पाकिस्तानी रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा, जल्द सुधार की उम्मीद नहीं
आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पाकिस्तानी मुद्रा एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा बनी हुई है और अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले साल भी इसमें सुधार होने की कोई गुंजाइश नहीं है। इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 20 प्रतिशत टूटा है और विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी समस्याएं समाप्त नहीं हुई हैं। आगे चलकर इसमें और गिरावट देखने को मिल सकती है।
अभी पाकिस्तानी रुपये की क्या हालत?
सोमवार को पाकिस्तानी रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 285.64 पर बंद हुआ था। यानी एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 285.64 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है। लंदन स्थित एक कंपनी BMI का अनुमान है कि अगले साल के अंत तक मुद्रा और गिरेगी और एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 350 तक जा सकता है। ऐसा ही अनुमान कराची स्थित ब्रोकरेज फर्म टॉप लाइन सॉल्यूशन का है, जिसका मानना है कि डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 324 तक जाएगा।
पाकिस्तानी रुपये पर क्यों पड़ रहा दबाव?
BMI से जुड़े वैश्विक अर्थशास्त्री जॉन एशबोर्न ने बताया कि ऐसा लग रहा है कि यह मुद्रा नीचे जाकर एडजस्ट होगी। उनके अनुसार, पाकिस्तान में लगातार बढ़ रही मंहगाई और व्यापार घाटे समेत कई कारणों से मुद्रा पर दबाव बना हुआ है।
पाकिस्तानी रुपये पर इस वजह से बढ़ रहा दबाव
पाकिस्तान पर बढ़ता कर्ज और फंडिंग मिलने में हो रही देरी पाकिस्तानी रुपये को कमजोर कर रही है। इस साल पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई थी। विदेशी निवेश की कमी और एशिया में सबसे तेजी से बढ़ती महंगाई दर पाकिस्तान के लिए मुश्किलें और बढ़ा रही हैं। इसके साथ ही विदेशों में रहने वाले पाकिस्तानियों से आने वाले डॉलर में भी उछाल नहीं देखा गया, जिससे चलते डॉलर के लिए विदेशी मदद पर निर्भरता बढ़ती गई।
अभी के लिए पाकिस्तान को मिली मदद
अभी के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान की मुश्किलें टाल दी हैं। इसी महीने IMF ने मुश्किल में घिरे देश को करीब 5,800 करोड़ रुपये की मदद देने पर सहमति जताई है। हालांकि, इससे भी अर्थव्यवस्था की चिंता दूर होती नजर नहीं आ रही और सरकार को और अधिक मदद की जरूरत है। इसके साथ ही डॉलर की कमी भी पाकिस्तान के लिए स्थिति को और मुश्किल बना रही है।
अगले साल चुनाव, उसके बाद कुछ राहत की उम्मीद
पाकिस्तान में फरवरी में आम चुनाव होने हैं और उसके बाद कुछ राहत की उम्मीद जताई जा रही है। टॉप लाइन सिक्योरिटीज का अनुमान है कि नई सरकार IMF के साथ दीर्घकालीन कार्यक्रमों पर हस्ताक्षर करेगी, जिससे पाकिस्तानी रुपये पर दबाव कुछ कम हो सकता है। इसके एक विश्लेषक ने कहा कि पाकिस्तान की मुसीबतें अब केवल एक नए और दीर्घकालीन IMF कार्यक्रम के सहारे ही दूर हो सकती हैं।
विश्व बैंक ने दी थी नीतियां बदलने की सलाह
सितंबर में विश्व बैंक ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था कि उसकी आर्थिक नीतियां बुरी तरह विफल हुई हैं और इन्हें बदलने की जरूरत है। विश्व बैंक के अनुसार, पाकिस्तान में गरीबी एक वर्ष के भीतर 34.2 से बढ़कर 39.4 प्रतिशत हो गई है और लगभग 9.5 करोड़ पाकिस्तानी गरीबी में रह रहे हैं। बैंक ने पाकिस्तान से कृषि और रियल एस्टेट पर कर लगाने और फालतू खर्चों में कटौती करने का आग्रह किया था।