़ा है। इसके अलावा खनन उत्पादन में जुलाई के दौरान 3.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।