कौन थे साइरस मिस्त्री, जिन्हें कभी माना जाता था रतन टाटा का उत्तराधिकारी?
क्या है खबर?
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की आज महाराष्ट्र के पालघर में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई।
वह एक मर्सिडीज कार से गुजरात के अहमदाबाद से मुंबई जा रहे थे और रास्ते में पालघर में सूर्या नदी पर बने पुल पर उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई। उनकी उम्र 54 साल थी।
आइए कभी रतन टाटा के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले साइरस मिस्त्री के जीवन पर एक नजर डालते हैं।
परिवार
आयरलैंड के बेहद अमीर परिवार से आते थे साइरस मिस्त्री
साइरस मिस्त्री शापूरजी पलोनजी समूह के संस्थापक और चेयरमैन पलोनजी मिस्त्री के छोटे बेटे थे। उनका परिवार आयरलैंड के सबसे अमीर भारतीय परिवारों में से एक है।
मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई, 1968 को हुआ था। उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी और मेडिसिन से सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की थी।
ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने प्रसिद्ध लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट में मास्टर्स (पोस्ट ग्रेजुएशन) की डिग्री हासिल की।
शापूरजी पलोनजी समूह
मिस्त्री के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा शापूरजी पलोनजी समूह
पढ़ाई पूरी करने के बाद मिस्त्री ने 1991 में शापूरजी पलोनजी समूह के लिए काम करना शुरू किया और इसके बोर्ड में शामिल हो गए।
तीन साल के अंदर 1994 में वह समूह के निदेशक बन गए और उनके नेतृत्व में समूह का मुनाफा दो करोड़ पाउंड (लगभग 183 करोड़ रुपये) से बढ़कर 1.5 अरब पाउंड (लगभग 137 अरब रुपये) हो गया।
उन्होंने कंपनी का कई क्षेत्रों में विस्तार किया और भारत में भी कई प्रसिद्ध चीजों का निर्माण किया।
टाटा संस
2012 में टाटा संस के चेयरमैन बने मिस्त्री
शापूरजी पलोनजी समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के बाद मिस्त्री 2006 में टाटा संस के निदेशक बोर्ड में शामिल हो गए।
दरअसल, शापूरजी पलोनजी समूह की टाटा समूह में 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह टाटा में सबसे अधिक हिस्सेदारी रखने वाली गैर-टाटा कंपनी है।
इसी कारण मिस्त्री कंपनी के निदेशक बोर्ड में शामिल हुए और रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद 2012 में उन्हें टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया।
सुर्खियां
देखते ही देखते रतन टाटा के उत्तराधिकारी कहे जाने लगे मिस्त्री
मिस्त्री को टाटा संस का चेयरमैन बनाया जाना एक चौंकाने वाला फैसला था और वह समूह के 142 साल के इतिहास में टाटा परिवार से बाहर के मात्र दूसरे चेयरमैन थे।
हालांकि उनके विशाल अनुभव और शापूरजी पलोनजी समूह को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उनके रिकॉर्ड के कारण उन्हें रतन टाटा का एक आदर्श विकल्प माना गया।
मीडिया में उन्हें रतन टाटा का उत्तराधिकारी तक कहा जाने लगा था।
टाटा संस विवाद
2016 में चेयरमैन के पद से हटाए गए मिस्त्री, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
हालांकि मिस्त्री केवल चार साल तक टाटा संस के चेयरमैन रह सके और अक्टूबर, 2016 में उन्हें अचानक इस पद से हटा दिया गया।
मिस्त्री ने उन्हें चेयरमैन के पद से हटाने के फैसले को चुनौती देते हुए इसे "खूनी खेल" और "घात" की तरह बताया था और उनका और टाटा समूह का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पद से हटाने के टाटा समूह के फैसले को सही ठहराया था।
कारण
क्यों पद से हटाए गए थे मिस्त्री?
एक समय रतन टाटा के उत्तराधिकारी माने जाने वाले सायरस मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटाने का कारण बताते हुए टाटा समूह ने कहा था कि उनके कामकाज करने का तरीका टाटा समूह के काम करने के परंपरागत तरीके से मेल नहीं खा रहा था।
दरअसल, मिस्त्री घाटे में चल रहीं विदेशी कंपनियों में समूह की हिस्सेदारी बेच रहे थे। इन कंपनियों में रतन टाटा ने निवेश किया था। इसी को उनकी बर्खास्तगी का बड़ा कारण माना जाता है।