
वित्त वर्ष 2020-21 में देश की GDP में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज
क्या है खबर?
देश में चल रही कोरोना वायरस महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से धराशाही कर दिया है।
वित्त वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह पिछले 40 सालों में सबसे बड़ी गिरावट है। साल 2019-20 में यह चार प्रतिशत पर थी।
हालांकि, राहत की बात यह रही कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 1.6 प्रतिशत रही है।
जानकारी
कैसे निकाली जाती है GDP?
देश में एक निश्चित समय के अंदर किये गए उत्पादन के कुल मूल्य को GDP कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो सुई से लेकर हवाई जहाज तक, देश में बने सभी सामानों और सेवाओं के मूल्य को जोड़ दिया जाए तो GDP मिलेगी।
तिमाही
पूरे वित्त वर्ष में यह रही है GDP की स्थिति
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में GDP में 24.4 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी।
इसके बाद सितंबर में समाप्त हुई दूसरी तिमाही में यह गिरावट घटकर 7.3 प्रतिशत रही थी, जबकि तीसरी यानी अक्टूबर तिमाही में GDP में 0.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
इसी तरह चौथी तिमाही में यह 1.6 प्रतिशत पर पहुंच गई।
1980-81 के बाद सह अर्थव्यवस्था में यह सबसे ज्यादा सालाना गिरावट दर्ज की गई है।
बयान
GDP में आई 7.3 प्रतिशत की गिरावट- NSO
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने GDP के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि 2019-20 में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान GDP में तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
आंकड़ों के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में 2020-21 के दौरान 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह चार प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
इससे पहले NSO ने वित्त वर्ष 2020-21 में GDP में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था।
अनुमान
विशेषज्ञों के अनुमानों के अनुसार रही है गिरावट
तमाम विशेषज्ञ पहले ही पूरे वित्त वर्ष में भारत की विकास दर नेगेटिव में जाने की आशंका जता रहे थे, क्योंकि कोरोना महामारी के कारण उद्योग और व्यापार के पूरी तरह से पटरी पर लौटने से पहले ही दूसरी लहर आ गई थी।
एजेंसियों और एक्सपर्ट ने चौथी तिमाही में GDP में ग्रोथ का अनुमान लगाया था।
SBI रिसर्च ने जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में 1.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी और पूरे वर्ष में 7.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था।
घाटा
राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपये पर पहुंचा
राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में GDP का 9.3 प्रतिशत रहा है। यह वित्त मंत्रालय के संशोधित अनुमान 9.5 प्रतिशत से कम है।
महालेखा नियंत्रक (CGA) ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7.42 प्रतिशत था। निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपए बैठता है जो GDP का 9.3 प्रतिशत है। सरकार ने बजट में इसके 7.96 लाख करोड़ होने का अनुमान लगाया था।
डाटा
इन क्षेत्रों की विकास दर में हुआ इजाफा
आठ बुनियादी सेक्टरों कोयला, क्रूड, प्राकृतिक गैस, रिफायनरी प्रोडक्ट, फर्टिलाइजर, स्टील, सीमेंट, बिजली की विकास दर मार्च में 11.4 के मुकाबले अप्रैल में 56.1 प्रतिशत रही है। इसी तरह नेचुरल गैस, स्टील, सीमेंट और बिजली के क्षेत्रों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है।