भारत पर बढ़ा विदेशी कर्ज का भार, आंकड़ा 54,800 अरब रुपये के पार पहुंचा
भारत पर विदेशी ऋण का भार लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व बैंक की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विदेशी ऋण 646.8 अरब डॉलर (लगभग 54,800 अरब रुपये) हो गया है, जो 2010 में 290 अरब डॉलर था। इस ऋण का 77 प्रतिशत लंबी अवधि का और शेष कम अवधि का ऋण है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के विदेशी ऋण का एक तिहाई हिस्सा विश्व बैंक जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं से है।
भारत ने इतना किया ब्याज का भुगतान
भारत के विदेशी ऋण का एक तिहाई हिस्सा विश्व बैंक जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं से है, जो कुल बकाया का 11 प्रतिशत है। जापान, रूस, और जर्मनी भी भारत के ऋणदाता देश हैं। 2023 में भारत ने ब्याज के रूप में 22.5 अरब डॉलर (लगभग 1,909 अरब रुपये) का भुगतान किया, जबकि 2010 में यह 4.6 अरब डॉलर (लगभग 390 अरब रुपये) था। भारत पर निजी बॉन्डधारकों का भी 74.2 अरब डॉलर (लगभग 6,296 अरब रुपये) बकाया है।
भारत का विदेशी ऋण है अधिक
अंतरराष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत का विदेशी ऋण अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक है, जिसमें निजी बॉन्डधारकों का 35 प्रतिशत बकाया है। इस रिपोर्ट के बाद विदेशी ऋण के मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियां एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेर सकती हैं। विश्व बैंक की यह रिपोर्ट भारत के बढ़ते विदेशी ऋण को लेकर राजनीतिक बहस को ताजा कर सकती है, जो पहले भी समय-समय पर उठती रही है।