भारतीय सड़कों पर 2030 तक दौड़ेंगे 2 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन- नितिन गडकरी
सड़क परिवहन और राज्यमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को एक कार्यक्रम में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर बात करते हुए कहा कि इस दशक के अंत तक देश में करीब दो करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और फ्यूचर मोबिलिटी पर बात करते हुए गडकरी ने कहा कि ई-मोबिलिटी में बड़ी क्षमता है और पर्यावरण को बचाने के लिए निवेशकों को इस क्षेत्र में आकर निवेश करना चाहिए। आइये इस बारे में जानते हैं।
रोजगार बढ़ायेंगे इलेक्ट्रिक वाहन- गडकरी
गडकरी के कहा कि 2023 तक देश में दो करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि रोजगार बढ़ने में भी मदद मिलेगी और यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। गडकरी की मानें तो टेक्नोलॉजी और ग्रीन फ्यूल में तेजी से प्रगति से इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल की लागत कम हो जाएगी, जिससे इनकी कीमत भी अगले दो वर्षों में पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के बराबर हो जाएगी।
इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर है जोर
पर्यावरण प्रदूषण पर बोलते हुए गडकरी ने ध्वनि, जल और वायु प्रदूषण पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण क्षेत्र से लगभग 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है। इसे कम करने के लिए उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर जोर देने को कहा है। गडकरी ने आगे कहा कि देश में ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने से कम ईंधन आयात करना पड़ेगा। वर्तमान में हर साल लगभग 16 लाख करोड़ रुपये का ईंधन विदेश से खरीदा जाता है।
भविष्य में चलेंगी ग्रीन हाइड्रोजन संचालित गाड़ियां
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, ग्रीन हाइड्रोजन द्वारा संचालित गाड़ियां भविष्य की एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी विकल्प होने जा रही है। ये गाड़ियां विशेष रूप से बड़ी कारों, बसों, ट्रकों, जहाजों और ट्रेनों में मध्यम से लंबी दूरी की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त है। बता दें कि टोयोटा मिराई दुनिया की पहली ग्रीन कार है। इसके पास EPA सर्टिफिकेट भी है, जिसके अनुसार यह कार फुल टैंक पर 650 किलोमीटर की माइलेज देती है।
वर्तमान में देश में हैं इतने इलेक्ट्रिक वाहन
जानकारी के लिए आपको बता दें कि वर्तमान में देश में करीब 13.34 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन हैं। सबसे अधिक EVs का इस्तेमाल नई दिल्ली में होता है और यहां करीब 1.56 इलेक्ट्रिक वाहन हैं। वहीं देश में करीब 27.81 करोड़ तेल से चलने वाले वाहन हैं और इनकी संख्या में लगातार वृद्धि भी हो रही है। सरकार अगले पांच सालों में भारत में पेट्रोल का इस्तेमाल बंद करने के योजना बना रही है।