बर्लिन ओलंपिक 1936: जापान के 2 एथलीटों को कैसे मिला आधा रजत और आधा कांस्य पदक?
ओलंपिक खेलों के विकास के साथ-साथ इसके नियमों में भी बदलाव होता रहा है। आज किसी स्पर्धा में दो खिलाड़ियों के बराबर रहने पर पदक निर्धारण के लिए लगातार मुकाबला कराए जाते हैं, लेकिन 1936 के बर्लिन ओलंपिक में बड़ा ही रोचक नजारा देखने को मिला था। उस दौरान पोल वोल्ट स्पर्धा में दूसरे और तीसरे स्थान के लिए जापान के 2 एथलीट बराबर रहे थे। उसके बाद दोनों खिलाड़ियों ने रजत और कांस्य पदक को बराबर-बराबर बांट लिया था।
अमेरिका के एथलीट ने जीता था स्वर्ण पदक
5 अगस्त, 1936 को आयोजित पोल वोल्ट स्पर्धा में अमेरिका के अर्ल एल्मर मीडोज ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया था। हालांकि, दूसरे और तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में जापान के शुहेई निशिदा और सुएओ ओई बराबर रहे थे। इसके बाद दोनों ने टाइ ब्रेकर स्पर्धा करने से इनकार कर दिया। बाद में ओलंपिक इतिहास में पहली और आखिरी बार दोनों के बीच रजत और कांस्य पदक बराबर (आधा हिस्सा रजत और आधा कांस्य) बांटे गए।
रिकॉर्ड में दूसरे स्थान पर रहे थे निशिदा
निशिदा और ओई के आगे मुकाबला न करने पर ओलंपिक समिति ने जापानी टीम को दूसरे और तीसरे स्थान का निर्णय करने करने को कहा। इस पर लंबी चर्चा के बाद निशिदा को दूसरे स्थान पर रखने की सहमति बनी। जापान लौटने के बाद उन्होंने अपने पदकों को आधा-आधा काट दिया और उन्हें एक दूसरे से जोड़ दिया। इससे दोनों को आधा रजत और आधा कांस्य पदक मिल गया। इस पदक को 'मैत्री पदक' के रूप में पहचान मिली है।
प्रतियोगिता में लिया था 30 खिलाड़ियों ने हिस्सा
इस प्रतियोगिता में 21 देशों के 30 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। दूसरे स्थान के लिए तीन तरफा टाई के बाद जंप-ऑफ हुआ। इसमें अमेरिका के बिल सेफ्टन चौथे स्थान पर रहे। आखिर में दूसरे और तीसरे स्थान के लिए दोनों जापानी खिलाड़ी बचे थे।