RBI ने तीसरी बार बढ़ाई रेपो रेट, 50 बेसिस पॉइंट का इजाफा; महंगा होगा लोन
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फिर से रेपो रेट में इजाफा किया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद इसमें 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इसके साथ रेपो रेट बढ़कर 5.40 प्रतिशत हो गई है। RBI ने पिछले तीन महीने में तीसरी बार रेपो रेट बढ़ाई है। इससे पहले 4 मई को इसमें 40 और 8 जून को 50 बेसिस पॉइंट का इजाफा किया गया था। इससे अब लोन महंगा होगा।
RBI गवर्नर ने क्या बताया रेपो रेट बढ़ाने का कारण?
रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने कहा, "हम उच्च मुद्रास्फीति की समस्या से गुजर रहे हैं और वित्तीय बाजार भी अस्थिर रहे हैं। वैश्विक और घरेलू परिदृश्यों को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति ने बेंचमार्क रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया है।" उन्होंने कहा, "मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति पर काबू के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लाने पर ध्यान देने का फैसला किया है।अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान घटाते हुए मंदी का जोखिम बताया है।
RBI ने क्या रखा है आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान?
गवर्नर दास ने कहा कि RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर कायम रखा है। केंद्रीय बैंक ने खुदरा महंगाई दर चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून और कच्चे तेल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल पर रहने की संभावना के आधार पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार है।
छह प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी मुद्रास्फीति- दास
गवर्नर दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति असंतोषजनक स्तर पर है। समिति का अनुमान है कि मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी। डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर उन्होंने कहा कि रुपये के मूल्य में गिरावट व्यवस्थित तरीके से हुई है। इसका कारण डॉलर का मजबूत होना है, न कि घरेलू अर्थव्यवस्था में आई कोई कमजोरी है। हालांकि, RBI की नीतियों की वजह से रुपया कई अन्य मुद्राओं के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।
तीन महीने में 1.4 प्रतिशत बढ़ी रेपो रेट
RBI ने पिछले तीन महीनों में तीन बार में रेपो रेट में 1.4 प्रतिशत का इजाफा किया है। 4 मई को 40 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत किया गया था। उसके बाद 8 जून को इस 50 बेसिस पॉइंट के इजाफे के साथ 4.90 प्रतिशत पर पहुंचा दिया गया था। अब RBI ने इसमें 50 बेसिस पॉइंट का इजाफा कर इसे 5.40 पर पहुंचा दिया है। इसके साथ रेपो रेट कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर पर पहुंच गई है।
क्या होती है रेपो रेट?
RBI जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी RBI से लोन लेना पड़ता है। इस लोन पर बैंक जिस दर से RBI को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।
देश में रिकॉर्ड स्तर पर है महंगाई
बता दें कि अप्रैल में देश में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर रही थी। उस समय देश में खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत रही, जो सितंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक है। खाद्य पदार्थों की महंगाई दर तो 8.38 प्रतिशत रही थी। हालांकि, जून में यह कम होकर 7.01 प्रतिशत पर आ गई। इससे पहले मार्च में भी महंगाई दर 6.95 प्रतिशत रही थी और खाद्य पदार्थों की कीमत में 7.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यह चिंता का विषय है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
रेपो रेट का शेयर बाजार पर भी बड़ा लेकिन विपरीत असर पड़ता है। अगर रेपो रेट घटती है तो शेयर बाजार में उछाल आता है और अगर ये बढ़ती है तो इसमें गिरावट देखने को मिलती है। दरअसल, रेपो रेट बढ़ने पर कंपनियों के लिए भी लोन लेना महंगा हो जाता है और उन्हें अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है। इससे उनके विकास में कमी आती है और उनके शेयरों की कीमत गिर जाती है।