रक्षा निर्यात लक्ष्य में भारत पीछे, इस साल करने होंगे 13,000 करोड़ रुपये के सौदे
क्या है खबर?
भारत ने 2025 तक 5 अरब डॉलर (लगभग 43,000 करोड़ रुपये) के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा था।
अब तक 21,083 करोड़ रुपये का निर्यात हो चुका है, लेकिन शेष 1.6 अरब डॉलर (लगभग 13,000 करोड़ रुपये) इस साल हासिल करना बड़ी चुनौती होगी।
मौजूदा वैश्विक स्थिति को देखते हुए भारत की हथियार निर्माण क्षमता और निर्यात रणनीति पर निर्भर करेगा कि यह लक्ष्य पूरा हो सके। इसके लिए भारत सरकार बड़े कदम उठा रही है।
मांग
भारत के हथियारों की वैश्विक मांग बढ़ी
भारतीय हथियार पश्चिमी और रूसी विकल्पों की तुलना में सस्ते और भरोसेमंद हैं, जिससे उनकी मांग बढ़ रही है।
फिलीपींस ने हाल ही में भारत से ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए 37.5 करोड़ डॉलर (लगभग 3,250 करोड़ रुपये) का समझौता किया है।
इंडोनेशिया के साथ भी इसी तरह के सौदे पर बातचीत अंतिम चरण में है। वियतनाम, अफ्रीका और मध्य पूर्व के देश भी भारत को एक मजबूत रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में देख रहे हैं।
पहल
रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहल
भारत सरकार ने 2025 तक रक्षा उत्पादन बढ़ाने के लिए 1.80 लाख करोड़ रुपये के पूंजी बजट की घोषणा की है।
इसमें से 1.12 लाख करोड़ रुपये केवल भारतीय कंपनियों से खरीदने के लिए तय किए गए हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को अनुसंधान और विकास के लिए 26,816 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है।
सरकार ने रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विदेशी खरीदारों को आसान वित्तीय सुविधाएं देने की योजना बनाई है।
प्रयास
निर्यात बढ़ाने के लिए कूटनीतिक प्रयास
रक्षा उपकरणों की बिक्री को बढ़ाने के लिए भारत रणनीतिक साझेदारियों पर जोर दे रहा है। यूरोपीय देशों के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत किया जा रहा है, जिससे भारतीय कंपनियों को नए अवसर मिल सकते हैं।
चीन के साथ क्षेत्रीय तनाव को देखते हुए वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया भारत से हथियार खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। भारत ने अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों के साथ भी सुरक्षा समझौतों को विस्तार देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
चुनौती
2025 अंत तक लक्ष्य पूरा करने की चुनौती
विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 अंत तक 5 अरब डॉलर का रक्षा निर्यात हासिल करना आसान नहीं होगा, लेकिन निर्यात की गति को तेज करके यह हो सकता है।
भारत को इस साल 1.6 अरब डॉलर के नए रक्षा सौदे करने होंगे, जिसके लिए उत्पादन क्षमता मजबूत करना जरूरी होगा।
अगर भारत नए ग्राहकों को आकर्षित करने और मौजूदा समझौतों को तेजी से पूरा करने में सफल रहता है, तो वह दुनिया के प्रमुख रक्षा निर्यातकों में शामिल हो सकता है।