सितंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंची, 5 महीनों में सबसे अधिक
देश के लोगों को महंगाई से राहत नहीं मिल रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार इजाफा होने से सितंबर में खुदरा महंगाई दर 0.41 प्रतिशत के इजाफे के साथ 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह दर अप्रैल के बाद से सबसे अधिक है। सरकार द्वारा बुधवार को जारी किए आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। इससे पहले अगस्त में यह दर 7 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल अगस्त में यह दर 5.3 प्रतिशत पर बनी हुई थी।
RBI के संतोषजनक स्तर की सीमा से ऊपर बनी हुई महंगाई दर
देश की खुदरा महंगाई दर पिछले नौ महीनों से लगातार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर की ऊपरी सीमा से अधिक बनी हुई है। सरकार ने RBI को खुदरा मंहगाई दर को 2 से 6 प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी रखी है, लेकिन पिछले नौ महीनों से यह इस सीमा से बाहर है। आंकड़े दिखाते हैं कि महंगाई दर सितंबर में 8.62 प्रतिशत रही जो अगस्त में 7.62 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी।
खाद्य पदार्थों के महंगा होने से बढ़ी दर
सरकार ने कहा कि खाद्य पदार्थों के महंगा होने से सितंबर में खुदरा महंगाई दर पांच महीने के शीर्ष यानी 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी निभाने वाले खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में सालाना आधार पर 8.60 प्रतिशत हो गई, जबकि अगस्त में यह 7.62 प्रतिशत थी। इसी तरह ईंधन और बिजली की महंगाई दर सितंबर में 11.44 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 10.78 प्रतिशत थी।
कोर सेक्टर की महंगाई दर में भी इजाफा
आंकड़ों के अनुसार, सीमेंट, कोयला सहित कोर सेक्टर की महंगाई दर में भी खासा इजाफा देखने को मिला है। सितंबर में इन क्षेत्रों की महंगाई दर बढ़कर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जबकि अगस्त में यह दर 5.90 प्रतिशत पर बनी हुई थी।
क्या है खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी का कारण?
खुदरा महंगाई में लगातार बढ़ोतरी होने का सबसे बड़ा कारण रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई का बाधित होना है। इससे अनाज, सब्जियों जैसे जरूरी और रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बढ़ रही है। अगस्त में खाद्य महंगाई दर बढ़ने से सभी क्षेत्रों में असर देखने को मिला था। हालांकि, सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों को थामने के लिए चावल, गेहूं, आटा सहित तमाम खाद्य उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगाया, लेकिन राहत नहीं मिली।
मई के बाद से 190 बेसिस प्वाइंट बढ़ चुकी है रेपो रेट
नियंत्रण से बाहर होती मंहगाई और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल के बीच RBI लगातार रेपो रेट बढ़ाकर इस नियंत्रण का प्रयास कर रहा है, लेकिन इससे फायदे नजर नहीं आ रहे हैं। RBI इस साल मई के बाद से रेपो रेट में 190 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर चुका है। पिछले महीने हुई 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के बाद अब रेपो रेट 5.90 प्रतिशत पर बनी हुई है। इससे लोगों के लिए बैंक कर्ज लेना महंगा हो गया है।
न्यूजबाइट्स प्लस
रिजर्व बैंक जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक से लोन लेना पड़ता है। इस लोन पर बैंक जिस दर से रिजर्व बैंक को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।