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डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट, भारतीय बाजार भी लुढ़का
एशियाई शेयर बाजारों में आज भारी गिरावट

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से एशियाई शेयर बाजारों में भारी गिरावट, भारतीय बाजार भी लुढ़का

Apr 07, 2025
09:07 am

क्या है खबर?

अमेरिकी सरकार द्वारा टैरिफ नीति में कोई बदलाव नहीं करने के संकेत मिलने के बाद सोमवार (7 अप्रैल) एशिया के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखी गई। जापान का निक्केई 6 प्रतिशत तक गिर गया, दक्षिण कोरिया 5 प्रतिशत टूटा और ताइवान का सूचकांक 10 प्रतिशत तक गिर गया। अमेरिकी शेयर वायदा बाजारों में भी 3-4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट आई है। निवेशकों को अब डर है कि मंदी आ सकती है।

भारतीय बाजार

भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ी गिरावट

एशियाई शेयर बाजारों के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजारों में भी आज हफ्ते की शुरुआत भारी गिरावट के साथ हुई है। बाजार खुलते ही सेंसेक्स 3,000 अंकों से अधिक टूट गया और 72,000 के नीचे आ गया। निफ्टी में भी करीब 1,000 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और यह 21,800 के करीब पहुंच गया। इस बड़ी गिरावट से निवेशकों को सुबह-सुबह ही 19 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है और बाजार में डर का माहौल बन गया है।

डर 

 ट्रंप के बयान से और बढ़ा निवेशकों का डर 

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कहा कि अमेरिका जब तक व्यापार घाटा कम नहीं कर लेता, तब तक वह चीन से कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि निवेशकों को अब सच का सामना करना चाहिए। इस बयान से बाजार में और घबराहट फैल गई। अब निवेशकों को डर है कि हालात और बिगड़ सकते हैं। कई लोगों को लग रहा है कि यह स्थिति दुनिया को मंदी की ओर ले जा सकती है।

असर

यूरोप के बाजार और तेल की कीमतों पर असर 

एशियाई बाजारों के साथ-साथ यूरोप के शेयर बाजारों में भी बड़ी गिरावट देखी गई। यूरोस्टॉक्स, FTSE और DAX जैसे प्रमुख सूचकांक 3 प्रतिशत तक नीचे आ गए। इसके साथ ही तेल की कीमतों में भी गिरावट आई। ब्रेंट क्रूड की कीमत 64.23 डॉलर प्रति बैरल और अमेरिकी कच्चा तेल 60.60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। यह संकेत है कि वैश्विक मांग घट रही है और बाजार को आगे और नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कीमत

डॉलर कमजोर और सोने में भी गिरावट 

मंदी की आशंका के चलते निवेशक अब सुरक्षित निवेश से भी पैसा निकालने लगे हैं। इसी कारण अमेरिकी डॉलर जापानी येन और स्विस फ्रैंक के मुकाबले कमजोर हुआ। डॉलर में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई और सोने की कीमत भी 0.3 प्रतिशत घटकर 3,026 डॉलर प्रति औंस रह गई। विश्लेषकों का मानना है कि निवेशक अब अपने नुकसान की भरपाई और दूसरे निवेशों के लिए सोने जैसे साधनों को बेच रहे हैं, जिससे बाजार में और बेचैनी बढ़ रही है।

दबाव 

कंपनियों के मुनाफे पर बन सकता है दबाव 

बढ़ते टैक्स और लागत के कारण कंपनियों को भारी नुकसान हो सकता है। जानकारों का कहना है कि कई कंपनियों को या तो अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने होंगे या फिर मुनाफे में कटौती करनी पड़ेगी। गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि कंपनियां इस बार कमाई के अनुमान को लेकर ज्यादा सकारात्मक नहीं होंगी। इससे निवेशकों का भरोसा और डगमगा सकता है। आने वाले महीनों में बाजार और ज्यादा दबाव में रह सकता है।