क्या है 'सरोगेट विज्ञापन' जिस पर भारत सरकार लगाने वाली है प्रतिबंध?
भारत में शराब को लेकर सीधे तौर पर विज्ञापन करना प्रतिबंध है, इसलिए कई शराब निर्माता कंपनियां 'सरोगेट विज्ञापन' का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, अब सरकार सरोगेट विज्ञापन पर भी प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है ताकि मादक पदार्थों को बढ़ावा न मिले। अगर प्रतिबंध लगने के बाद कोई कंपनी मादक पदार्थों के लिए सरोगेट विज्ञापन का इस्तेमाल करती है तो उस पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। आइए जानें क्या होते हैं 'सरोगेट विज्ञापन'।
क्या है सरोगेट विज्ञापन?
सरोगेट ऐसे विज्ञापन होते हैं, जिनका इस्तेमाल उन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, जो सरकारी नियमों के तहत विज्ञापन से प्रतिबंधित या सीमित हैं। उदाहरण के लिए शराब बनाने वाली कई कंपनियां सोडा या पानी बोतल का विज्ञापन करती हैं और उनमें तस्वीर तो सोडा और पानी की होती है, लेकिन नाम शराब के ब्रांड का ही होता है। इसका मतलब विज्ञापन में अप्रत्यक्ष तरीके से मादक पदार्थों का प्रचार शामिल होता है।
विज्ञापनों का समर्थन करने वाली मशहूर हस्तियों पर लगेगा जुर्माना
रॉयटर्स के अनुसार, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी निधि खरे ने सरोगेट विज्ञापन के मुद्दे को लेकर कहा, "कंपनियां अपने मादक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए घुमावदार रास्ता नहीं अपना सकती। अगर हम विज्ञापनों को सरोगेट या भ्रामक पाते हैं तो उन पर भारी जुर्माना लग सकता है।" उन्होंने आगे यह भी कहा कि मादक उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों का समर्थन करने वाली मशहूर हस्तियों को भी 50 लाख रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
दुनिया का 8वां सबसे बड़ा शराब बाजार है भारत
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो भारत दुनिया का 8वां सबसे बड़ा शराब बाजार है, जिसका वार्षिक राजस्व 3.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचता है। वर्तमान में देश में सालाना प्रति व्यक्ति शराब की खपत लगभग 5 लीटर है, जो साल 2030 में बढ़कर लगभग 7 लीटर हो सकती है और यह स्वास्थ्य के लिए जहर के बराबर है क्योंकि इससे होने वाली गंभीर बीमारियां मौत के मुंह में धकेल सकती हैं।
पहले भी कई बार सरोगेट विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने के हो चुके हैं प्रयास
नए नियम एक महीने के अंदर जारी होने की उम्मीद है। हालांकि, सरकार द्वारा पहले भी कई बार सरोगेट विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास किए जा चुके हैं। साल 1995 में पहली बार इस तरह के प्रतिबंध के बाद से कई शराब कंपनियां एक ही ब्रांड के नाम से बेचे जाने वाले 'एक्सटेंशन उत्पादों' का व्यापार करके कानून को दरकिनार करने के लिए नए-नए तरीके अपनाती रही हैं।